तबलीगी जमात वालों ने पूरे भारत में कोरोना वायरस के प्रकोप को और बढ़ा दिया। एक तरह से दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज़ मस्जिद से निकल कर जमाती भारत के विभिन्न राज्यों में पहुँचे और वो वहाँ के मुस्लिम बहुल इलाक़ों में छिपे रहे। बिहार में भी कई मस्जिदों में जमाती छिपे हुए थे, जिन्हें एक-एक कर निकाला गया। इस दौरान मस्जिदों ओर मुस्लिम बहुल इलाक़ों में सर्च के लिए गई पुलिस टीम पर हमले भी हुए। मधुबनी में फायरिंग की गई।
सबसे पहले तो बात पटना की। यहाँ 14 विदेशी नागरिक एक मस्जिद में छिपे मिले। पटना का नूरी मस्जिद एक तरह से बिहार में जमातियों का मुख्यालय है। जब पुलिस-प्रशासन वहाँ पहुँचा तो वो सभी ख़ुद को स्वस्थ बताने लगे और मेडिकल टेस्ट से भी आनाकानी की। बाद में सभी विदेशी नागरिकों का मेडिकल टेस्ट कराया गया। ये सभी 15 दिनों तक उस मस्जिद में छिपे हुए थे। इनमें से कई ने बताया कि वो दिल्ली से पटना पहुँचे थे। उन सभी का पुराना ट्रेवल रिकॉर्ड मिला था।
इसी तरह बारा में भारत-नेपाल बॉर्डर पार करने की कोशिश कर रहे 9 मौलानाओं को पुलिस ने पकड़ लिया था। पता चला था कि ये सभी आसपास के इलाकों की मस्जिदों में छिपे हुए थे। सभी मौलाना तबलीगी जमात के मजहबी कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर लौटे थे। उन्होंने बहाना बनाया था कि वो लॉकडाउन की वजह से यहाँ पर फँस गए हैं। जिन मौलानाओं को पकड़ा गया, वो सभी मटीअरवा गाँव के नजदीक ‘नो मैंस लैंड’ पार कर नेपाल में प्रवेश करने का प्रयास कर रहे थे। इन सबको आइसोलेट किया गया।
अररिया के जामा मस्जिद से भी 9 लोग पकड़े गए थे। मेडिकल टेस्ट कराने के बाद सबको क्वारंटाइन किया गया। एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी लेकिन बाद में पता चला कि उसकी मौत कोरोना के कारण नहीं बल्कि प्राकृतिक मृत्यु हुई थी। ये सभी मलेशिया से आए थे। इसी तरह किशनगंज के 13 लोग मिले थे, जिन्हें वहीं के एक मस्जिद में क्वारंटाइन किया गया था।
मधुबनी की बात करें तो वहाँ अंधराठाढ़ी थाना के गीदरगंज गाँव से चार जमाती और रुद्रपुर थाना क्षेत्र के हरना गाँव की एक मस्जिद से 11 बंगाली जमातियों को क्वारंटाइन किया गया था। अंधारठाढ़ी में पुलिस पर हमला भी किया गया था। इन सभी को क्वारंटाइन करने के बाद पुलिस ने मस्जिद को भी सैनिटाइज किया। ब्लीचिंग पाउडर और केमिकल्स के साथ पूरे इलाक़े में अग्निशमन विभाग को लगाया गया था।
कोरोना जैसी महामारी का भी उपयोग तब्लीगी जमात ने देश को तबाह करने के लिए किया है।
— Vijay Shankar Tiwari (@VijayVst0502) April 1, 2020
निजामुद्दीन के मरकज में अवैध रुकना,बसों में थूकना, केरल,बिहार,रांची,कोलकाता की मस्जिदों में विदेशी कोराना इंफेक्टेड लोगों को बुलाना यह सब इस्लामिक प्रयोग है।
मधुबनी से सटे दरभंगा जिले में भी 10 मौलवी आए थे, जिन्होंने क़रीब एक दर्जन मस्जिदों में भाषण दिया था। ये सभी 15 मार्च के आसपास दिल्ली से ट्रेन के माध्यम से दरभंगा पहुँचे थे। इन लोगों को स्थानीय स्तर पर सुविधा दिलाने और ठहराने में शामिल एक वार्ड पाषर्द समेत कुछ नामी लोगों को भी पुलिस ने अपने रडार पर लिया था। इसी तरह मोतिहारी के भी एक मौलवी को पकड़ के क्वारंटाइन किया गया था।