Sunday, September 8, 2024
Homeरिपोर्टराष्ट्रीय सुरक्षाचीन से लगी LAC पर माउंटेन फोर्स की तैनाती, ऊँचाई वाले इलाके में गुरिल्ला...

चीन से लगी LAC पर माउंटेन फोर्स की तैनाती, ऊँचाई वाले इलाके में गुरिल्ला युद्ध करने में हैं दक्ष

"पहाड़ों पर युद्ध करना खासा मुश्‍किल होता है। माउंटेन फोर्स को खास इसी तरह के इलाके में युद्ध के लिए ट्रेंड किया जाता है। ये उत्तराखंड, लद्दाख, गोरखा, अरुणाचल और सिक्‍किम की पहाड़ियों में युद्ध करने में माहिर हैं। माउंटेन फोर्स की तैनाती से सेना को बड़ी ताकत मिली है।"

गलवान में चीनी धोखे के बाद भारत अब उससे लगती सीमा पर सेना की तैनाती लगातार बढ़ा रहा है। इसी कड़ी में माउंटेन फोर्स की तैनाती 3488 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर की गई है। माउंटेन फोर्स के जवान ऊँचाई वाले इलाके में गुरिल्ला युद्ध करने में खास तौर से निपुण होते हैं।

हिंदुस्तान टाइम्स ने शीर्ष आधिकारिक सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है। सूत्रों ने सेना को चीनी सेना कि किसी भी हरकत का जवाब देने का आदेश दिया गया है। माना जाता है कि माउंटेन फोर्स के जवानों को भारत ने पिछले दशकों में उत्तरी फ्रंट पर लड़ने के लिए प्रशिक्षित किया है। चीनी सेना जहॉं सड़क के रास्ते सैन्य साजो-सामान सीमा पर ला रहे हैं, वहीं माउंटेन फोर्स का दस्ता ऊँचाई वाले इलाके में गुरिल्ला युद्ध के लिए ट्रेंड होते हैं, जैसा हम करगिल के युद्ध में देख चुके हैं।

एक पूर्व आर्मी चीफ के हवाले से बताया गया है, “पहाड़ों पर युद्ध करना खासा मुश्‍किल होता है। माउंटेन फोर्स को खास इसी तरह के इलाके में युद्ध के लिए ट्रेंड किया जाता है। ये उत्तराखंड, लद्दाख, गोरखा, अरुणाचल और सिक्‍किम की पहाड़ियों में युद्ध करने में माहिर हैं। पहाड़ों पर आर्टिलरी और मिसाइल के निशाना चूक जाने की आशंका अधिक होती है। ऐसे में माउंटेन फोर्स की तैनाती से सेना को बड़ी ताकत मिली है।”

इंडिया टुडे ने एक अधिकारी के हवाले से बताया है कि प्वाइंट 14 को लेकर हुई लड़ाई के बाद से गलवान घाटी और पैंगोंग लेक में दोनों देशों के बीच तनाव जारी है। 15 जून के बाद से स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। दोनों सेनाओं के बीच विश्वास की कमी आई है। यहाँ निचले हिस्सों में टैंक और तोपों की भी तैनाती की गई है।

भारत ने किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए सभी विकल्पों को खोल दिया है। साथ ही अपनी सेना को खुली छूट दी है। इससे साफ है कि भारत पैंगोंग लेक में विशेष अभियान शुरू कर सकता है।

लेह के रिटार्यड कर्नल सोनम वांगचुक ने कहा कि हमें लद्दाख स्काउट्स की बटालियनों को और बढ़ाना चाहिए, क्योंकि स्काउट्स के सैनिक इस क्षेत्र से संबंधित हैं, वे जगह और पर्यावरण के अनुकूल हैं और इलाके से परिचित भी हैं जो हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

आपको बता दें कि 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुई हिंसक झड़क में भारत के 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए थे। इसके बाद से ही सीमा पर तनाव जारी है। भारत ने अपने सैनिकों को खुली छूट देते हुए तीनों सेनाओं को हथियार खरीदने के लिए 500 करोड़ रुपए के आपात फंड को भी मंजूरी दी।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ग्रामीण और रिश्तेदार कहते थे – अनाथालय में छोड़ आओ; आज उसी लड़की ने माँ-बाप की बेची हुई जमीन वापस खरीद कर लौटाई, पेरिस...

दीप्ति की प्रतिभा का पता कोच एन. रमेश को तब चला जब वह 15 वर्ष की थीं और उसके बाद से उन्होंने लगातार खुद को बेहतर ही किया है।

शेख हसीना का घर अब बनेगा ‘जुलाई क्रांति’ का स्मारक: उपद्रव के संग्रहण में क्या ब्रा-ब्लाउज लहराने वाली तस्वीरें भी लगेंगी?

यूनुस की अगुवाई में 5 सितंबर 2024 को सलाहकार परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इसे "जुलाई क्रांति स्मारक संग्रहालय" के रूप में परिवर्तित किया जाएगा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -