Friday, November 29, 2024
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श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में अब नंगे पैर नहीं करनी होगी सेवा, कर्मचारियों-जवानों के लिए PM मोदी ने भेजा जूट का जूता

मंदिर परिसर में चमड़े या रबर से बने जूते-चप्पलों के पहनने पर प्रतिबंध है। इसका एक विकल्प खड़ाऊँ है। लेकिन अधिकारियों के मुताबिक खड़ाऊँ पहन पाना सभी के लिए मुमकिन नहीं है।

समूचे उत्तर भारत में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। ऐसे में नंगे पाँव काम करने वालों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसी क्रम में वाराणसी (Varanasi) स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi vishvanath) के प्रांगण में काम करने वाले लोगों को भी नंगे पाँव अपनी ड्यूटी करनी पड़ती है। उनकी दिक्कतों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने काशी विश्वनाथ धाम के कर्मचारियों और वहाँ तैनात जवानों के लिए 100 जोड़ी जूट के जूते भिजवाए हैं।

इससे अब इन कर्मचारियों को कड़ाके की ठंड में काफी राहत मिलेगी। एक अधिकारी ने बताया कि इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीधे-सीधे शामिल हैं और वो वाराणसी के विकास से जुड़े सभी आयामों पर करीब से नजर बनाए हुए हैं। पीएम मोदी को निर्देश के बाद दिल्ली से जूट के 100 जूते कर्मचारियों के लिए भेजे गए हैं। दिल्ली से आने के बाद रविवार (9 जनवरी 2022) को मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने मंदिर में काम करने वाले शास्त्री, पुजारी, सीआरपीएफ जवानों, पुलिसकर्मियों, सेवादारों और सफाईकर्मियों को जूते का वितरण किया। जोनल कमिश्नर के मुताबिक, दिल्ली से और भी जूते आएँगे।

एक अधिकारी ने कहा कि ये कहने की जरूरत नहीं है कि काशी विश्वनाथ धाम में काम करने वाले लोग इससे काफी खुश हैं। साथ ही ये इस बात का एक और उदाहरण है कि प्रधानमंत्री छोटी से छोटी बातों का कितना ध्यान रखते हैं। उल्लेखनीय है कि मंदिर परिसर में चमड़े या रबर से बने जूते-चप्पलों के पहनने पर प्रतिबंध है। इसका एक विकल्प खड़ाऊँ है। लेकिन अधिकारियों के मुताबिक खड़ाऊँ पहन पाना सभी के लिए मुमकिन नहीं है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 दिसंबर 2021 को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया था। इसे जनता को समर्पित करते हुए पीएम ने कहा था, “विश्वनाथ धाम का ये पूरा नया परिसर एक भव्य भवन भर नहीं है, ये प्रतीक है, हमारे भारत की सनातन संस्कृति का! ये प्रतीक है, हमारी आध्यात्मिक आत्मा का! ये प्रतीक है, भारत की प्राचीनता का, परम्पराओं का! भारत की ऊर्जा का, गतिशीलता का।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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