पैसों की कमी से जूझ रही महाराष्ट्र सरकार ने उपमुख्यमंत्री अजित पवार के सोशल मीडिया अकाउंट्स को हैंडल करने के लिए करीब 6 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। पवार के पास वित्त और योजना विभाग भी हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग ने बुधवार (12 मई) को सोशल मीडिया खातों को संभालने के लिए एक बाहरी एजेंसी की नियुक्ति के तौर-तरीकों पर अंडर-सेक्रेटरी आरएन मुसाले द्वारा हस्ताक्षरित एक आदेश को लागू कर दिया। इस एजेंसी को यह भी कार्य दिया गया है कि वह अजित पवार द्वारा लिए गए फैसलों को आम लोगों तक पहुँचाना सुनिश्चित करे।
मुसाले के आदेश के मुताबिक बाहरी एजेंसी अजित पवार के ट्विटर हैंडल और फेसबुक, ब्लॉगर, यूट्यूब और इंस्टाग्राम अकाउंट्स को हैंडल करेगी। इसके अलावा वह साउंड क्लाउड, वॉट्सऐप बुलेटिन, टेलीग्राम चैनल और एसएमएस को भी संभालेगी। बाहरी एजेंसी की नियुक्ति उप मुख्यमंत्री के सचिवालय और सूचना और जनसंपर्क महानिदेशालय के परामर्श से की जाएगी।
‘अजित पवार के फैसलों को आम लोगों तक पहुँचाए एजेंसी’
आदेश में उल्लेख किया गया है कि महाराष्ट्र के सूचना और जनसंपर्क महानिदेशालय (DGIPR) में सोशल मीडिया को संभालने के लिए पेशेवर और तकनीकी क्षमता का अभाव है, इसलिए यह महसूस किया गया कि यदि किसी बाहरी एजेंसी को काम पर रखा गया तो यह उचित होगा। मुसाले ने अपने आदेश में कहा, ‘यह सुनिश्चित करना बाहरी एजेंसी की जिम्मेदारी होगी कि महत्वपूर्ण निर्णय और संदेश लोगों तक पहुंचे और वे उपमुख्यमंत्री के साथ ट्विटर हैंडल, फेसबुक, ब्लॉगर, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, साउंड क्लाउड, वॉट्सऐप और टेलीग्राम चैनल पर संवाद करने में सक्षम हों।’
सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने निर्देश दिया है कि बाहरी एजेंसी का चुनाव केवल उन एजेंसियों में से होना चाहिए जो पहले से ही सूचना और जनसंपर्क महानिदेशालय (DGIPR) के पैनल पर हैं, और यह सुनिश्चित करना कि सोशल मीडिया पर संदेश त्रुटिरहित हों, सूचना और जनसंपर्क महानिदेशालय की जिम्मेदारी होगी। इस आदेश में कहा गया है कि अगर जरूरत पड़ी सूचना और जनसंपर्क महानिदेशालय (DGIPR) उस एजेंसी को और पैसा उपलब्ध करा सकता है जोकि पहले ही मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) के लिए काम कर रही है। ये भी सुनिश्चित करना होगा कि मुख्यमंत्री कार्यालय और उपमुख्यमंत्री कार्यालय से जारी संदेश एक जैसे न हों।
‘अजित पवार की इमेज चमकाने के लिए बाहरी एजेंसी की जरूरत क्यों?’
संयोग से मुख्यमंत्री कार्यालय ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट को संभालने के लिए पहले ही जुलाई 2020 में एक बाहरी एजेंसी नियुक्त की थी। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक एजेंसी की नियुक्ति करते समय ई-टेंडरिंग की प्रक्रिया का पालन किया गया था।
वहीं एक वरिष्ठ नौकरशाह ने अजित पवार की इमेज चमकाने के लिए एक बाहरी एजेंसी की नियुक्ति पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा, ”हमारे पास एक सूचना और जनसंपर्क महानिदेशालय है जिसमें करीब 1200 कर्मचारी हैं और जिसका सालाना बजट 150 करोड़ रुपए है। तो हमें उपमुख्यमंत्री की छवि चमकाने के लिए किसी बाहरी एजेंसी की क्या जरूरत है?”