Monday, October 7, 2024
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शिवानी मरांडी से निकाह, फिर जमीन कब्जा कर घर से निकाल देना… झारखंड में ऐसे कई ‘नसीम अंसारी’: चरम पर लैंड जिहाद, सो रही सरकार

एक वकील ने कोर्ट को बताया था कि संथाल परगना क्षेत्र में मूलनिवासी आबादी का प्रतिशत 'काफी कम' हुआ है। साल 1951 में 44.67% की जनजातीय आबादी साल 2011 में घटकर 28.11% रह गई। वहीं, मुस्लिम आबादी 'कई गुना बढ़कर' 1951 में 9.44% से साल 2011 में बढ़कर 22.73% हो गई।

झारखंड के कई हिस्सों में लव जिहाद और फिर लैंड जिहाद के कारण जनसंख्या में भारी उलट-फेर हो गया है। इसको लेकर भाजपा नेता लगातार आवाज उठाते रहे हैं। झारखंड के संथाल परगना में बांग्लादेशियों की लगातार घुसपैठ और स्थानीय जनजातीय महिला से शादी के बाद उनकी जमीनों पर कब्जा के मामलों ने प्रशासन की नींद उड़ा दी हैं। ऐसा ही एक मामला फिर सामने आया है।

इस मामले में एक मुस्लिम व्यक्ति ने स्थानीय जनजातीय महिला को झाँसे में लेकर उसे धर्मांतरण कराया और फिर उससे निकाह कर लिया। बाद में उस मुस्लिम व्यक्ति ने महिला को धोखा दे दिया और उसकी जमीनों कब्जा कर लिया। इस घटना ने क्षेत्र में राजनीतिक और सामाजिक हलचल पैदा कर दी है। न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला शिवानी मरांडी का है।

रिपोर्ट के मुताबिक, शिवानी मरांडी संथाल परगना अंतर्गत शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के कर्माटाँड़ गाँव की रहने वाली है। शिवानी का आरोप है कि साल 2013 में मोहम्मद नसीम अंसारी ने उसे अपने प्रेम जाल में फँसा लिया। कुछ समय के बाद नसीम अंसारी उसे लेकर पश्चिम बंगाल के रामपुरहाट चला गया। वहाँ उसका धर्म परिवर्तन कराकर मुस्लिम बना दिया और शबनम परवीन नाम रख दिया।

धर्मांतरण के बाद मोहम्मद नसीम अंसारी ने उससे निकाह कर लिया। इन 11 सालों में शिवानी मरांडी उर्फ शबनम परवीन को मोहम्मद अंसारी से चार पैदा हुए। इनमें से दो बच्चों की मौत हो गई। फिलहाल दो बच्चे जीवित हैं। इस बीच नसीम अंसारी ने किसी और महिला से भी अपने संबंध बना लिए। शिवानी को जब इसकी जानकारी हुई तो उसने इस रिश्ते का विरोध किया।

शिवानी के विरोध करने पर नसीम भड़क गया और उसके साथ शिवानी के साथ मारपीट और उसका उत्पीड़न शुरू कर दिया। शिवानी मरांडी ने इसको लेकर गाँव की पंचायत में कई बार शिकायत की। पंचायत में नसीम अपने गुनाह को स्वीकार भी किया, लेकिन उसने शिवानी का उत्पीड़न बंद नहीं किया। रोज-रोज की प्रताड़ना से शिवानी तंग आ गई।

आखिरकार उसने दुमका जिले के एसपी और डीआईजी से भी न्याय की गुहार लगाई। इसके बावजूद इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। शिवानी मरांडी ने बताया कि नसीम ने उसे उसके बच्चों के साथ उसे घर से निकाल दिया। शिवानी का यह भी आरोप है कि उसने अपनी मेहनत से तीन कट्ठा जमीन खरीदी थी। उसे भी नसीम ने जबरन अपने नाम पर करवा लिया।

झारखंड में हजारों हैं शिवानी मरांडी

यह कहानी सिर्फ शिवानी मरांडी की नहीं, बल्कि ऐसी सैकड़ों जनजातीय महिलाएँ हैं। झारखंड में यह एक बड़ी सामाजिक समस्या बन चुका है। झारखंड के विभिन्न इलाकों, खासकर साहिबगंज और संथाल परगना में जनजातीय युवतियों से मुस्लिम लड़के प्रेम के नाम पर दुष्कर्म और हत्या कर रहे हैं। उनकी जमीनों हो हड़पने के मामले आए दिन सामने आ रहे हैं। 

मुस्लिम समुदाय के अनेक युवक शादीशुदा होने के बावजूद जनजातीय युवतियों को प्रेमजाल में फँसाकर निकाह कर रहे हैं और ST के रिजर्व सीट पर बीवी को चुनाव लड़वा रहे हैं। गोड्डा से भाजपा सांसद ने कहा था कि झारखंड में 100 महिलाएँ जनजातीय कोटे से चुनाव लड़ती हैं, लेकिन उनके पति मुस्लिम हैं। सबसे खतरनाक बात ये है कि इनमें से कई मुस्लिम प्रतिबंधित PFI से जुड़े हैं।

