ऑपइंडिया ने मधु पासवान से बातचीत की, जो सोशल मीडिया में खासे सक्रिय रहते हैं और वीडियो बना कर लोगों को जागरूक करते रहते हैं। सीतामढ़ी के रहने वाले मधु पासवान ऑटो चलाते हैं, लेकिन उनका कहना है कि आरक्षण के खिलाफ अभियान चलाने के कारण उनकी जान को खतरा है। वो चार भाइयों में सबसे छोटे हैं और उनकी माँ मुखिया भी रह चुकी हैं। मधु पासवान ने संपादक अजीत भारती से जातिवाद और आरक्षण पर बात की।
जातिवाद का उदाहरण देते हुए मधु पासवान ने कहा कि उनके गाँव में एक मुखिया के निधन के बाद श्राद्धकर्म में निमंत्रण मिलने पर वो खाने गए थे। उन्होंने कहा कि गाँव में चमार और मुशहर सहित इन जातियों को सबसे अंत में खिलाया जाता है। वहाँ उन्होंने एक व्यक्ति को ये कहते हुए सुना कि दलित जातियों को अंत में खिलाया जाए, जिसके बाद वो पूरे पासवान समुदाय को लेकर वहाँ से चले गए। साथ ही उन्होंने कहा कि यहाँ के सवर्ण समुदाय के अधिकतर लोग ‘निम्न जाति’ के उम्र में बड़े लोगों को भी सम्मान नहीं देते।
मधु पासवान ने याद दिलाया कि रामायण में भगवान श्रीराम ने निषादराज को जो सम्मान दिया था, वैसे ही वो सनातन से जुड़े हुए हैं। हालाँकि, मधु पासवान ने ये भी कहा कि आज सवर्ण समाज में ऐसे कई लोग हैं, जो उनके साथ नाश्ता-पानी करते हैं। उन्होंने कहा कि अब बदलाव आ गया है और वो राजपूतों के यहाँ पानी पीते हैं, उनके कार्यक्रमों में जाते हैं। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी के साथ ऐसी कोई समस्या नहीं है।
उन्होंने कहा कि पहले ऐसा नहीं था, लेकिन अब 5-10 उनसे उम्र में छोटे लोग हैं, जो उन्हें ‘भैया’ कह कर पुकारते हैं, जबकि अधिकतर ‘भाई’, ‘जी’ या नाम के साथ ही सम्बोधित करते हैं। उन्होंने पूछा कि क्या 12 वर्ष का एक बच्चा 60 साल के बुजुर्ग को ‘भाई’ बोल सकता है? उन्होंने बताया कि उनके पंचायत के पकड़ी गाँव में मुशहर समाज से ईसाई मिशनरी जुड़ गए हैं। लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके पिता के जो संस्कार हैं, इस कारण वो वीडियो बना कर लोगों को जागरूक करते हैं।
उन्होंने JNU में लगे देशविरोधी नारों की भी बात की। आरक्षण का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि कोई अधिक अंक पाकर भी किसी परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पाता, वहीं कोई कम अंक लाकर भी पद पा जाता है। उन्होंने पूछा, “ये भारत बैसाखी के सहारे चलना चाहता है? क्या पीछे जाना चाहता है?” उन्होंने कहा कि अगर ऐसी हालत रही तो भारत बर्बाद हो जाएगा, हम इस देश की मिट्टी से बँधे हैं, अगर इस पर तांडव करने वाला उनका भाई भी होगा, तो वो तलवार लेकर खड़े हो जाएँगे।
उन्होंने कहा कि दलितों को धर्म परिवर्तन के लिए लाखों में कैश दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मिशनरियों के प्रयासों को विफल करने के लिए वो मुशहर समाज के बच्चों को पढ़ाते हैं, उनकी मदद करते हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए आम जनता ही उनकी मदद कर देती है। मधु पासवान ने कहा कि मनुष्य शिक्षा के सहारे आगे बढ़ता है, बैसाखी नहीं। उन्होंने कहा कि गरीबों को भूमि व स्वास्थ्य सुविधाएँ मुहैया कराई जानी चाहिए।
अपनी बात जारी रखते हुए उन्होंने बताया कि आरक्षण की जगह ये चीजें (भूमि, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएँ मुहैया कराना) होनी चाहिए थी। ऐसा नहीं कि कोई कहीं से भी 5% लेकर आ जाए तो उसे शिक्षक की नौकरी मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि जब उनकी बहन शिक्षक बनी तो भी उन्होंने उसे टोका कि वो गरीबों को क्या पढ़ाएँगी? उन्होंने आरक्षण से आए शिक्षकों को ‘बैसाखी वाला’ बताते हुए कहा कि वो गरीबों के बच्चों का जीवन बर्बाद कर रहे हैं और वो उनका बहिष्कार करते हैं। बकौल मधु, अधिक सब्सिडी से लाचारी आती है।
जातिवाद और आरक्षण पर बोलते हुए मधु पासवान ने कहा, “भारत में शिक्षा में संविधान के हिसाब से समानता का अधिकार होना चाहिए। झूठ बोल कर अपनी ही जाति के लोगों को जनेऊधारी लोगों के प्रति भड़काया जाता है। गरीबी दूर करने के लिए मूलभूत सुविधाएँ ऐसे परिवारों को मुहैरा कराई जाए और पद उसी को दिए जाएँ, जो इसके योग्य हों।” इसके अलावा मधु पासवान ने कहा कि किसी के वस्त्र बदलने से गुण नहीं बदलते। उन्होंने संस्कृति बचाने पर जोर दिया।