राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जब से कॉन्ग्रेस की सरकार बनी है तब से ही पार्टी के भीतर संघर्ष चल रहा है। अब एक बार फिर दोनों राज्यों की सरकारों को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है।
राजस्थान में पंचायत चुनावों में हार और गुटबाजी से त्रस्त कॉन्ग्रेस को भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) ने भी झटका दिया है। उसने गहलोत सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान किया है। BTP ने आरोप लगाया है कि जिला परिषद प्रमुख और पंचायत चुनावों में भाजपा और कॉन्ग्रेस दोनों मिले हुए थे।
The Bharatiya Tribal Party (BTP) has withdrawn its support from the Ashok Gehlot led government in Rajasthan: Chhotubhai Vasava, BTP leader pic.twitter.com/iraqN0Omcf
— ANI (@ANI) December 11, 2020
BTP नेता छोटू भाई वसावा ने ट्वीट कर कहा, “भाजपा और कॉन्ग्रेस एक हैं और वे क्षेत्रीय दलों को सत्ता से दूर रखने के लिए एक-दूसरे का विरोध करते हैं। वे क्षेत्रीय दलों से गठबंधन कर उन्हें ख़त्म कर देते हैं।”
वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी अपने मुख्यमंत्री पद के कार्यकाल को लेकर बयान दिया है।
If High Command asks then I will step down from my position. I don’t have endearment to it. I’m performing my duties. Those who are trying to create misunderstanding must realise it’s not in favour of the state: Chhattisgarh CM on being asked about his tenure as CM pic.twitter.com/1td5JBvZKj
— ANI (@ANI) December 11, 2020
मीडियाकर्मियों से बात करते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने कहा, “अगर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व आदेश करता है तब मैं अपना पद त्याग दूँगा। मुझे इस पद को लेकर किसी भी तरह का लगाव नहीं है, मैं सिर्फ और सिर्फ अपनी ज़िम्मेदारियाँ पूरी कर रहा हूँ। जितने लोग इस मुद्दे को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा कर रहे हैं उन्हें समझने की ज़रूरत है यह राज्य के हित में बिलकुल नहीं है। इस तरह के राजनीतिक उतार-चढ़ावों से प्रदेश की जनता को नुकसान होता है।”
यह पहला मौक़ा नहीं है जब कॉन्ग्रेस की राज्य सरकारों पर इस तरह के सियासी संकट की ख़बरें सामने आई हैं। हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा पर उनकी सरकार गिराने के प्रयास का आरोप लगाया था। राजस्थान के मुख्यमंत्री का कहना था, “यह लोग (भाजपा) निर्वाचित सरकारों को गिराने का प्रयास करते हैं। राजस्थान में फिर से वही खेल शुरू कर चुके हैं और यही इनकी मानसिकता है। लोग तो यह भी कह रहे हैं कि ये लोग महाराष्ट्र सरकार को निशाना बना रहे हैं।” ऐसे ही 2020 के ही जुलाई महीने में राजस्थान के भीतर कॉन्ग्रेस के दो शीर्ष नेताओं अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच बड़े पैमाने पर टकराव देखा गया था। इस टकराव के चलते राजस्थान की कॉन्ग्रेस पर संकट गहरा गया था। छत्तीसगढ़ में भी बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच मनमुटाव की खबरें आती रहती है।
गौरतलब है राजस्थान के जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने ऑपइंडिया से बातचीत में दावा किया था कि यह राज्य में कॉन्ग्रेस की आखिरी सरकार है और इसका लंबा भविष्य नहीं है। उन्होंने कहा था, “हमने कभी अधिकृत तौर पर नहीं कहा कि कॉन्ग्रेस की सरकार को गिराएँगे। ये सरकार अपने कर्मों से गिरेगी। अशोक गहलोत अपना घर खुद सँभाल नहीं पाए हैं।”