Wednesday, April 17, 2024
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वो 13 राज्य, सभी गैर-BJP शासन वाले… जिन्होंने पेट्रोल-डीजल पर अभी तक नहीं किया टैक्स कम

पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों पर राजनीति करने वाले और केंद्र सरकार पर लगातार हमला बोलने वाले महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, केरल समित 13 राज्य कर में कटौती करने से कतरा रहे हैं।

केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल-डीजल के दामों पर राहत देने के बाद तमाम राज्यों ने राज्य कर में भी कटौती की है। प्रेस इंफोर्मेशन ब्यूरो (PIB) के अनुसार 14 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश ऐसे भी हैं, जिन्होंने पेट्रोल और डीजल पर वैट में कोई कमी नहीं की है। पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों पर राजनीति करने वाले और केंद्र सरकार पर लगातार हमला बोलने वाले महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, मेघालय, अंडमान और निकोबार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, पंजाब और राजस्थान कर में कटौती करने से कतरा रहे हैं।

ओडिशा मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार 5 नवंबर की रात से डीजल और पेट्रोल पर 3 रुपए की VAT छूट की घोषणा मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के द्वारा की गई है। हालाँकि PIB ने जिन 14 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की सूची जिस समय (5 नवंबर की 9 बजे रात) जारी की, उस समय तक ओडिशा में पेट्रोल-डीजल में कर-कटौती वाली घोषणा क्रियांवित नहीं हुई थी।

5 नवंबर की 12 बजे रात (जब से ओडिशा में डीजल और पेट्रोल की कीमतों में कटौती शुरू हुई) के बाद को भी देखें तो इसका मतलब यह हुआ कि ओडिशा को हटा दें तो भी 13 राज्यों ने पेट्रोल और डीजल पर वैट नहीं घटा कर अपने यहाँ के नागरिकों को वंचित रखा है। इसका मतलब यह भी हुआ कि केंद्र पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों को लेकर हमलावर होने का उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ सियासी होता था।

वहीं, केरल सरकार ने ईंधन के दामों पर कर में कटौती करने से साफ इंकार कर दिया है। भाजपा और कॉन्ग्रेस की आलोचना के बावजूद केरल सरकार ने शुक्रवार (5 नवंबर 2021) को कहा कि वह राज्य की गंभीर वित्तीय स्थिति के कारण ईंधन पर कर को खत्म नहीं कर सकती है। केरल के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने तिरुवनंतपुरम में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा:

”जब कई अन्य राज्यों ने कोविड-19 के दौरान ईंधन कर में वृद्धि की और सेस (Cess) की शुरुआत की, तब केरल ने आम लोगों की परेशानी को देखते हुए ऐसा नहीं किया। कई राज्यों में उपचुनावों में भाजपा को तकड़ा झटका लगा है। इसके कारण केंद्र ने मजबूरी में पेट्रोल और डीजल कर में कटौती करने का फैसला किया।”

ईंधन पर अतिरिक्त कर में कटौती नहीं करने के राज्य के फैसले को सही ठहराते हुए, केरल के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने आगे कहा कि राज्य सरकार ने पिछले 6 वर्षों में ईंधन कर में कोई बढ़ोतरी नहीं की है। इसलिए सरकार को केंद्र या अन्य राज्यों की तरह कटौती करने की जरूरत नहीं है। इससे उलट राज्य सरकार ने प्रदेश की जनता को राहत और मदद करने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए और नई परियोजनाएँ शुरू की। साथ ही महँगाई भत्ते में 6% की वृद्धि की है।

उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य द्वारा पेट्रोल और डीजल के लिए लागू कर ढाँचे अलग-अलग हैं। मंत्री ने कहा कि जब केंद्र सरकार अपने कर या ईंधन की मूल कीमत को कम करती है तो यह स्वाभाविक रूप से राज्य कर में दिखाई देगी, क्योंकि वहाँ भी आनुपातिक कमी होगी।

बता दें कि केंद्र सरकार ने दीपावली के मौके पर पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 5 रुपए और डीजल पर 10 रुपए प्रति लीटर कम कर दी है। यह फैसला गुरुवार से प्रभावी हो गया है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गोवा, कर्नाटक, पुडुचेरी, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड, त्रिपुरा, असम, सिक्किम, बिहार, मध्य प्रदेश, गोवा, गुजरात, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव, चंडीगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, लद्दाख और ओडिशा। समेत कई राज्‍य सरकारों ने पेट्रोल और डीजल पर वैट में कटौती करने का ऐलान किया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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