Sunday, May 5, 2024
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ट्रेनिंग के लिए पैसे नहीं? खर्च उठाने को स्टार धावक दुती चंद को बेचनी पड़ी अपनी BMW कार: फैक्ट चेक

दुती चंद अपनी BMW कार बेच रही हैं। ताकि अगले साल होने वाले टोक्यो ओलम्पिक की तैयारी कर सकें। "जब हमारे खिलाड़ी जीतते हैं, सिस्टम के बिना जीतते हैं, उसके कारण नहीं।" - मीडिया ने इसी तरह से इस खबर को भावुक एंगल दिया लेकिन सच वो है, जो खुद दुती ने आकर बताई।

भारत की स्टार महिला धावक दुती चंद को लेकर मीडिया में एक खबर बड़े स्तर पर शेयर की जा रही है। इसमें दावा किया जा रहा है कि दुती चंद अगले साल होने वाले टोक्यो ओलम्पिक की तैयारी के लिए धन के अभाव में अपनी कार बेच रही हैं।

दुती चंद ने इस मुद्दे पर एक ट्वीट के जरिए अपना स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि इस फैसले और उनके प्रशिक्षण का पैसे की कमी से कोई लेना-देना नहीं है और यह उनका व्यक्तिगत फैसला था।

दुती चंद ने कहा कि उन्होंने अपनी बीएमडब्ल्यू कार इसलिए बेचीं क्योंकि वह कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (केआईआईटी) और ओडिशा सरकार पर बोझ नहीं डालना चाहतीं और वह लग्ज़री कार का रखरखाव करने में भी असमर्थ हैं।

दरअसल, दुती चंद ने हाल ही में अपने फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट किया था कि वह अगले साल होने वाले टोक्यो ओलम्पिक की तैयारी के लिए अपनी कार बेच रही हैं। हालाँकि, बाद में यह पोस्ट हटा दीं लेकिन इस पोस्ट के बाद इस विषय पर कई नामी हस्तियों ने भी ट्वीट किए।

दुती के स्पष्टीकरण से पहले पूर्व टेनिस खिलाड़ी सोमदेव देवबर्मन ने अपने ट्विटर अकाउंट पर दुती चंद की कार बेचने की खबर शेयर करते हुए लिखा, “जब हमारे खिलाड़ी जीतते हैं, सिस्टम के बिना जीतते हैं, उसके कारण नहीं।”

अखबार की एक फ़ेक कटिंग के जरिए मीडिया और सोशल मीडिया पर यह साबित करने का प्रयास किया जा रहा था कि प्रशासन अपने देश के खिलाड़ियों की ट्रेनिंग और आवश्यकताओं का ध्यान नहीं रखता। सोशल मीडिया पर कार बेचने को लेकर चल रहे कयासों पर विराम लगाते हुए दुती चंद ने बुधवार (जुलाई 15, 2020) को अपनी बात सामने रखते हुए लिखा –

“मैंने अपनी बीएमडब्ल्यू कार को बेचने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। मेरे पास लग्ज़री कार के रखरखाव के लिए संसाधन नहीं है। हालाँकि, मैं उससे अभी भी बहुत प्यार करती हूँ। मैंने कभी यह नहीं कहा कि मैं इसे अपने प्रशिक्षण के लिए बेच रही हूँ।”

स्टार महिला धावक ने कहा, “ओडिशा सरकार और मेरे अपने केआईआईटी विश्वविद्यालय ने हमेशा मेरा समर्थन किया है। इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि मेरा प्रशिक्षण बहुत महँगा है, खासकर 2021 ओलंपिक के लिए। मैं केवल यह चाहती थी कि यह पैसा मेरे प्रशिक्षण के लिए डायवर्ट किया जा सके और राज्य सरकार से धन प्राप्त करने के बाद COVID महामारी के बाद एक कार खरीदी जा सकती है।”

दुती चंद ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके पास हर संभव संसाधन है और वह किसी बड़े वित्तीय संकट का सामना नहीं कर रही हैं। साथ ही, दुती चंद ने ओडिशा खनन निगम (OMC) से अपने मासिक वेतन के बारे में चलाई जा रही मीडिया रिपोर्ट्स का भी खंडन करते हुए लिखा –

“ओएमसी से मेरा वेतन ₹60,000 है न कि ₹80,000। मैं शिकायत नहीं कर रही हूँ। कार खरीदने का फैसला निश्चित रूप से इंतजार कर सकता है। केआईआईटी विश्वविद्यालय, मेरी अल्मा मेटर मेरे साथ और मेरी सभी कठिनाइयों में मेरे साथ खड़ी रही। मैं सिर्फ केआईआईटी या ओडिशा सरकार पर बोझ नहीं बनना चाहती थी।”

उन्होंने कहा कि क्योंकि वह अभी कोई भी अंतरराष्ट्रीय यात्रा नहीं कर सकतीं, इसलिए वह अपना ट्रेनिंग प्लान पहले ओडिशा सरकार को भेजेगी और सरकार बेझिझक उन्हें इसकी इजाजत भी देगी।

अपनी कार बेचने के व्यक्तिगत निर्णय पर हो रहे बवाल से निराश दुती चंद ने लिखा – “लेकिन सिर्फ मानवीय आधार पर, क्या मैं खुद कुछ नहीं कर सकती? आत्मनिर्भर होने की मेरी इच्छा पर सवाल क्यों उठाया जाता है?”

इसे मीडिया की कारस्तानी बताते हुए दुती ने लिखा – “यह सिर्फ मीडिया द्वारा बनाया गया भ्रम है, मेरी भाषा की गलत व्याख्या (निश्चित रूप से मैं स्वीकार करती हूँ कि यह मेरी गलती नहीं है)। मैं केंद्र सरकार, राज्य सरकार और केआईआईटी के प्रति पूरा सम्मान रखती हूँ, जिन्होंने मुझे आज मैं जो कुछ भी हूँ, वह बनाया है।”

अंत में दुती चंद ने लिखा कि बीएमडब्ल्यू को बेचने का उनका इरादा संबंधित अधिकारियों से पर्याप्त धन नहीं मिलने की शिकायत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

उन्होंने लिखा – “मैं हाथ जोड़कर यह कहना चाहती हूँ कि मुझे न तो शिकायत थी और न ही मुझे धन की कमी का कोई कारण दिख रहा था क्योंकि मैं देश की बेटी हूँ और मेरे शुभचिंतक मेरा ध्यान रखने के लिए मौजूद हैं। मुझे कलिंग स्टेडियम में मेरे प्रशिक्षण के लिए आशीर्वाद दें ताकि अपने देश के लिए स्वर्ण प्राप्त करने का मेरा सपना सच हो।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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