Saturday, December 21, 2024
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टैक्स रिफॉर्म्स के लिए ‘विवाद से विश्वास’: खुलासा करने पर 70% तक की छूट, आय कर में पारदर्शिता

केंद्र सरकार के प्रति करदाताओं का भरोसा बढ़े, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईमानदार करदाताओं के लिए आज नई घोषणा की है। इसके साथ ही केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने...

केंद्र सरकार के प्रति करदाताओं का भरोसा बढ़े, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईमानदार करदाताओं के लिए आज नई घोषणा की है। इसके साथ ही केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आयकर विभाग के कामकाज को बेहतर बनाने एवं पारदर्शिता लाने के लिए हाल में कई तरह के कदम उठाए हैं।

आयकर को लेकर अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए विभाग की ओर से डॉक्युमेंट आइडेंटिफिकेशन नंबर की शुरुआत की गई है। इसी तरह आधिकारिक संवाद की सही पहचान सुनिश्चित करने के लिहाज से भी कई कदम उठाए गए हैं।

प्रत्यक्ष कर रिफॉर्म्स (Direct Tax Reforms)

टैक्‍स रिफॉर्म्‍स के तहत दरों में कमी करने और प्रत्यक्ष टैक्स कानूनों को आसान बनाने पर सरकार का जोर रहा है। आयकर विभाग के काम में दक्षता और पारदर्शिता लाने के लिए भी केंद्रीय प्रत्‍यक्ष कर बोर्ड (CBDT) की ओर से कई पहल की गई हैं।

कॉर्पोरेट टैक्स

यह सरकार की घोषित नीति रही है कि एक ही समय में करों की दरों को कम करते हुए छूट और इंसेंटिव को हटाकर आयकर अधिनियम, 1961 को सरल बनाया जाए। वित्त अधिनियम, 2016 से शुरू करते हुए, कॉर्पोरेट्स को मिलने वाली छूट और इन्सेंटिव्स को चरणबद्ध करते हुए धीरे-धीरे कॉर्पोरेट टैक्स रेट्स को कम कर दिया गया है।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने हाल के वर्षों में प्रत्यक्ष करों में कई बड़े टैक्‍स सुधार लागू किए हैं। पिछले वर्ष कॉरपोरेट टैक्स की दर को 30% से घटाकर 22% कर दिया गया था। साथ ही, नई विनिर्माण इकाइयों के लिए इस दर को और भी अधिक घटाकर 15% कर दिया गया।

पर्सनल इनकम टैक्स

इनकम टैक्‍स के कामकाज में दक्षता और पारदर्शिता लाने के लिए भी सीबीडीटी ने कई पहल की हैं। लंबित कर विवादों का समाधान प्रदान करने के उद्देश्य से विभाग ने प्रत्यक्ष कर ‘विवाद से विश्वास अधिनियम, 2020’ पेश किया है। इसके तहत वर्तमान में विवादों को निपटाने के लिए डेक्‍लेरेशन दाखिल किए जा रहे हैं।

डिविडेंड डिस्‍ट्रीब्‍यूशन टैक्‍स

‘डिविडेंड डिस्‍ट्रीब्‍यूशन टैक्‍स’ को भी हटा दिया गया है। फरवरी 01, 2020 को पेश किए बजट में केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (Dividend Distribution Tax) हटा दिया गया है। मौजूदा वित्त वर्ष में टैक्स का नियम पूरी तरह से बदल गया है। अब कंपनियों को डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स नहीं देना होगा, लेकिन अब ये टैक्स करदाताओं से वसूला जाएगा। इसका अर्थ यह होगा कि यह अब करदाताओं की कुल आमदनी में जुड़ जाएगा और उस पर स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा।

करदाताओं के लिए आसानी

फेसलेस एसेसमेंट और टैक्सपेयर्स चार्टर आज से लागू हो गए हैं। पीएम मोदी ने आज के सम्बोधन में कहा कि फेसलेस असेसमेंट स्कीम के जरिए टैक्स सिस्टम भले ही फेसलेस हो रहा है, लेकिन टैक्सपेयर को ये निष्पक्षता और निडरता का विश्वास देने वाला है। इस प्लेटफॉर्म में फेसलेस एसेसमेंट, फेसलेस अपील और टैक्सपेयर्स चार्टर जैसे बड़े रिफॉर्म हैं।