इसी साल जुलाई में पाकुड़ के तारानगर में बांग्लादेशी घुसपैठियों की वजह से हिंदुओं को अपने घर छोड़कर भागने को मजबूर होना पड़ा था। वहीं, महेशपुर थाना इलाके में आने वाले गायबधान में जनजातीय लोगों को बांग्लादेशी घुसपैठिए उनकी ही जमीनों से बेदखल कर रहे हैं। गायबधान का ऐसा ही वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ था, जिसमें बांग्लादेशी इस्लामी घुसपैठिए जनजातीय लोगों को धमका रहे थे।

हालात ये हैं कि जामताड़ा जिले में एक जमीन पर मुस्लिमों ने अपना मालिकाना हक जताते हुए वहाँ पर कब्रिस्तान बना दिया है। ‘पुरातन पतित’ नाम की जगह को जनजातीय लोग अपनी धार्मिक जमीन बता रहे हैं, जबकि मुस्लिम समुदाय के लोग इसे अपना कब्रिस्तान घोषित कर दिया है। मुस्लिम पक्ष द्वारा यहाँ पर एक शव को भी दफना देने से इस साल जुलाई में तनाव फैल गया था।

झारखंड में डेमोग्राफिक बदलाव का मुद्दा गंभीर हो गया है कि इस साल अगस्त में झारखंड हाई कोर्ट को दुमका, पाकुड़, जामताड़ा, देवघर, साहेबगंज और गोड्डा ज़िलों के DM को निर्देश जारी करना पड़ा। इन जिलों के जिलाधिकारियों से हाई कोर्ट ने कहा कि वो अदालत को बताएँ कि इन जिलों में कितने घुसपैठिए रह रहे हैं।

इस मामले के संबंध में एक वकील ने हाई कोर्ट में याचिका दी थी। इस याचिका में याचिकाकर्ता ने बताया था कि संथाल परगना क्षेत्र में मूलनिवासी आबादी का प्रतिशत ‘काफी कम’ हुआ है। साल 1951 में 44.67% की जनजातीय आबादी साल 2011 में घटकर 28.11% रह गई। वहीं, मुस्लिम आबादी ‘कई गुना बढ़कर’ 1951 में 9.44% से साल 2011 में बढ़कर 22.73% हो गई।

भाजपा सांसद ने संसद में उठाया था मुद्दा

बता दें कि 25 जुलाई 2024 को गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ये मामला संसद में भी उठा चुके हैं। उन्होंने संथाल परगना में एनआरसी लागू कराने की भी माँग की थी। सांसद निशिकांत दुबे ने कहा प्रत्येक जगह 15-17 प्रतिशत वोटर ही बढ़ता है, पर हमारे यहाँ 123 फीसद प्रतिशत बढ़ी है। मेरे लोकसभा क्षेत्र में आने वाले विधानसभा क्षेत्र में लगभग 267 बूथों पर मुसलमानों की आबादी 117 प्रतिशत बढ़ गई है।

दुबे ने कहा, “झारखंड में 25 ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहाँ की आबादी 123 प्रतिशत आबादी बढ़ी है, यह चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि पाकुड़ जिले में तारानगर इलाके में दंगा हो गया। इस दंगे की वजह यह है कि बंगाल की पुलिस और मालदा, मुर्शिदाबाद से लोग आकर हमारे लोगों को भगा रहे हैं। हिंदू गाँव का गाँव खाली हो रहा है।”

मध्य प्रदेश में भी ऐसे ही हालात

मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल संभाग के श्योपुर में भी ऐसे ही हालात हैं। वहाँ कई ऐसे मुस्लिम हैं, जिन्होंने यही काम किया है। काली तराई गाँव का सलीम सहरिया जनजातीय की गुड्डी नाम की महिला को अपने साथ रखता है। सलीम उसके नाम पर जनजातीय लोगों की जमीनें खरीदता है। इसी तरह दांतरधा पंचायत में पप्पू पठान ने जनजातीय महिला फूला बाई को अपनी दूसरी पत्नी बनाकर रखा है। पप्पू ने फूला बाई को जिला पंचायत का चुनाव में उम्मीदवार बनाया था।

बता दें कि PFI के खिलाफ की गई कार्रवाई में श्योपुर से भी कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तार किए गए PFI के संदिग्धों ने पूछताछ में खुलासा किया था कि श्योपुर में भी संगठन के कार्यकर्ता सक्रिय हैं। PFI के संदिग्धों का यहाँ आना-जाना लगा रहता है। तना ही नहीं, श्योपुर के पास राजस्थान के कोटा में उनकी ट्रेनिंग कैंप का भी पता चला था। इन इलाकों में जमातों का आयोजन होते रहता है और विदेशी भी आते रहते हैं। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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