एक ओर जहाँ देश में खालिस्तान को लेकर बहस जारी है, तभी दूसरी ओर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने कर्नाटक में मराठी भाषी क्षेत्रों के विलय के विरोध जैसे अपने पुराने अजेंडे को पुनर्जीवित करने के प्रयासों को फिरसे हवा दे डाली है। दरअसल, शिवसेना बेलगाम क्षेत्र को कर्नाटक में शामिल करने के खिलाफ रही है और इसके लिए उसने मराठी को आधार बनाया है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार (जनवरी 27, 2021) को कहा कि जब तक कि सर्वोच्च न्यायालय इस मुद्दे पर अपना अंतिम फैसला नहीं दे देता, तब तक कर्नाटक की राज्य की सीमा पर मराठी भाषी लोगों के वर्चस्व वाले क्षेत्रों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाना चाहिए।
दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद पर एक पुस्तक के लोकार्पण पर बोलते हुए, उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम सभी को कर्नाटक सरकार के अन्याय और अत्याचार का विरोध करने के लिए एक मंच पर आना चाहिए। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर मराठी बोलने वाले लोग कर्नाटक सरकार के खिलाफ आवाज उठाते हैं तो उनके खिलाफ झूठे केस दायर किए जाते हैं, जिसके खिलाफ हमें एकजुट होने की जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि बेलगाम क्षेत्र कर्नाटक और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित है, जहाँ मराठी भाषी बहुसंख्यक रहते हैं। महाराष्ट्र कुछ क्षेत्रों पर अपना दावा करता है, जिनमें बेलगाम, करवार और निप्पनी शामिल हैं और ये कर्नाटक का हिस्सा हैं, इन क्षेत्रों में अधिकांश आबादी मराठी भाषी है। दोनों राज्यों के बीच विवाद का मामला कई वर्षों से उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित है।
ठाकरे ने कहा, “जब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही है, तो कर्नाटक सरकार बेलगाम का नाम बदलकर उसे दूसरी राजधानी घोषित करती है, एक विधानमंडल भवन का निर्माण करती है और वहाँ एक विधायिका सत्र आयोजित करती है। क्या यह अदालत की अवमानना नहीं है?”
मुख्यमंत्री ने कथित तौर पर स्वार्थी राजनीतिक हितों के लिए मराठी विषय को कमजोर करने के लिए महाराष्ट्र एकिकरण समिति (एमईएस) पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “हमें पिछले अनुभवों से सीखना होगा और जीतना होगा। कर्नाटक के कब्जे वाले मराठी-भाषी क्षेत्रों को महाराष्ट्र में शामिल किया जाएगा।”
कार्यक्रम के दौरान, उद्धव ठाकरे ने ‘महाराष्ट्र कर्नाटक सीमावाद: संघर्ष अनी संकल्प’ (महाराष्ट्र कर्नाटक सीमावाद: संघर्ष और समाधान) नाम की एक पुस्तक को विमोचन किया। इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ओर के नेताओं साथ-साथ एनसीपी पार्टी प्रमुख शरद पवार, महाराष्ट्र कॉन्ग्रेस प्रमुख बालासाहेब थोराट और विधान परिषद में विपक्षी नेता प्रवीण दारेकर भी मौजूद थे।