देश में किसकी सरकार बनेगी और किसकी नहीं, ये सवाल तब तक उत्सुकता बनाए रखता है जब तक इसकी तस्वीर पूरी तरह से साफ़ नहीं हो जाती। सभी चरणों में मतदान की प्रक्रिया सम्पन्न होने के बाद एग्जिट पोल के आँकड़े सामने आने शुरू हो जाते हैं। हालाँकि, एग्जिट पोल के आँकड़ों पर बहुत अधिक भरोसा तो नहीं किया जा सकता क्योंकि यह अधिकांश बार ग़लत साबित हो जाते हैं। इस लेख में हम लोकसभा चुनाव 2014 और 2009 के एग्जिट पोल के बारे में बात करेंगे और यह जानने का प्रयास करेंगे कि उस समय जिन एजेंसियों ने एग्जिट पोल के जो आँकड़े पेश किए थे, वो कितने सटीक और कितने ग़लत सिद्ध हुए थे।
क्या होता है एग्जिट पोल
एग्जिट पोल की प्रक्रिया चुनावी सर्वे से होकर गुजरती है। चुनावी सर्वे के तहत चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों को लेकर मतदाताओं से बातचीत की जाती है और अनुमान लगाया जाता है कि आख़िर चुनाव परिणाम किस दल के पक्ष में जा सकता है। इसकी सैंपलिंग के लिए चुनावी सर्वे करने वाली एजेंसी के लोग मतदाताओं से उनकी राय लेते हैं और उनसे विकास से जुड़ी बातचीत करते हैं। कई बार बातचीत का यह डाटा एक प्रकार के फॉर्म को भरवाकर भी इकट्ठा किया जाता है। इसमें उम्र, आयु वर्ग, जाति, क्षेत्र आदि का उल्लेख होता है। इस सर्वे के लिए क्षेत्र के आधार पर लोगों की संख्या तय की जाती है और उनसे राय ली जाती है। एग्जिट पोल के आँकड़ें हमेशा आखिरी चरण के मतदान के बाद दिखाए जाते हैं – यह चुनाव आयोग के द्वारा दिया गया स्पष्ट दिशा-निर्देश है।
लोकसभा चुनाव 2014: एग्जिट पोल
2014 के लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल को समझने के लिए नीचे दी गई टेबल पर नज़र डालते हैं।
2014 | न्यूज़ 24(टुडे चाणक्य) | टाइम्स नाउ(ORG) | CNN IBN(CSDS) | हेडलाइंस टुडे(ITG सिसरो) | इंडिया टीवी (सी वोटर) | NDTV | ABP(नील्सन) | कुल सीटें |
NDA | 340 (+/-14) | 249 | 270-282 | 272 (+/-11) | 289 | 279 | 281 | 336 |
UPA | 070 (+/-9) | 148 | 92-102 | 115 (+/-5) | 101 | 103 | 097 | 059 |
इस टेबल के अनुसार देखा और समझा जा सकता है कि टुडे चाणक्य के अलावा किसी भी एजेंसी का एग्जिट पोल सटीक नहीं था। इसलिए एग्जिट पोल को लेकर मीडिया के साथ-साथ जनता की उत्सुकता तो रहती है लेकिन यह उम्मीदों पर भी खरी उतरे, इसकी संभावना नहीं के बराबर मान के चलनी चाहिए।
लोकसभा चुनाव 2009: एग्जिट पोल
अब लोकसभा चुनाव 2009 के एग्जिट पोल पर भी नज़र डालते हैं और समझते हैं कि क्या उस समय भी यही स्थिति थी जो साल 2014 में थी।
2009 | ABP | टाइम्स नाउ | NDTV | हेडलाइंस टुडे | कुल सीटें |
NDA | 197 | 183 | 177 | 180 | 160 |
UPA | 199 | 198 | 216 | 191 | 262 |
देश में दो बार सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल पर नज़र डालने के बाद यह पता चलता है कि विभिन्न एजेंसियों द्वारा जुटाए गए आँकड़ें एकदम सटीक नहीं होते। इनमें से कुछ आँकड़ें तो बिल्कुल ही ग़लत साबित हो जाते हैं। चुनाव प्रक्रिया सम्पन्न होने के बाद जहाँ एक तरफ़ जनता की नज़र टीवी पर दिखाए जा रहे एग्जिट पोल के गुणा-गणित पर रहती है, वहीं दूसरी तरफ़ राजनीतिक दलों के बीच भी इन आँकड़ों को लेकर काफ़ी हलचल बनी रहती है।