देश में ‘लव जिहाद’ के लगातार मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन मीडिया का एक वर्ग अभी भी इसे मानने को तैयार ही नहीं है। इसे हिंदुत्व की उपज कहा जा रहा है। रवीश कुमार केरल में ‘लव जिहाद’ के एक भी मामले साबित न होने की बात कह रहे हैं। वहीं ‘Scroll’ इसे कंस्पिरेसी थ्योरी बता रहा है। कमोबेश पूरे वामपंथी मीडिया का यही हाल है। यहाँ हम आपको बताएँगे कि कैसे केरल में ईसाई बड़ी संख्या में ‘लव जिहाद’ का शिकार हुए हैं।
हाल ही में रवीश कुमार ने लव जिहाद को ‘हिन्दू-मुस्लिम सिलेबस का हिस्सा’ भी बता दिया। उन्होंने कहा, “भारत का समाज बुनियादी रूप से प्रेम का विरोधी है। किसी को प्रेम न हो जाए, अपनी पसंद से जाति या धर्म के बाहर शादी न हो जाए, इस आशंका में डूबा रहता है और डरा रहता है। भारतीय समाज हिन्दी सिनेमा में सोते-जागते गीतों के नाम पर प्रेम गीत ही सुनता है, वहीं प्रेम से इतना डरता है। इतना डरता है कि डर का भूत खड़ा करता है। उसी एक भूत का नाम है लव जिहाद। वैसे तो यह हिन्दू-मुस्लिम नेशनल सिलेबस का हिस्सा है, लेकिन बेवक्त-बेज़रूरत इसे छेड़ने का मतलब यही है, किसी को यकीन है कि भारत के समाज को हिन्दू बनाम मुस्लिम के भूत से डराया जा सकता है।”
केरल में कैथोलिक पादरियों के एक संगठन ने कहा कि ‘लव जिहाद’ एक वास्तविक समस्या है। केरल के चर्च ने इसके पीछे ISIS का हाथ बताते हुए कहा था कि ‘लव जिहाद’ के जरिए कई महिलाओं का जबरन धर्मान्तरण हो रहा है। इसके जवाब में PFI जैसे मुस्लिम संगठनों ने पादरियों को चुप रहने की सलाह दी थी, क्योंकि उन्हें लगता था कि इससे CAA के खिलाफ चल रहे उपद्रव को लेकर जोश में कमी आ जाएगी।
केरल के चर्च का कहना था कि कुछ महीनों पहले केरल के जिन 21 लोगों को ISIS में शामिल कराया गया था, उनमें से आधे ईसाई थे। पादरियों का कहना था कि ‘लव जिहाद’ से सांप्रदायिक सद्भाव की भावना को ठेस पहुँच रही है। उनका ये भी आरोप था कि केरल का पुलिस-प्रशासन इस खतरे से निपटने को गंभीर नहीं है। लेकिन, कुछ पत्रकारों को ये अब भी हिन्दुओं के दिमाग की उपज लग रहा है।
जब केरल के चर्चों ने ‘लव जिहाद’ को लेकर चर्चा शुरू की तो वामपंथी मीडिया घबरा गया और उसने इसे पादरियों पर ही हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने का आरोप मढ़ दिया। ‘द फ़ेडरल’ ने अपने लेख में लिखा था कि विहिप ने पादरियों के बयान का स्वागत किया है और कहा है कि ‘लव जिहाद’ को एक बड़ी साजिश के तहत अंजाम दिया जा रहा है। मीडिया संस्थान का कहना था कि नॉर्थ केरल में हिन्दू या ईसाई लड़कियों के किसी मुस्लिम के साथ प्यार करने को ‘लव जिहाद’ कह दिया जा रहा है।
उसका तर्क था कि उत्तरी केरल में मुस्लिमों की जनसंख्या ज्यादा है और राज्य में दशकों से अंतर्जातीय/अंतर्धार्मिक विवाह होते रहे हैं। आज इंटरनेट के युग में एक-दूसरे से लोग ज्यादा और जल्दी सम्पर्क में आते हैं, जिससे नजदीकियाँ बढ़ती हैं। साथ ही आरोप लगाया था कि जब ईसाई/हिन्दू युवक मुस्लिम लड़की से शादी करते हैं तो कोई हंगामा नहीं होता। इस तरह मुस्लिमों के बचाव के लिए ईसाइयों को निशाना बनाया गया।
‘आउटलुक’ ने भी अपने एक लेख में लिखा कि 2009 में केरल और कर्नाटक के मामलों के सामने आने के बाद इस विवाद को बढ़ावा मिला। उसने आरोप लगाया कि कोरोना के समय में ऐसे मामले उठाकर न सिर्फ ध्रुवीकरण किया जा रहा है, बल्कि ‘अंतर्धार्मिक प्यार’ का भी गला घोंटा जा रहा है। उसने तो यहाँ तक आरोप लगाया कि आर्य समाज जैसे हिन्दू समूहों ने 1920 के दशक में ‘समाज में विभाजन’ के लिए इस मुद्दे को उठाया था।
