अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने जून 2021 में आबकारी नीति 2021-22 के तहत दिल्ली को 32 एक्साइज जोन में विभाजित किया। नीतिगत ढाँचे के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में शराब बेचने वाले 849 आउटलेट होंगे, जिनमें पाँच सुपर-प्रीमियम वेंडर्स शामिल होंगे। लाइसेंस का अंतिम सेट सितंबर में आवंटित किया गया था। इसके तहत 17 नवंबर से प्राइवेट वेंडर्स कार्य करने लगेंगे।
आपको जानकर हैरानी होगी कि सरकार ने नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से 8,900 करोड़ रुपए अर्जित किए थे। हिंदुस्तान टाइम्स ने अपने रिपोर्ट में बताया था कि यह लाइसेंस के लिए आरक्षित मूल्य से 26.7% अधिक है। आबकारी नीति के तहत सरकार दिल्ली में शराब नहीं बेचेगी, बल्कि अब पूरे सेग्मेंट को निजी संस्थाओं द्वारा नियंत्रित किया जाएगा।
दरअसल, अगस्त में ही आवंटन प्रक्रिया शुरू हो गई थी। अगस्त में 20 जोन का ड्रॉ निकाल दिया गया था, जबकि शेष सितंबर में आवंटित किए गए थे। इन सभी जोन का आरक्षित मूल्य 7,041 करोड़ रुपए रखा गया था। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, द्वारका-ए, देवली, भजनपुरा, कर्दमपुरी और कुरैश नगर सहित कई क्षेत्रों को कवर करने वाले जोन 28 के लिए नीलामी में सबसे अधिक 357 करोड़ रुपए की बोली लगी। अगर बेस प्राइस के आधार पर सबसे अधिक लाभ अर्जित करने की बात की जाए तो इसमें सबसे आगे ज़ोन 32 है, जो एयरपोर्ट जोन को कवर करता है। इस जोन में सरकार को 235 करोड़ रुपए मिले, जबकि इसका आरक्षित मूल्य 105 करोड़ रुपए था। इस तरह इसमें सरकार को 124 प्रतिशत का लाभ हुआ।
इन वेंडरों से सरकार की कमाई केवल लाइसेंस पर ही नहीं टिकी है। सरकार को लगभग 650 करोड़ रुपए उत्पाद शुल्क, आयात शुल्क, वैट और अन्य लाइसेंस शुल्क से मिलेंगे। इसके अलावा, सरकार को 900 से 1,000 करोड़ रुपए नए ब्रांड, वितरक लाइसेंस और अन्य के लाइसेंस से मिलने की उम्मीद है।
सरकारी आँकड़ों के मुताबिक, दिल्ली सरकार को प्रतिवर्ष 5,500 करोड़ रुपए आमदनी शराब के क्षेत्र से होती है। नई एक्साइज पॉलिसी ने राजस्व में लगभग 40% की वृद्धि की है। दिलचस्प बात यह है कि खुदरा विक्रेता शराब की बिक्री मूल्य तय करने के लिए स्वतंत्र होंगे और एमआरपी निर्धारित करने में सरकार का कोई दखल नहीं होगा। रिटेल आउटलेट केवल सुबह 10 बजे से रात 10 बजे के बीच ही संचालित हो सकते हैं। वहीं, एयरपोर्ट आउटलेट 24×7 काम कर सकते हैं। नई नीति में दिल्ली में शराब की होम डिलीवरी भी शामिल है। साथ ही वॉर्ड के अनुसार शराब की दुकानों का समान वितरण होगा।
पेट्रोल-डीजल पर वैट में कोई कमी नहीं
शराब लाइसेंस से उम्मीद से ज्यादा आमदनी होने के बावजूद दिल्ली सरकार ने अभी तक पेट्रोल-डीजल पर वैल्यू एडेड टैक्स कम नहीं किया है। वहीं, केंद्र सरकार ने दिवाली से एक दिन पहले पेट्रोल-डीजल पर वैल्यू एडेड टैक्स कम कर दिया था। भाजपा शासित राज्यों ने भी इसका पालन किया और अतिरिक्त राहत देने के लिए वैट में कमी की। हालाँकि, गैर-भाजपा शासित राज्यों में केवल ओडिशा ने वैट कम किया और दिल्ली, राजस्थान आदि राज्यों ने अपने प्रदेश के लोगों को पेट्रोल डीजल की कीमतों से राहत देने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।