Saturday, April 27, 2024
Homeविविध विषयधर्म और संस्कृतिहिन्दू धर्मांतरण क्यों नहीं करते? कलमा क्यों नहीं पढ़ लेते? क्योंकि वो काल को...

हिन्दू धर्मांतरण क्यों नहीं करते? कलमा क्यों नहीं पढ़ लेते? क्योंकि वो काल को जीतने वाले राम के उपासक हैं

पाकिस्तानी हिन्दू विस्थापित इतनी विपरीत परिस्थितियों में भी धर्मांतरण क्यों नहीं करते? कलमा क्यों नहीं पढ़ लेते? अपना सर्वस्व त्यागकर ये हिंदू भारत की शरण में आ जाते हैं, पर धर्मांतरण नहीं करते हैं। क्यों?

गत दस वर्षों में पाकिस्तानी हिन्दू विस्थापितों के साथ काम करते एक प्रश्न ने मुझे बहुत अचंभित किया है। वह यह है कि इतनी विपरीत परिस्थितियों में भी ये हिन्दू धर्मांतरण क्यों नहीं करते? कलमा क्यों नहीं पढ़ लेते हैं? अपना सर्वस्व त्यागकर ये हिंदू भारत की शरण में आ जाते हैं, पर धर्मांतरण नहीं करते हैं।

आज जब राम जन्मभूमि का निर्णय हो गया है तो मुझे इस प्रश्न का उत्तर थोड़ा-थोड़ा समझ में आने लगा है।

ऐसे लोगों को क्या कहा जाए जो धरती के एक टुकड़े के लिए पाँच सौ साल तक संघर्ष करते हैं? क्या कहा जाए ऐसे लोगों को, जो हर प्रकार की यातना और दुख उठाने के उपरांत भी धरती के उस टुकड़े पर अपना अधिकार ना विस्मृत करते हैं, ना छोड़ते हैं? क्या कहा जाए ऐसे लोगों को, जो मुग़ल बर्बरता, विदेशी आक्रांताओं की दासता और सदियों के नरसंहार के बाद भी इसी आस पर जिए जाते हैं कि एक दिन धरती का वह टुकड़ा वे पुनः प्राप्त करेंगे?

राम जन्मभूमि की मुक्ति का संघर्ष मानव इतिहास के गिने चुने संघर्षों में से एक है जो पाँच सदी तक अनवरत चला। 

इन 500 वर्षों से अधिकांश समय ऐसा था जब दूर-दूर तक कोई आशा भी ना थी कि राम जन्मभूमि को हिन्दू पुनः प्राप्त भी कर सकेंगे। राम जन्मभूमि पर इतना एकतरफ़ा और बर्बर क़ब्ज़ा था कि किसी भी प्रकार की आशा लगाना हास्यास्पद और कल्पना के विपरीत था। न सिर्फ़ विदेशी आक्रांता, बल्कि स्वतंत्रता के पश्चात भारत का शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व व भारत के शीर्ष इतिहासविद् भी इस हिन्दू मान्यता के विपरीत थे कि भगवान राम का जन्म इसी पवित्र भूमि पर हुआ था ।

पढ़ें वो मार्मिक कहानी: रामभक्त भाइयों की शहादत के 29 साल: शरद के सिर और रामकुमार के गले को पार कर गई गोली

इतनी घोर विपरीत परिस्थितियों व वामपंथी षड्यंत्रों के बीच भी किस प्रकार हिन्दू जनमानस ने राम जन्मभूमि पर अधिकार को नहीं छोड़ा, समकालीन मानव समाज के लिए यह एक अद्भुत प्रसंग है।

ये कैसा आग्रह था? ये कैसी हठधर्मिता थी हिन्दुओं की? यह कैसा अनोखा संकल्प था कि चारों ओर से विकराल आँधियों में घिरे होने के उपरांत भी हिंदू हृदय में इस नन्हे-से दिए की लौ टिमटिमाती रही!

