रविवार (25 अप्रैल 2021) को श्रीकृष्ण भट्ट का देहावसान हो गया। भट्ट ने कर्नाटक के हम्पी के बादावी लिंग मंदिर में 40 वर्षों से पुजारी के रूप में सेवा की। विश्व हिन्दू परिषद के सदस्य गिरीश भारद्वाज ने ट्विटर पर श्री कृष्ण भट्ट के निधन का समाचार दिया।
Hampi Badavi Linga Priest Sri Krishna Bhat reached the Feet Of Parameshwara this Morning, The 94 Year old Man who did immense seva to Eshwara for 40 Long Years.
— Girish Bharadwaj (@Girishvhp) April 25, 2021
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विभिन्न सोशल मीडिया मंचों में ईश्वर भक्ति और सनातन धर्म के प्रति समर्पण को दिखाने के लिए उनकी फोटो शेयर की जाती थी। इन तस्वीरों में श्री कृष्ण भट्ट शिवलिंग की सेवा करते हुए देखे जाते थे।
94 वर्षीय श्री कृष्ण भट्ट कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले के तीर्थाहल्ली तालुक के एक गाँव के रहने वाले थे। वह हम्पी के सत्यनारायण मंदिर में एक पुजारी के तौर पर नियुक्त हुए थे। बाद में वह आनगुंडी रॉयल परिवार के द्वारा हम्पी के बादावी लिंग मंदिर के पुजारी बनाए गए। भट्ट पिछले 40 सालों से निरंतर मंदिर में सेवा करते आए थे। वह शाम होने तक मंदिर में ही रहते थे।
बादावी के लिंग मंदिर और श्री कृष्ण भट्ट की सबसे खास बात यह थी कि भट्ट 3 मीटर ऊँचे शिवलिंग में चढ़कर उसकी साफ सफाई करते थे। मंदिर में हमेशा ही पानी भरा रहता था और वहाँ कोई सीढ़ी या शिवलिंग की साफ सफाई के लिए कोई साधन भी नहीं था। ऐसे में भट्ट शिवलिंग में चढ़कर वहाँ भस्म और विभूति इत्यादि अर्पित करते। भक्त भी इसे सहर्ष ही स्वीकार करते थे।
हम्पी के ही विरूपाक्ष मंदिर के वरिष्ठ पुजारी शिव भट्ट ने न्यू इंडियन एक्स्प्रेस से चर्चा करते हुए कहा था कि शिवलिंग पर चढ़ने के अलावा कोई दूसरा रास्ता ही नहीं है। इसे कोई भी अपवित्रता से जोड़ कर नहीं देख सकता क्योंकि यह श्रद्धा और समर्पण से जुड़ा है। बादावी का लिंग मंदिर विजयनगर के राय वंश के द्वारा 15वीं शताब्दी में बनाया गया था।
हम्पी के बादावी लिंग मंदिर के गर्भ गृह की छत में कई छेद हैं। ये छेद बहमनी के सुल्तानों के इस्लामिक आक्रमण के कारण बन गए थे। इसी कारण मंदिर में 500 सालों तक पूजा-पाठ नहीं हो सकी। 1980 के दौरान मंदिर में पूजा प्रारंभ हुई। इन्हीं छेदों के कारण मंदिर के गर्भ गृह में सूर्य का प्रकाश आता रहता है। इससे उत्पन्न होने वाली मनमोहक छटा श्रद्धालुओं को मंदिर तक खींच लाती है।
हालाँकि श्रद्धालुओं को मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। अभी तक श्रीकृष्ण भट्ट ही मंदिर से जल लाकर श्रद्धालुओं पर छीट दिया करते थे। अब श्रीकृष्ण भट्ट के परलोक गमन के बाद बादावी में एक शून्य उत्पन्न हुआ है, भक्ति और समर्पण का शून्य।