Saturday, May 4, 2024
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जानिए कैसे भारत की मुस्तैदी के कारण बची 11 लाख लोगों की जान: UN ने भी की तारीफ

चक्रवात के खतरों से निपटने के लिए भारत सरकार की zero-casualty नीति की प्रशंसा करते हुए UNISDR के एक प्रवक्ता डेनिस मैकक्लेन ने कहा कि भारतीय मौसम विभाग की प्रारंभिक चेतावनियों की सटीक जानकारी की वजह से सुरक्षा अधिकारियों ने इस तूफान से निपटने में सक्षम हो पाए और जान-माल को होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया।

ओडिशा ने शुक्रवार (मई 3, 2019) को आए भीषण चक्रवाती तूफान फोनी के प्रकोप का सामना किया। लेकिन जानमाल की बहुत ज्यादा हानि नहीं हुई। भारत ने आपदा प्रबंधन और बेहतर बचाव की तैयारी से जानमाल के संभावित नुकसान को न्यूनतम स्तर पर रख कर समूचे विश्व को चौंका दिया। चक्रवात फोनी दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में भारी नुकसान करने वाले तूफानों जैसा ही था, मगर बेहतर प्लानिंग की वजह से भारत में बहुत कम नुकसान देखने को मिला।

केन्द्र सरकार और राज्य सरकार ने अपनी बेहतर प्लानिंग से जन हानि को कई गुना कम करके पूरी दुनिया को दिखा दिया है कि विनाशकारी चक्रवाती तूफानों से कैसे निपटा जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र ने भी भारत के प्रयासों की जमकर तारीफ की है। फोनी जैसा भीषण तूफान सैकड़ों लोगों की जान ले सकता था। इससे पहले 1999 में ओडिशा में आए सुपर साइक्लोन से 10 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। लेकिन इस बार मौत का आँकड़ा 12 तक ही सिमट गया।

चक्रवात के खतरों से निपटने के लिए भारत सरकार की zero-casualty नीति की प्रशंसा करते हुए UNISDR के एक प्रवक्ता डेनिस मैकक्लेन ने कहा कि भारतीय मौसम विभाग की प्रारंभिक चेतावनियों की सटीक जानकारी की वजह से सुरक्षा अधिकारियों ने इस तूफान से निपटने में सक्षम हो पाए और जान-माल को होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया। इस मामले में आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष प्रतिनिधि मामी मिजुतोरी ने कहा कि अत्यंत प्रतिकूल हालात में भारत में हताहतों की तादाद बेहद कम है जिसके लिए सरकारी मौसम और आपदा प्रबंधन विभाग बधाई के पात्र हैं।

जानकारी के मुताबिक, इस चक्रवाती तूफान का पता मौसम वैज्ञानिकों ने तकरीबन एक हफ्ते पहले ही लगा लिया था, जब उन्होंने दक्षिणी हिंद महासागर में निम्न दवाब की स्थिति को देखा था। जिसके बाद 5 भारतीय सैटेलाइट ने उस क्षेत्र पर लगातार नजर बनाए रखी थी, जो फोनी चक्रवात का रूप ले रहा था। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) द्वारा भेजे गए सैटेलाइट हर 15 मिनट पर ग्राउंड स्टेशन पर इससे संबंधित डेटा भेज रहे थे, जिससे फोनी को ट्रैक करने और उसके मूवमेंट के बारे में सही-सही पूर्वानुमान लगाया जा सके। और इसी जानकारी की मदद से हजारों ज़िंदगियाँ बचाने में मदद मिली।

भारतीय मौसम विभाग के अनुसार फोनी की तीव्रता, लोकेशन और उसके आसपास के बादलों के अध्ययन के लिए Insat-3D, Insat-3DR, Scatsat-1, Oceansat-2 और मेघा ट्रॉपिक्स सैटलाइटों द्वारा भेजे गए डेटा का इस्तेमाल किया गया। फोनी के केंद्र के 1,000 किलोमीटर के दायरे में बादल छाए हुए थे, लेकिन बारिश वाले बादल सिर्फ 100 से 200 किलोमीटर के दायरे में थे। बाकी बादल करीब 10 हजार फीट की ऊँचाई पर थे। IMD के डायरेक्टर जनरल के. जे. रमेश ने बताया कि तूफान या चक्रवात के दौरान सैटलाइटों का पूर्वानुमान में महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि सैटेलाइटों द्वारा भेजे गए डेटा से उन्हें आने वाले चक्रवाते के लिए सटीक पूर्वानुमान जारी करने में मदद मिलती है।

सैटलाइटों के द्वारा दिए गए डेटा के आधार पर IMD ने इस बात का सटीक पूर्वानुमान लगाया कि फोनी किस जगह पर लैंडफॉल करेगा और इसी वजह से ओडिशा, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में समय रहते 11.5 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुँचा दिया गया। बता दें कि, इस दौरान Scatsat-1 से भेजे गए डेटा से चक्रवाती तूफान के केंद्र पर नजर रखी गई, तो वहीं Oceansat-2 समुद्री सतह, हवा की गति और दिशा के बारे में डेटा भेज रहा था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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