वर्षों पहले मैं अपने बड़े भाई के साथ कैंटोनमेंट एरिया में गया था। एक अधेड़ सैनिक ने मेरे बड़े भ्राता, जो कि उस समय मेजर थे, को देखकर छाती निकालकर ‘राम राम’ कहा ।

मैं आश्चर्य और आनंद से स्तब्ध खड़ा रह गया। 

सेना के सब अफ़सर, इनकी स्त्रियां, इनके बच्चे आपस में अंग्रेज़ी में बात करते हैं, किंतु साधारण सैनिकों ने राम का नाम आग्रहपूर्वक जीवित रखा हुआ है- और यहीं से स्पष्ट हो जाता है कि यद्यपि विदेशी दरिंदों ने हमारे आराध्य भगवान राम का मंदिर नष्ट कर दिया, श्री राम की जन्मभूमि हम से हथिया ली, पर हिन्दू जनमानस से राम व रामनाम को वे नहीं मिटा पाए ।

जो राम जन्मभूमि और मंदिर रूप में हमसे छिन गए, उसे तत्व बनाकर हमने अपनी आत्मा में प्रवाहित कर लिया।

जन्म के समय के मंगल गीत से लेकर विवाह संस्कार व चिता की अग्नि में शरीर के समर्पण तक राम-नाम का सत्य ही हिन्दुओं का उद्घोष बन गया। संसार का कोई आक्रमण हृदय में बैठे राम को नहीं मिटा सकता था, यह सत्य हमारे पुरखों को ज्ञात था, तथा इस तथ्य का भरपूर उपयोग हमारे पुरखों ने धर्म की रक्षा हेतु किया।

एक कहानी यह भी: भए प्रगट कृपाला: 70 साल पहले आधी रात हुई अलौकिक रोशनी, भाइयों संग प्रकट हुए रामलला

समकालीन मानव समाज में जब कि हर बात स्थूल से स्थूलतर होती जा रही है तब इतनी सूक्ष्म बात को जनमानस में उतार कर प्रत्यक्ष जीवित रखना हिन्दू समाज की एक विलक्षण खोज है। नेतृत्वहीन, निर्धन, निराश्रित हिन्दू विश्व के सबसे क्रूर धर्मावलम्बियों के सामने किस आत्मबल से डटे रहे, यह भी मनोवैज्ञानिकों व इतिहासकारों के लिए शोध का विषय हो सकता है। 

इस्लामी आक्रान्ताओं ने भारतीय उपमहाद्वीप में हज़ारों मंदिरों को धूल-धूसरित कर उन पर मस्जिदें खड़ी कीं। पर हमारे ऋषियों, मठाधीशों, व गुरुओं ने तीन पवित्रतम स्थानों पर काल की धूल नहीं जमने दी। वे थे शिव की काशी, मथुरा की कृष्ण जन्मभूमि  व राम जन्मभूमि। 

हिन्दुओं के लिए ये तीन स्थान कभी महज़ भूखंड नहीं, बल्कि सनातन हिन्दू धर्म का मर्मस्थल रहे हैं।  हिन्दू मानस सब आक्रमण सह कर भी इन भूखंडों पर समझौते को कभी राज़ी नहीं हुआ। 

हिन्दू धर्म में ज्योतिष के अनुसार धरती का बहुत अधिक महत्व होता है। ज्यामिति का कोण, वास्तुकला, सूर्य के साथ संबंध, भूखंड की भौगोलिक स्थिति को विशेष प्राथमिकता दी जाती है। इसलिए कोई भी भूखंड सनातन धर्म में धरती का एक टुकड़ा न होकर ईश्वरीय तत्व के अवतरण का स्थान माना गया है।

इस नियम के आधार पर इन तीनों पवित्रतम स्थानों के अधिग्रहण पर स्वीकृति नहीं दी जा सकती थी।

