Sunday, September 8, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीय'फ्रांस ने समुदाय को भड़काया': इमरान खान ने फेसबुक को पत्र लिखकर की बढ़ते...

‘फ्रांस ने समुदाय को भड़काया’: इमरान खान ने फेसबुक को पत्र लिखकर की बढ़ते इस्लामोफ़ोबिया को रोकने की माँग

इमरान खान ने बढ़ते इस्लामोफोबिया के मद्देनजर फेसबुक सीईओ को भी पत्र लिखा है। अपने पत्र में उन्होंने भारत और फ्रांस का हवाला देते हुए कहा है कि इन देशों में इस्लाम को निशाना बनाया जा रहा है।

कक्षा में पैगम्बर का चित्र दिखाने पर एक मजहबी छात्र द्वारा पेरिस में एक प्रोफेसर की हत्या के बाद फ्रांस की सरकार और वहाँ की जनता ने कट्टरपंथ का खुलकर विरोध किया है और इसे इस्लामी आतंकवाद का नाम भी दिया। ऐसे में, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को कट्टर बताते हुए उन पर इस्लाम पर हमला करने का आरोप लगाया है।

उन्होंने पैंगबर के चित्र पर जारी विवाद के मद्देनजर कहा कि मैक्रों ने इस्लाम की जानकारी न होने के बावजूद समुदाय के लोगों पर हमला किया व इस्लामोफोबिया को बढ़ावा दिया। पाक पीएम ने अपने ट्वीट में यह भी कहा कि यह समय संयम से काम लेने का था।

इमरान खान ने अपने ट्वीट में फ्रांसीसी राष्ट्रपति पर निशाना साधते हुए कल लिखा, “एक नेता की पहचान होती है कि वह इंसानों को एकजुट करता है, जैसा कि मंडेला ने लोगों को विभाजित करने की बजाय उन्हें एक करने पर जोर दिया। लेकिन एक आज का समय है, जब राष्ट्रपति मैक्रों देश से रेसिज्म, ध्रुवीकरण हटाने की बजाय अतिवादियों को हीलिंग टच और अस्वीकृत स्थान देने में लगे हैं, जो निश्चित रूप से उनकी कट्टरवादी सोच को दिखाता है।”

इमरान खान ने ट्वीट में यह भी लिखा, “यह दुखद है कि राष्ट्रपति मैक्रों ने विवादित कार्टून को बढ़ावा देते हुए जानबूझकर लोगों को भड़काने की कोशिश की है।”

पाक पीएम ने कहा कि इस समय फ्रांस राष्ट्रपति को संयम से काम लेते हुए कट्टरपंथियों को दरकिनार करने की रणनीति अपनानी चाहिए थी। लेकिन उन्होंने इस्लाम की जानकारी न होने के बावजूद समुदाय पर हमला करते हुए इस्लामोफोबिया को बढ़ावा देना चुना, जबकि उन्हें आतंक पर हमला करना चाहिए था।

इमरान खान के अनुसार, फ्रांस राष्ट्रपति ने यूरोप समेत पूरे विश्व के सैकड़ों लोगों की भावनाओं को आहत किया है। उन्होंने आखिरी में लिखा, “आखिरी चीज जिसे दुनिया चाहती है या जरूरत है, वह है कि दुनिया को ध्रुवीकरण और अज्ञानता की वजह से इस्लामोफोबिया पर सार्वजनिक बयान से बचना चाहिए, क्योंकि इससे उग्रवादियों के मन में और भी नफरत पैदा हो जाएगी।”

गौरतलब है कि 16 अक्टूबर को पेरिस में इतिहास के शिक्षक सैमुअल पैटी की कट्टरपंथी हमले में हत्या कर दी गई थी। उन्होंने अपनी कक्षा में छात्रों को पैगंबर का विवादित कैरिकेचर दिखाया था। इसके बाद ही एक 18 साल के युवक ने उन पर हमला बोल दिया और उनका सिर कलम कर दिया। इस घटना की निंदा करते हुए फ्रांस समेत पूरी दुनिया में शिक्षक के समर्थन में आवाजें उठने लगीं।

फ्रांस ने इस्लाम के सामने घुटने न टेकने का ऐलान किया। फ्रांस के ऑसिटैन क्षेत्र (Occitanie region) के दो टाउन हॉल मोंटपेलियर (Montpellier) और टूलूज़ (Toulouse) के बाहर शिक्षक सैम्युएल पैटी को याद करते हुए और अभिव्यक्ति की आजादी का समर्थन करने के लिए पैगम्बर मोहम्मद के उन कार्टूनों का 4 घंटे तक प्रदर्शन किया गया, जिनको लेकर शार्ली एब्दो के कर्मचारियों का 2015 में नरसंहार किया गया था। सबसे पहले इन कार्टूनों का प्रकाशन शार्ली हेब्दो पत्रिका में ही किया गया था

बढ़ते ‘इस्लामोफ़ोबिया’ को रोकने के लिए इमरान ने लिखा फेसबुक को पत्र

यहाँ बता दें कि इमरान खान ने इस्लामोफोबिया के मद्देनजर फेसबुक सीईओ को भी पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने इस्लामोफोबिया को फेसबुक पर बैन करने की माँग की है। अपने पत्र में उन्होंने भारत और फ्रांस का हवाला देते हुए कहा है कि इन देशों में इस्लाम को निशाना बनाया जा रहा है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ग्रामीण और रिश्तेदार कहते थे – अनाथालय में छोड़ आओ; आज उसी लड़की ने माँ-बाप की बेची हुई जमीन वापस खरीद कर लौटाई, पेरिस...

दीप्ति की प्रतिभा का पता कोच एन. रमेश को तब चला जब वह 15 वर्ष की थीं और उसके बाद से उन्होंने लगातार खुद को बेहतर ही किया है।

शेख हसीना का घर अब बनेगा ‘जुलाई क्रांति’ का स्मारक: उपद्रव के संग्रहण में क्या ब्रा-ब्लाउज लहराने वाली तस्वीरें भी लगेंगी?

यूनुस की अगुवाई में 5 सितंबर 2024 को सलाहकार परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इसे "जुलाई क्रांति स्मारक संग्रहालय" के रूप में परिवर्तित किया जाएगा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -