Monday, December 2, 2024
Homeदेश-समाजजातिगत आरक्षण पर टिप्पणी करना अपराध नहीं, SC-ST एक्ट लगाना गलत: बॉम्बे हाई कोर्ट,...

जातिगत आरक्षण पर टिप्पणी करना अपराध नहीं, SC-ST एक्ट लगाना गलत: बॉम्बे हाई कोर्ट, जाति ‘छिपा’ अफेयर करने वाले दलित युवक ने ब्रेकअप होने पर कर दिया था केस

जस्टिस उर्मिला जोशी फाल्के ने कहा, "अत्याचार अधिनियम अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने और उन्हें अपमान और उत्पीड़न से बचाने के लिए बनाया गया है। इस प्रकार, कानून का उद्देश्य हमारे समाज के कमजोर वर्गों के खिलाफ किए गए कृत्यों को दंडित करना है, क्योंकि वे एक विशेष समुदाय से संबंधित हैं।" इसके बाद अपील खारिज कर दी गई।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार (29 नवंबर 2024) को एक महिला के खिलाफ दर्ज अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 (SC/ST एक्ट) के मामला को बंद करने के निर्णय को बरकरार रखा। महिला के खिलाफ आरोप लगाया गया था कि उसने अपने पार्टनर के साथ रोमांटिक संबंध खत्म करते समय उसे ह्वाट्सऐप पर जातिवादी मैसेज किया था।

मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट की जस्टिस उर्मिला जोशी फाल्के ने कहा कि लड़का और लड़की, दोनों के बीच आदान-प्रदान किए गए ह्वाट्सऐप संदेश में केवल जातिगत आरक्षण के बारे में विचार व्यक्त किए गए थे। इन मैसेज में से कुछ मैसेज ह्वाट्सऐप फॉरवर्ड भी थे। ये मैसेज एससी/एसटी समाज के खिलाफ दुश्मनी या घृणा की भावनाओं को बढ़ावा नहीं देते हैं।

अदालत ने कहा, “पूरी सामग्री को देखने पर पता चलता है कि संदेश केवल जाति आरक्षण प्रणाली के बारे में व्यक्त की गई भावनाओं को दर्शाते हैं। ऐसे संदेशों से कहीं भी यह नहीं पता चलता कि अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के खिलाफ किसी भी तरह की दुश्मनी या घृणा या दुर्भावना को बढ़ावा देने का कोई प्रयास किया गया था।”

जस्टिस फाल्के ने आगे कहा, “(इस मामले में) अधिक से अधिक यह कहा जा सकता है कि उसका (आरोपित लड़की का) लक्ष्य केवल शिकायतकर्ता ही था। हालाँकि, आरोपित नंबर 1 (लड़की) ने ऐसा कोई शब्द नहीं लिखा, जो अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के खिलाफ किसी भी तरह की दुर्भावना या दुश्मनी या घृणा को बढ़ावा दे या पैदा करे।”

दरअसल, यह मामला 29 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर और 28 वर्षीया महिला के बीच का है। मध्य प्रदेश के रहने वाले दोनों वर्तमान में नागपुर में रहते हैं। इसमें लड़का दलित समाज से ताल्लुक रखता है। कहा जाता है कि इस जोड़े ने अपने परिवारों से छिपकर शादी एक मंदिर में शादी कर ली थी। जब महिला को पता चला कि उसका पार्टनर दलित (चंभर जाति) का है तो रिश्ते में खटास आ गई।

इसके बाद लड़के ने साथी लड़की और उसके पिता के खिलाफ एस/एसटी ऐक्ट में मुकदमा दर्ज कराया। मामले की सुनवाई करते हुए ट्रायल कोर्ट ने 5 अगस्त 2021 को महिला और उसके पिता को आरोप मुक्त कर दिया। इसके बाद शिकायतकर्ता लड़के ने ट्रायल कोर्ट के निर्णय को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

शिकायतकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि मैसेज में समुदायों के बीच नफरत और दुश्मनी पैदा करने का प्रयास किया गया। वहीं, बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि मैसेज में जाति आरक्षण प्रणाली पर महिला ने अपने विचार रखे थे और इसमें कोई आपत्तिजनक भाषा नहीं थी। पीड़िता लड़की के वकील ने कहा कि शिकायत दर्ज कराने में काफी देरी की गई, जिससे छिपे मकसद का पता चलता है।

दोनों पक्षों को सुनने और साक्ष्य की समीक्षा करने के बाद कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि आरोपित महिला द्वारा भेजे गए मैसेज एससी/एसटी अधिनियम की धारा 3(1)(U) के तहत अपराध के लिए कानूनी मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं। कोर्ट ने कहा ये कानून अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ दुर्भावना या घृणा को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों को संबोधित करता है।

जस्टिस उर्मिला जोशी फाल्के ने कहा, “अत्याचार अधिनियम अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने और उन्हें अपमान और उत्पीड़न से बचाने के लिए बनाया गया है। इस प्रकार, कानून का उद्देश्य हमारे समाज के कमजोर वर्गों के खिलाफ किए गए कृत्यों को दंडित करना है, क्योंकि वे एक विशेष समुदाय से संबंधित हैं।” इसके बाद अपील खारिज कर दी गई।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

संभल में 14 हिंदुओं को इस्लामी भीड़ ने जलाकर मार डाला, मिली थी 23 हिंदू लाशें: पहले अफवाह उड़ाई इमाम को हिंदू ने मार...

जामा मस्जिद जो आज इस्लामी कट्टरपंथियों की हिंसा के लिए सुर्खियों में आया है वही मस्जिद 46 साल पहले एक हिंदू परिवार के नरसंहार मामले में केंद्र में था।

मोदी सरकार ने 3 साल में ब्लॉक किए 28079 URL, इनमें 10500 कर रहे थे खालिस्तानी प्रोपेगेंडा का प्रचार: मोबाइल एप्स और इस्लामी कट्टरपंथी-आतंकी...

भारत सरकार ने खालिस्तानी रेफरेंडम से जुड़ी 10,500 से अधिक URLs को ब्लॉक कर दिया है। यह कार्रवाई पिछले तीन वर्षों में की गई है।
- विज्ञापन -