यदि श्रीराम जन्मभूमि की संदर्भ में बात करें तो वहाँ पाँच सौ साल के अनवरत संघर्ष में हज़ारों हिन्दू व सिख वीरों ने राम जन्मभूमि की मुक्ति के लिए सतत् संघर्ष किया। गोस्वामी तुलसीदास जैसे भक्त कवियों ने अपनी कविताओं द्वारा राम को जीवित रखा। विभिन्न जातियों के हिन्दुओं ने एक सनक की तरह श्रीराम जन्मभूमि पर हिन्दुओं के अधिकार को तिरोहित नहीं होने दिया, क्यूंकि अपने अंतर्मन में हर हिन्दू यह बात जानता था कि श्री राम व राम का नाम हिन्दू धर्म की आत्मा हैराम गए तो हिन्दू धर्म नहीं बचेगा। 

यह चमत्कार उस अज्ञात हिंदू के कारण हुआ जिसकी सहर्ष श्रद्धा को कोई विदेशी आक्रांता, कोई हिंसा, कोई प्रताड़ना, नहीं चुका पाई। वह अज्ञात हिन्दू, जिसने अपने बच्चों को बाबरी मस्जिद के नीचे राम जन्मभूमि होने का विस्मरण नहीं होने दिया। वह अज्ञात हिन्दू, जिसने जगह-जगह इस बात का विवरण लिखा। वह अज्ञात हिन्दू, जो सतत इसी राम जन्मभूमि के पास रामलला की पूजा करता रहा ।

वह अज्ञात निहंग सिख जिन्होंने 19 वी शताब्दी के मध्य में रामजन्मभूमि पर सशस्त्र आक्रमण कर उसे मुक्त किया। वह अज्ञात हिन्दू, जिसने ब्रिटिश राज के सामने राम जन्मभूमि की मुक्ति के लिए मुक़द्दमे दर्ज किए। वह अज्ञात हिन्दू, जिन्होंने विभाजन के समय सफल नेतृत्व देकर राम जन्म भूमि सरकार द्वारा अधिग्रहित नहीं होने दी।

वह अज्ञात हिन्दू कार सेवक, जो लाखों की संख्या में अयोध्या पहुँचा तथा मुलायम सिंह की पुलिस के द्वारा गोलियाँ व लाठी खाकर वीरगति को प्राप्त हुआ। वह अज्ञात हिन्दू, जिसने सवा रुपया व एक ईंट अपने घर से अयोध्या भेजी थी। इन्हीं अज्ञात हिन्दुओं के सामूहिक चैतन्य व त्याग के फलस्वरूप आज राम जन्मभूमि पूर्णतया मुक्त हो गई है।

जिस दिन इस भव्य मंदिर का निर्माण होगा, तो उस दिन विश्व को जो दृष्टिगोचर होगा वह ईंट पत्थर के बने मंदिर से कहीं अधिक होगा। वह एक स्मारक होगा इस भयंकर धार्मिक उत्पीड़न के सम्मुख मनुष्य  के अदम्य साहस का। वह आश्रय होगा पीढ़ियों से निराश्रित समाज का। वह एक प्रतीक होगा कि किस प्रकार विश्व में प्रताड़ित होने के उपरांत भी अपनी खोई हुई धरोहर को पुनः अर्जित किया जा सकता है। 

सारे विश्व के हिन्दुओं के लिए यह श्रद्धा, आशा व शौर्य का केंद्र होगा। 

इस्लामी आक्रान्ताओं द्वारा अपने मंदिरों के नष्ट होने की पीड़ा की यात्रा में हिन्दुओं ने डिनायल से लेकर आक्रोश तक की यात्रा की है। इस पीड़ा ने हिन्दू समाज को अधिक लचीला, शक्तिशाली व ब्रिटिश साम्राज्यवाद अत्याचार के विरुद्ध खड़े होने में सहायक बनाया है।

यही समय है कि हम अपने दृढ़ निश्चय को पहचानें। सनातन धर्म के प्रति ख़ूब आस्था को पुनः इंगित करें। वह आस्था, वह श्रद्धा जो हमारे रक्त और हमारी हड्डियों में समाई हुई है। हमारे वेदों, शास्त्रों, सद्गुरुओं व कर्मकांडों ने हमारे चित्तों में एक अखंड ज्योति का एक बीजारोपण किया है जो कितनी भी क्षीण हो गई हो, पर बुझाई ना जा सकी। वह ज्योति जो हर बार गिरने के बाद हमें फिर संभलकर खड़ा होने को उद्यत करती है।

तो राम जन्मभूमि स्थल की विशेषता क्या है ? 