इसमें ज्ञान बघारते हुए बताया गया था कि जब दो लोग प्यार में होते हैं तो उनका उद्देश्य अलग होता है और वो अलग-अलग धर्मों के होने के बावजूद इसकी परवाह नहीं करते कि कौन सा धर्म क्या कह रहा है। हालाँकि, उसने ये नहीं बताया कि महिला को ही क्यों हमेशा अपना धर्म बदलने को मजबूर होना पड़ता है। साथ ही उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार पर ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानून बनाने के लिए निशाना साधा।
‘द ग्लोबल काउंसिल ऑफ इंडियन क्रिश्चियन्स’ ने आँकड़ा दिया था कि अब तक 2868 महिलाओं को ‘लव जिहाद’ का शिकार बनाया जा चुका है। दीपा चेरियन नामक महिला की जबरन धर्मान्तरित करने की खबर भी आई, जिसके बाद उसका नाम शाहिना रखा गया। शाहिना को बाद में कोच्चि पुलिस ने लशकर-ए-तैयबा के साथ उसके संबंधों को लेकर गिरफ्तार भी किया। ईसाई काउंसिल ने इसे एक अंतरराष्ट्रीय साजिश बताया।
‘ग्लोबल काउंसिल ऑफ इंडियन क्रिश्चियन्स’ के अध्यक्ष डॉक्टर साजन के जॉर्ज का कहना है कि दीपा की नजदीकियाँ नौशाद नाम के एक ड्राइवर से बढ़ी थी। उनका कहना है कि इसके लिए विदेश से फंड्स आते हैं, जिसके तहत ‘चार्मिंग और हैंडसम’ मुस्लिम युवकों को ईसाई युवतियों को प्रलोभन देने, उनसे प्यार और शादी करने के लिए तैयार किया जाता है।
Kerala HC in Dec 2009 found indications of ‘forceful’ religious conversions under the garb of ‘love’ in the state, and asked the Govt to consider enacting a law.
— Amit Malviya (@amitmalviya) November 21, 2020
“Under the pretext of love, there cannot be any compulsive, deceptive conversion,” it said. https://t.co/mEKw9oVC8P
‘राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग’ के जॉर्ज कुरियन ने भी ‘लव जिहाद’ को समस्या माना था। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिख कर केरल में ईसाई लड़कियों को निशाना बनाए जाने की बात की थी और इसकी जाँच NIA से कराने को कहा था। उन्होंने आँकड़ा दिया था कि 7 साल में केरल में 4000 महिलाएँ ‘लव जिहाद’ की शिकार बनीं। कुरियन ने कहा था कि उन सभी का ब्रैनवॉश हुआ और जबरन इस्लाम में धर्मान्तरित किया गया।
कुरियन ने पत्र में लिखा था कि ऐसा लगता है कि ईसाई समुदाय की लड़कियाँ इस्लामी कट्टरपंथियों का सॉफ्ट टारगेट हैं। उन्हें लव जिहाद का शिकार बनाकर आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने केंद्र से आग्रह किया था कि सरकार कट्टरपंथी तत्वों की ऐसी धोखाधड़ी वाली गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए एक प्रभावी कानून लाए।
इसी तरह से कोझिकोड में एक 19 साल की लड़की का उसके सहपाठी फैजल ने ही बलात्कार किया। उसने लड़की की नंगी तस्वीरें ले ली और फिर उसे ब्लैकमेल करता रहा। जुलाई 2019 की ये घटना 3 महीने बाद बाहर आई थी, जब पीड़िता ने अपने साथियों को इस बारे में बताया। पीड़िता के पिता ने पुलिस पर भी एक्शन न लेने का आरोप लगाया। कोझिकोड में तो एक महीने में ही ‘लव जिहाद’ के 50 मामले सामने आने की बात कही गई थी।
दिसंबर 2009 में खुद केरल हाईकोर्ट ने सरकार को ‘लव जिहाद’ की रोकथाम के लिए कानून बनाने के लिए कहा था। साथ ही हाईकोर्ट ने दो ऐसे लोगों की जमानत याचिका ख़ारिज कर दी थी, जो इसके आरोपित थे। हाईकोर्ट ने कहा था कि कुछ पुलिस रिपोर्ट्स के हिसाब से ये स्पष्ट है कि इसे लड़कियों के धर्मान्तरण के लिए साजिशन प्रयास किया गया और इसके पीछे कुछ संगठनों का हाथ भी दिख रहा है।