Sunday, December 22, 2024
Homeविविध विषयमनोरंजनमेरा एक बाप ईसाई, दूसरा बाप मुस्लिम... तो मैं किस मजहब की?: दिया मिर्ज़ा...

मेरा एक बाप ईसाई, दूसरा बाप मुस्लिम… तो मैं किस मजहब की?: दिया मिर्ज़ा के CAA विरोध का उड़ा मजाक

"मेरी माँ हिन्दू है। मेरे बायोलॉजिकल पिता ईसाई थे। मेरे दूसरे पिता (Adopted) मुस्लिम हैं। मैंने किसी भी डॉक्यूमेंट में अपने मजहब का नाम नहीं भरा। मैं रिलिजन वाला कॉलम खाली छोड़ देती हूँ। क्या मैं भारतीय हूँ या नहीं?"

फ़िल्म अभिनेत्री दिया मिर्ज़ा ने सोशल मीडिया पर एक पजल टाइप का सवाल दागा है। यह सवाल कुछ उसी तरह का है कि गाय को 5 किलो चारा खिलाया गया तो मुर्गी अंडा कितने ग्राम का देगी? दरअसल, पूर्व मिस एशिया पैसिफिक दिया मिर्ज़ा ने संशोधित नागरिकता क़ानून का विरोध करते हुए इसी तरह का बेतुका सवाल दागा। इसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने आशंका जताई कि इसके पीछे दो कारण हो सकते हैं। पहला कारण ये हो सकता है कि उन्होंने नए क़ानून को पढ़ने की जहमत ही नहीं उठाई और दूसरा कारण ये हो सकता है कि उन्हें पढ़ कर भी कुछ समझ नहीं आया।

इसीलिए, ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की भारती जैन ने ‘रहना है तेरे दिल में’ से फिल्मों में डेब्यू करने वाली दिया मिर्ज़ा को उस आर्टिकल का लिंक दिया, जहाँ सीधे-सपाट शब्दों में सीएए के बारे में समझाया गया है। दिया मिर्ज़ा के ट्वीट को उन्हीं के शब्दों में हूबहू डिकोड करते हैं, ये देखिए:

  • मेरी माँ हिन्दू है।
  • मेरे बायोलॉजिकल पिता ईसाई थे।
  • मेरे दूसरे पिता (Adopted) मुस्लिम हैं।
  • मैंने किसी भी आधिकारिक डॉक्यूमेंट में अपने मजहब का नाम नहीं भरा है। मैं रिलिजन वाला कॉलम खाली छोड़ देती हूँ।
  • क्या धर्म ये निर्णय लेगा कि मैं भारतीय हूँ या नहीं? मैं आशा करती हूँ कि ऐसा नहीं होगा।

इस पजल को पढ़ने के बाद आपको ये पता लगाना है कि दिया मिर्ज़ा भारतीय हैं या नहीं। अब थोड़ी गंभीर बातें कर लें। दरअसल, सीएए से भारतीय नागरिकों का कोई लेना-देना नहीं है। इसका भारतीय नागरिकों के धर्म या मजहब से भी कोई वास्ता नहीं है। सीएए तो भारत के नागरिकों के लिए है ही नहीं। फिर उनसे दस्तावेज माँग कर नागरिकता साबित कराए जाने की बात कहाँ से आई? दरअसल, सीएए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान के उन प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के लिए है, जो वहाँ से भाग कर भारत आ गए और यहाँ पिछले 5 वर्षों से या इससे अधिक समय से रह रहे हैं।

बता दें कि दिया मिर्ज़ा के दो पिता इसीलिए हैं क्योंकि जब वो साढ़े 4 वर्ष की थीं, तभी उनके माता-पिता का तलाक हो गया था। इसके बाद उनकी माँ ने अहमद मिर्ज़ा से दूसरी शादी की थी। दिया मिर्ज़ा ने 2014 में साहिल संगा से शादी की थी लेकिन 5 सालों बाद वो भी अपने शौहर से अलग हो गईं। ऐसा नहीं है कि हम उनके व्यक्तिगत जीवन की बातें कर रहे हैं। उन्होंने ख़ुद सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा की है। इस एक ट्वीट से पता चल जाता है कि जामिया के उपद्रवियों का समर्थन कर रहे इन सेलेब्रिटीज में सीएए को लेकर कितनी समझ है।

कत्लेआम और 1 लाख हिन्दुओं को घर से भगाने वाले का समर्थन: जामिया की Shero और बरखा दत्त की हकीकत

‘मस्जिदों से ऐलान हुआ, पहले से पता था कि क्या करना है’ – दिल्ली में उपद्रव और दंगों के पीछे मुल्ला-मौलवी?

CAA और NRC पर फरहान गैंग के हर झूठ का पर्दाफाश: साज़िश का जवाब देने के लिए जानिए सच्चाई

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।

जिस संभल में हिंदुओं को बना दिया अल्पसंख्यक, वहाँ की जमीन उगल रही इतिहास: मंदिर-प्राचीन कुओं के बाद मिली ‘रानी की बावड़ी’, दफन थी...

जिस मुस्लिम बहुल लक्ष्मण गंज की खुदाई चल रही है वहाँ 1857 से पहले हिन्दू बहुतायत हुआ करते थे। यहाँ सैनी समाज के लोगों की बहुलता थी।
- विज्ञापन -