राम जन्मभूमि, राम का जन्मस्थान होने के अतिरिक्त सामूहिक हिन्दू स्मृति व चेतना में एक पवित्रतम  स्थान है, जो कभी मरा नहीं और आज जिसने दर्शा दिया वह स्थान कभी मिटाया नहीं जा सकता। हमें मूर्तिपूजक कह कर हमारा उपहास करने वाले मतांधों को भी हिन्दुओं ने दिखा दिया कि हम उस रिक्त स्थान के लिए भी कट मर सकते हैं। 

वह रिक्त स्थान हर हिन्दू हृदय में एक विशेष कोना बन गया। राम जन्मभूमि का मुक़दमा कदाचित इतिहास में सबसे दीर्घकालीन मामलों में से एक होगा। 

परंतु यह एक और कारण के चलते बहुत महत्वपूर्ण है। राम जन्मभूमि का मामला एक आपराधिक नरसंहार का है जिसका एकमात्र लक्ष्य हिन्दुओं की धर्म व संस्कृति का समूल नाश था। लेकिन हिन्दूओं ने अपनी संस्कृति का नाश नहीं होने दिया। 

संसार के सबसे क्रूर व धनी हत्यारों व सबसे धूर्त वामपंथियों के चंगुल से राम जन्मभूमि को छुड़ाना ऐसे ही है जैसे मगरमच्छ के मुँह से उसका निवाला छीनना। हिन्दुओं ने अपनी सामूहिक चेतना व आग्रह के दम पर असम्भव को भी कर दिखाया है। 

पाकिस्तान में बसने वाले हिन्दू भी इसी सामूहिक चेतना का ज्वलंत उदाहरण हैं। मैंने जब भी पाक से विस्थापित हिन्दुओं से पूछा कि आप लोग अपना धर्म परिवर्तित क्यूँ नहीं करते, तो एक तीरथ राम मेघवाल सहजता से मेरी ओर देखकर बोला, “बाप-दादों का धर्म ऐसे कैसे छोड़ दें साहब?” 

आज मुझे तीरथ राम की बात समझ आई है कि क्यूँ हिन्दू धर्म सत्य सनातन है। आज समझ आया है कि जब तक आकाश में सूर्य उदय हो रहा है, सनातन हिन्दू धर्म जीवित रहेगा। आज समझ आया कि राम का ‘तत्व’ ही वह सत्य है जो काल की गति को पराजित कर पुनर्जीवित हो सकता है। राम का ‘तत्व’ ही वह शाश्वत धारा है जिसने हिन्दू समाज को विषम-से-विषम परिस्थिति में भी स्पंदित व जीवित रखा है, तथा सदैव रखेगी। 

जय श्री राम…

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

Omendra Ratnu
Omendra Ratnuhttp://nimittekam.org/
Jaipur based Doctor, working for Pakistani Hindus and Dalit Sahodaras (brothers) via Nimittekam. Public speaker, and a singer.

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

जेल में रहते हुए चुनाव लड़ सकते हैं कैदी, लेकिन नहीं डाल सकते वोट: आखिर ऐसा क्यों? जानिए क्या कहता है कानून

लोगों का कहना है कि जब जेल में रहते हुए चुनाव लड़ सकता है तो जेल में रहते हुए वोट क्यों नहीं डाल सकता है। इसको लेकर अपने-अपने नियम हैं।

आईपीएल 2024 : हाई स्कोरिंग मैचों पर हंगामा क्यों? एंटरटेनमेंट के लिए ही तो बना है शॉर्ट फॉर्मेट, इंग्लैंड का हंड्रेड पसंद, IPL में...

ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी जेक फ्रेजर-मैक्गर्क इस मैच में 27 गेदों पर 84 रन बनाकर आठवें ओवर में ही आउट हो गए।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe