Monday, November 25, 2024
Homeदेश-समाज'देवी-देवता ही हैं मंदिर की भूमि के मालिक': सुप्रीम कोर्ट ने दिया मंदिरों को...

‘देवी-देवता ही हैं मंदिर की भूमि के मालिक’: सुप्रीम कोर्ट ने दिया मंदिरों को लेकर बड़ा फैसला, जानें क्या है मामला

''स्वामित्व स्तंभ में केवल देवता का नाम ही लिखा जाए, क्योंकि भूमि पर देवता का ही कब्जा होता है।'' इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि भू राजस्व रिकॉर्ड से पुजारियों के नाम हटाए जाएँ। पुजारी केवल इन संपत्तियों के रखरखाव के लिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (7 सितंबर) को अपने फैसले में कहा कि देवी-देवता ही मंदिर से जुड़ी भूमि के मालिक हैं। जस्टिस हेमंत गुप्ता और एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि पुजारी केवल मंदिर की संपत्ति के प्रबंधन के उद्देश्य से भूमि से जुड़े काम कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के ऐतिहासिक फैसले का हवाला देते हुए मध्य प्रदेश के एक मंदिर के मामले में यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया है कि देवता ही मंदिर से जुड़ी भूमि के मालिक हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा, ”स्वामित्व स्तंभ में केवल देवता का नाम ही लिखा जाए, क्योंकि भूमि पर देवता का ही कब्जा होता है।” इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि भू राजस्व रिकॉर्ड से पुजारियों के नाम हटाए जाएँ। पुजारी केवल इन संपत्तियों के रखरखाव के लिए हैं।

उन्होंने कहा कि मंदिर की जमीन का पुजारी काश्तकार नहीं, सिर्फ रक्षक है। वह एक किराएदार जैसा है। कोर्ट ने कहा कि मंदिर में जो भी पुजारी होगा, वही वहाँ देवी देवताओं को भोग लगाएगा। पीठ ने आगे कहा, ”पुजारी केवल देवता की संपत्ति का प्रबंधन करने के प्रति उत्तरदायी है। यदि पुजारी अपने कार्य करने में, जैसे पूजा करने तथा भूमि का प्रबंधन करने संबंधी काम में विफल रहा तो उसे बदला भी जा सकता है। इस प्रकार उसे भूस्वामी नहीं माना जा सकता।”

बता दें कि मंदिर की संपत्ति को लेकर हमेशा विवाद बना रहता है। मंदिर की संपत्ति पर पुजारी और प्रबंधन के लोग अपने-अपने दावें ठोकते रहते हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया है। इस आदेश में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा एमपी ला रेवेन्यू कोड, 1959 के तहत जारी किए गए दो परिपत्रों को रद्द कर दिया था। इन परिपत्रों में पुजारी के नाम राजस्व रिकॉर्ड से हटाने का आदेश दिया गया था, ताकि मंदिर की संपत्तियों को पुजारियों द्वारा अनधिकृत बिक्री से बचाया जा सके।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

60% मुस्लिम, कॉन्ग्रेस के हुसैन परिवार का दबदबा… कुंदरकी जैसी ही है सामागुरी में BJP की जीत भी: असम-मेघालय में NDA का क्लीन स्वीप

असम की सामागुरी सीट पर बीजेपी को मिली जीत खास चर्चा का विषय रही। यह सीट मुस्लिम बहुल क्षेत्र में आती है और इसे कॉन्ग्रेस का गढ़ माना जाता था।

दिल पर पत्थर रखो या पहाड़ आरफा बीबी, पर सच तो यही है कि मंदिरों पर गढ़ी गई हैं मस्जिदें, तुम्हारे पुरखे भी हैं...

संभल हिंसा मामले को नया मोड़ देने के लिए आरफा खानुम शेरवानी ने पत्थरबाजी करने वाली भीड़ की करतूत को जायज दिखाते हुए कोर्ट पर सवाल खड़े किए हैं।
- विज्ञापन -