आयकर रिटर्न की पूर्व-भुगतान

टैक्स अनुपालन को अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए, व्यक्तिगत करदाताओं को पूर्व भुगतान (आईटीआर) प्रदान किया गया है। ITR फॉर्म में अब कुछ आय, जैसे कि वेतन आय के पूर्व-भुगतान विवरण शामिल हैं।

यानी, करदाताओं की सुविधा को देखते हुए आयकर विभाग ने आयकर रिटर्न की प्रि-फिलिंग की शुरुआत की है। इससे टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने में आसानी होती है। स्टार्टअप कंपनियों के लिए अनुपालन के नियमों को सरल बनाया गया है।

कोरोना वायरस की महामारी के बीच करदाताओं को कुछ राहत देने के लिए, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने हाल ही में वित्तीय वर्ष 2019 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा बढ़ा दी है। यानी, जिन लोगों ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए अपना आईटीआर दाखिल नहीं किया है, वे अब ऐसा सितंबर 2020 तक ऑनलाइन कर सकते हैं।

इससे पहले, सरकार ने पहले ही कई मौकों पर वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए एक आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की समय सीमा बढ़ा दी थी। पहली समय सीमा मार्च 31, 2020 से 30 जून और फिर जुलाई 31, 2020 तक करदाता इनकम टैक्स ई-फाइलिंग वेबसाइट के माध्यम से अपना रिटर्न ऑनलाइन दर्ज कर सकते हैं। अब करदाताओं को राहत देते हुए CBDT ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने की आखिरी तारीख नवंबर 30, 2020 निर्धारित की है।

‘विवाद से विश्वास’ स्कीम

केंद्र सरकार द्वारा आयकर से जुड़े सभी मामलों को जल्द निपटाने के लिए खास स्कीम ‘विवाद से विश्वास’ स्कीम (Vivad se Vishwas Scheme) शुरू की हुई है। इसके अंतर्गत, अगर टैक्सपेयर इसका खुलासा करता है कि उस पर एक्साइज और सर्विस टैक्स का बकाया है और वो उसे चुकाना चाहता है, तो सरकार उसको टैक्स में 70% (Rebate in tax) तक की छूट देगी। साथ ही, सरकार उसके बाद करदाता से ना कोई ब्याज वसूलती है, ना ही कोई जूर्माना वसूलती है।

सबका विश्वास स्कीम का मुख्य उद्देश्य पुराने मामले खत्म करना है। ऐसे में आम टैक्सपेयर्स पर कोई छापा नहीं पड़ेगा। इसका लाभ यह होगा कि अब टैक्सपेयर को विवाद से निपटने का मौका दिया जाएगा। यह स्कीम पुराने बकाया डिस्क्लोजर का मौका देता है। इस स्कीम को अलग-अलग 2 थ्रेसहोल्ड में बाँटा गया है- 50 लाख तक के स्लैब में 70% तक टैक्स छूट है जबकि 50 लाख तक स्लैब में सिर्फ 30% टैक्स लगेगा।

इसके अलावा, नई मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों के लिए इस दर को और भी अधिक घटाकर 15% किया गया और लाभांश वितरण टैक्स को भी हटाया गया। डिजिटल लेनदेन और भुगतान के इलेक्ट्रॉनिक मोड या तरीकों को बढ़ावा देने के लिए भी कई उपाय किए गए हैं। वहीं, विदेशों में जमा काले धन के प्रवाह को रोकने के लिए, काले धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) और कर अधिनियम, 2015 (काला धन अधिनियम) को लागू किया गया है।

‘ट्रांसपेरेंट टैक्सेशन: ऑनरिंग द ऑनेस्ट’

पीएम मोदी द्वार आज ‘ट्रांसपेरेंट टैक्सेशन: ऑनरिंग द ऑनेस्ट’ नामक प्लेटफॉर्म का उदघाटन किया गया है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह प्लेटफॉर्म 21वीं सदी के टैक्स सिस्टम की शुरुआत है, जिसमें फेसलैस एसेसमेंट,अपील और टैक्सपेयर्स चार्टर जैसे बड़े सुधार शामिल हैं।

पीएम मोदी ने कहा, “देश का ईमानदार टैक्सपेयर राष्ट्रनिर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। जब देश के ईमानदार टैक्सपेयर का जीवन आसान बनता है, वह आगे बढ़ता है, तो देश का भी विकास होता है, देश भी आगे बढ़ता है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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