मध्य प्रदेश में जारी सियासी ड्रामे का पटाक्षेप सोमवार को होने की उम्मीद कम होती दिख रही है। राज्यपाल ने कमलनाथ सरकार को बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था। लेकिन फ्लोर टेस्ट होने पर संशय बना हुआ है। इस बीच कॉन्ग्रेस के बागी विधायकों ने फिर से विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा भेजा है। उन्होंने कहा है कि जैसे उनके 6 साथियों के इस्तीफे स्वीकार किए गए हैं, उसी तरह उनके इस्तीफे को भी कबूल किया जाए। हालॉंकि विधानसभा अध्यक्ष ने खबर लिखे जाने तक न तो फ्लोर टेस्ट पर और न ही विधायकों के इस्तीफे को लेकर अपना रुख स्पष्ट किया था।
फ्लोर टेस्ट से पहले रविवार रात तक बीजेपी और कॉन्ग्रेस के नेता अपने-अपने विधायकों के साथ बैठकों में व्यस्त थे। गुरुग्राम से बीजेपी के विधायक रात में भोपाल के लिए निकले। जयपुर से कॉन्ग्रेस के विधायक भी पहुॅंच गए हैं। भोपाल पहुॅंचते ही सभी विधायकों का कॉन्ग्रेस ने कोरोना वायरस को लेकर स्क्रीनिंग करवाई। विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन की कार्यसूची में फ्लोर टेस्ट का उल्लेख नहीं किया गया है। रविवार शाम जारी कार्यसूची में सिर्फ राज्यपाल के अभिभाषण की बात कही गई है।
Madhya Pradesh: The list of business of the State Assembly for tomorrow has schedule for Governor Lalji Tandon's address and Motion of Thanks towards the Governor's address. It does not mention the floor test. pic.twitter.com/3oreHrWnjP
— ANI (@ANI) March 15, 2020
16 बागी कॉन्ग्रेस विधायकों ने फिर से स्पीकर को अपना इस्तीफा भेजा है। 5 दिनों के भीतर यह दूसरा मौका है जब इन विधायकों ने इस्तीफा भेजा है। ये विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं। कॉन्ग्रेस छोड़ सिंधिया ने बीते दिनों बीजेपी का दामन थामा था। उनके इस्तीफे के बाद 22 विधायकों ने बगावत कर दी थी। इनमें से 6 का ही इस्तीफा स्पीकर ने स्वीकार किया है। विधानसभा स्पीकर का कहना है, “मैं उन विधायकों का इंतजार कर रहा हूॅं जिन्हें किसी न किसी माध्यम से मुझे इस्तीफे भेजे हैं। वे मुझसे सीधे संपर्क क्यों नहीं करते। विधानसभा के सदस्यों के साथ जो हो रहा है उससे मैं चिंतित हॅं। ये स्थिति राज्य में लोकतंत्र पर सवाल उठाती है।”
फ्लोर टेस्ट से जुड़े सवालों को काल्पनिक बताते हुए स्पीकर ने जवाब देने से इनकार कर दिया है। राज्य के राजनीतिक गलियारों में कोरोना की भी जोर-शोर से चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि कोरोना संक्रमण का हवाला दे कर भी सरकार बहुमत परीक्षण टालने के रास्ते तलाश रही है। कमलनाथ सरकार में मंत्री प्रदीप जायसवाल ने फ्लोर टेस्ट पर किए गए सवाल का जवाब देते हुए कहा, “हमारे पास बहुमत है। मगर कल फ्लोर टेस्ट हो ये जरूरी नहीं। अभी तो कोरोना चल रहा है।”
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं। दो विधायकों का निधन हो चुका है और छह के इस्तीफे स्पीकर ने स्वीकार कर लिए हैं। ऐसे में सरकार बचाने के लिए कमलनाथ सरकार को 112 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। भाजपा के 107 और कॉन्ग्रेस के 108 विधायक हैं। 7 गैर कॉन्ग्रेसी-गैर भाजपाई विधायकों में से 4 निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा का है। यदि बागी 16 विधायकों नहीं माने तो कमलनाथ सरकार की विदाई तय है। ऐसे में राज्य सरकार की कोशिश है कि किसी तरह फ्लोर टेस्ट टल जाए जिससे उसे इन विधायकों को मनाने के लिए और समय मिल जाए।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में कॉन्ग्रेस पर संकट मंडराने के बाद छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, झारखंड से भी कांग्रेस विधायकों के बीच असंतोष की खबरें सामने आ चुकी है। गुजरात में कॉन्ग्रेस के पॉंच विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के डर से पार्टी ने कई विधायकों को राजस्थान भेज दिया है। राज्यसभा उम्मीदवारी को लेकर राजस्थान और झारखंड में भी असंतोष दिख रहा है। ऐसे में कमलनाथ सरकार यदि गिरी तो इसका असर इन राज्यों की राजनीति पर भी पड़ना तय है।