Saturday, May 4, 2024
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PFI और अल-कायदा से जुड़े तुर्किश समूह IHH के बीच लिंक, सामने आई तस्वीरें: स्वीडिश संगठन का दावा

भारत में पीएफआई पर हिंसा के कई मामलों में शामिल होने का आरोप है और उसके सदस्यों पर हत्या का भी आरोप है। प्रवर्तन निदेशालय ने पीएफआई पर देश भर में सीएए विरोधी दंगों के फंडिंग का आरोप लगाया था।

स्वीडिश रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन नॉर्डिक मॉनिटर ने तुर्की के कट्टरपंथी समूह आईएचएच (İnsan Hak ve Hürriyetleri ve İnsani Yardım Vakfı) और कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) के बीच सॉंठगॉंठ का दावा किया है। रिपोर्ट के अनुसार दोनों कट्टरपंथी समूह के लोगों की 2019 के लोकसभा चुनाव से सात महीने पहले 20 अक्टूबर 2018 को मुलाकात हुई थी।

गुपचुप हुई यह बैठक दक्षिण-पूर्व एशिया में मजहब का उम्माह बनने की तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन की रणनीति का हिस्सा थी। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बैठक में भाग लेने वाले दो प्रमुख पीएफआई नेता ईएम अब्दुल रहमान और प्रोफेसर पी कोया थे। इसमें IHH के महासचिव डरमुस आयडिन (Durmuş Aydın) और IHH के उपाध्यक्ष हुसेन ओरुके (Hüseyin Oruç) ने भाग लिया और विभिन्न क्षेत्रों में साझेदारी पर चर्चा की गई।

नॉर्डिक मॉनिटर का कहना है कि IHH तुर्की की खुफिया सेवा MIT के साथ काम करता है, जिसका नेतृत्व एर्दोगन के वफादार और इस्लामी नेता हकन फिदान करते हैं। यह भी कहा गया कि पीएफआई को तुर्की की सरकार द्वारा संचालित मीडिया अनादोलु द्वारा एक नागरिक और सामाजिक समूह के रूप में प्रचारित किया गया था। आईएचएच पर आरोप लगा था कि उसने जनवरी 2014 में सीरिया में अल-कायदा से संबद्ध जिहादियों को हथियारों की तस्करी की थी।

IHH और PFI के बीच मुलाकात की तस्वीर (साभार: Nordic Monitor)

रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “IHH को रूस द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 10 फरवरी 2016 को जमा किए गए खुफिया दस्तावेजों में सीरिया में जिहादी समूहों के लिए हथियारों की तस्करी करने वाला संगठन बताया गया था। रूसी खुफिया दस्तावेजों में IHH द्वारा भेजे गए ट्रकों की लाइसेंस प्लेट संख्या का भी जिक्र था और बताया गया था कि हथियारों से भरे ये ट्रक अल-कायदा से संबद्ध अल नुसरा फ्रंट को भेजे गए थे।”

नॉर्डिक मॉनिटर ने यह भी कहा कि तुर्की में एर्दोगन शासन अपने कूटनीतिक ताकत का उपयोग करके वैश्विक परिचालन में आईएचएच की मदद कर रहा है। भारत में पीएफआई पर हिंसा के कई मामलों में शामिल होने का आरोप है और उसके सदस्यों पर हत्या का भी आरोप है। प्रवर्तन निदेशालय ने पीएफआई पर देश भर में सीएए विरोधी दंगों के फंडिंग का आरोप लगाया था।

(From L to 2nd R) Prof. P Koya, Durmuş Aydın, Hüseyin Oruç, E. M. Abdul Rahiman (Image Credit: Nordic Monitor)

यूपी के पुलिस प्रमुख ओपी सिंह ने कहा था कि कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों- पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफआई) के सदस्य और उसके राजनीतिक मोर्चे, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया (एसडीपीआई), जिसमें समाजवादी पार्टी जैसे राजनीतिक दल शामिल हैं, सीएए के विरोध-प्रदर्शन के दौरान राज्य भर में हिंसा भड़काने के लिए लोगों को भड़काने और उकसाने में शामिल थे। यूपी पुलिस ने राज्य में व्यापक हिंसा के बाद पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की वकालत की थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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