Monday, December 2, 2024
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सैय्यद शुजा ने EVM हैक करने का किया दावा, कॉन्ग्रेसी इकोसिस्टम ने दावे का खूब किया प्रचार-प्रसार : चुनाव आयोग ने कराई FIR, पहले भी फर्जी दावों से कर चुका है गुमराह

खुद को साइबर विशेषज्ञ बताने वाले शुजा पर आरोप है कि उसने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में ईवीएम हैकिंग के फर्जी दावे किए और देश में भ्रम फैलाने की कोशिश की, जिसके बाद ये कार्रवाई की गई।

चुनाव आयोग (ECI) ने ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) को लेकर झूठे दावे करने वाले सैय्यद शुजा के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू की है और उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। जो खुद को साइबर विशेषज्ञ बताने वाले शुजा पर आरोप है कि उसने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में ईवीएम हैकिंग के फर्जी दावे किए और देश में भ्रम फैलाने की कोशिश की, जिसके बाद ये कार्रवाई की गई।

चुनाव आयोग ने शुजा के दावों को ‘पूरी तरह झूठा और भ्रामक’ करार दिया है। आयोग ने दिल्ली और मुंबई पुलिस को मामले की जाँच के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे फर्जी दावे और ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। हालाँकि उसकी इस फेक न्यूज फैलाने की चाल में ‘कॉन्ग्रेस इकोसिस्टम’ भी कदम-दर-कदम उसके साथ खड़ा रहा है।

ईवीएम हैकिंग के झूठे दावों से फैलाई सनसनी

हाल ही में महाराष्ट्र चुनावों में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) को मिली करारी हार के बाद, कॉन्ग्रेस समर्थित एक्टिविस्ट, पत्रकार और यूट्यूबर्स ने एक वीडियो शेयर करना शुरू किया। इस वीडियो में शुजा दावा करता है कि वह ईवीएम को हैक कर सकता है और चुनाव परिणाम अपने पक्ष में मोड़ सकता है।

शुजा ने ‘फ्रीक्वेंसी आइसोलेशन’ और ‘स्पेसिफिक ऐप्स’ का इस्तेमाल कर 281 में से 288 सीटों पर चुनाव परिणाम नियंत्रित करने की बात कही। इतना ही नहीं, उसने यह भी दावा किया कि वह ₹52-53 करोड़ के बदले ईवीएम को प्रोग्राम कर सकता है।

लेकिन ईवीएम तकनीकी रूप से वायरलेस संचार में सक्षम नहीं हैं, जिससे शुजा के दावे तुरंत ही झूठ साबित हो गए। फिर भी, कॉन्ग्रेस समर्थकों ने इसे भाजपा पर हमला करने का मौका बनाया और वीडियो को सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर शेयर किया।

पहले भी शुजा फैला चुका है भ्रम का जाल

शुजा के खिलाफ यह पहली कार्रवाई नहीं है। 2019 में भी उसने भारतीय चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाने की कोशिश की थी, जब उसने लंदन से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में 2014 के लोकसभा चुनावों को ‘हैक्ड’ बताया था। उस दौरान, कॉन्ग्रेस नेता कपिल सिब्बल भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे, जिससे कॉन्ग्रेस और शुजा के संबंधों पर सवाल खड़े हुए थे।

फर्जी विशेषज्ञ और कॉन्ग्रेस का समर्थन

सैय्यद शुजा का दावा है कि उसने 2009-2014 के बीच भारत इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन लिमिटेड (ECIL) में काम किया, लेकिन इन दावों का कोई पुख्ता सबूत नहीं है। वह खुद को पीएचडी और बीटेक धारक बताता है, लेकिन उसकी शैक्षिक पृष्ठभूमि का कोई रिकॉर्ड नहीं है।

शुजा का नाम कॉन्ग्रेस के शीर्ष नेताओं जैसे कपिल सिब्बल और सैम पित्रोदा के साथ जोड़ा जाता रहा है। 2019 के उनके झूठे दावों को भी कॉन्ग्रेस समर्थित इकोसिस्टम ने प्रचारित किया था।

मीडिया और कॉन्ग्रेस का खेल

‘मुंबई तक’ जैसे प्लेटफॉर्म्स ने शुजा के वीडियो को बढ़ावा दिया। कॉन्ग्रेस इकोसिस्टम में शामिल एक्टिविस्ट और यूट्यूबर्स ने इसे ‘ईवीएम में गड़बड़ी के सबूत’ के रूप में पेश किया।

हालाँकि, भारत टुडे ग्रुप के एक स्टिंग ऑपरेशन ने शुजा की पोल खोल दी, जब वह ईवीएम हैकिंग का कोई सबूत नहीं दे पाया।

कॉन्ग्रेस की दोहरी नीति

दिलचस्प है कि शुजा ने हमेशा उन्हीं चुनावों को ‘फेयर’ बताया, जहाँ कॉन्ग्रेस जीती, और भाजपा की जीत को ‘हैक्ड’ करार दिया। यह कॉन्ग्रेस इकोसिस्टम की रणनीति पर सवाल खड़ा करता है, जो बार-बार चुनावों में हार को ईवीएम पर दोष देने की कोशिश करता है।

सैय्यद शुजा के झूठे दावे और कॉन्ग्रेस इकोसिस्टम की रणनीति, भारतीय लोकतंत्र और चुनाव प्रक्रिया पर हमला है। चुनाव आयोग ने इस साजिश का पर्दाफाश कर ईवीएम की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। यह मामला कॉन्ग्रेस और उसके समर्थकों की चुनावी नैतिकता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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