बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार से कड़े सवाल पूछे हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि किसी भी सार्वजनिक दफ्तर को आलोचना सहनी ही पड़ेगी। हाई कोर्ट ने मंगलवार (दिसंबर 1, 2020) को कहा कि पूरे समाज के अधिकारों और व्यक्तिगत अधिकारों के बीच लोगों को संतुलन बनाना ही पड़ेगा। उसने उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे से जुड़े मामले में सुनवाई करते हुए पूछा कि क्या उन सभी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, जो ट्विटर पर कुछ आपत्तिजनक लिखेंगे।
एसएस शिंदे और एमएस कार्णिक ने सुनैना होली की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की। उनके द्वारा पोस्ट की गई 3 ट्वीट के आधार पर महाराष्ट्र पुलिस ने 3 अलग-अलग FIR दर्ज की थी। बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स साइबर क्राइम डिपार्टमेंट द्वारा रजिस्टर किए गए एक केस के मामले में उन्हें अगस्त 2020 में गिरफ्तार भी किया गया था। बाद में उन्हें जमानत मिली। उनके वकील ने कोर्ट में अभिव्यक्ति की आजादी का हवाला दिया।
उन्होंने कहा कि उनके क्लाइंट ने बस अपने विचारों को प्रकट करते हुए सरकार की नीतियों की आलोचना की थी। इसके बाद बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र के सरकारी वकील से पूछा कि आप कितनों के खिलाफ एक्शन लोगे? सरकारी वकील का कहना था कि पुलिस सुनैना के ‘उद्देश्य’ की जाँच करना चाहती थी। उन्होंने कहा कि ये ट्वीट राजनीतिक दलों के खिलाफ थे। इस पर कोर्ट ने कहा कि हर सार्वजनिक दफ्तर को आलोचना सुननी ही पड़ती है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार पर टिप्पणी करते हुए ये भी कहा कि युवा वर्ग को अपने विचारों को प्रकट करने के लिए जगह देनी ही पड़ेगी। अब इस मामले में अगली सुनवाई बुधवार को होगी। उसने पूछा कि अगर ये स्वतंत्रता नहीं दी गई तो युवा वर्ग को पता कैसे चलेगा कि वो सही विचार प्रकट कर रहे हैं या गलत? सुनैना ने अपने खिलाफ दायर सभी FIR को रद्द करते हुए गिरफ़्तारी से अंतरिम राहत की माँग की थी।
अक्टूबर 30, 2020 को कोर्ट ने सुनैना को आदेश दिया था कि वो पुलिस के समक्ष पेश हों और जाँच में सहयोग करें। कोर्ट ने कहा था कि इन दिनों पुलिसकर्मियों का काम काफी कठिन हो गया है, हड़ताल और प्रदर्शनों के लिए विशेष तैयारियाँ करनी पड़ती हैं। जस्टिस शिंदे ने पुलिसकर्मियों द्वारा 12 घंटे काम करने को लेकर कहा था कि पूरी दुनिया में ‘स्कॉटलैंड यार्ड’ के बाद मुंबई पुलिस को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
I am glad Hon’ble Bombay High Court asked this question to @OfficeofUT‘ MVA Govt.
— Sunaina Holey (@SunainaHoley) December 1, 2020
It’s high time that they realise gagging citizens won’t work. It’s a democratic country & we have a right to criticize Govt & it’s Policies.
Just like the Farmer’s Bill. https://t.co/mhTZwwOWso
सरकारी वकील ने कोर्ट से मिन्नतें की कि आरोपित को पूरी तरह नहीं छोड़ा जाना चाहिए, कुछ कार्रवाई ज़रूर की जानी चाहिए। पीठ ने कहा कि हम जजों को कहा जाता है कि टीवी और ट्विटर न देखने को, ताकि हम एकदम फ्रेश दिमाग लेकर कोर्ट में सुनवाई के लिए आएँ। कोर्ट ने कहा कि हमने एक लोकतांत्रिक संरचना अपनाया है। अब सभी की नजरें 3 दिसंबर को होने वाली सुनवाई पर टिकी हुई हैं।
इससे पहले महाराष्ट्र सरकार की आलोचना करने वाले अपने फेसबुक पोस्ट की वजह से मुंबई के कमाठीपुरा के रहने वाले बालकृष्ण दीकोंडा (Balakrishna Deekonda) मुसीबत में पड़ गए थे। मुख्यमंत्री और राज्य सरकार ने उन्हें सीएम और उनकी सरकार की प्रतिष्ठा को खराब करने का आरोप लगाते हुए एक वैधानिक नोटिस भेजा था। उद्धव की तुलना धृतराष्ट्र से और अदित्य ठाकरे को पेंगुइन कहने पर 10 लाख रुपए के मानहानि का मुकदमा ठोका गया था।