Wednesday, May 8, 2024
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24 के बजाय 23 जनवरी से शुरु होगा गणतंत्र दिवस का समारोह, सुभाष चंद्र बोस की जयंती ‘पराक्रम दिवस’ को PM मोदी की श्रद्धांजलि: रिपोर्ट

नेताजी के नाम से प्रसिद्ध सुभाष चन्द्र बोस का जन्म ओडिशा के कटक में 23 जनवरी 1897 को हुआ था। उनके पिता का नाम जानकी नाथ बोस और माता का नाम प्रभावती देवी था। जानकी नाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे।

केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार ने गणतंत्र दिवस समारोह (Republic Day Celebration) की शुरुआत 23 जनवरी से करने का फैसला किया है। 23 जनवरी महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) की जयंती है। इस तरह उनके योगदान को रेखांकित किया जाएगा। आमतौर पर गणतंत्र दिवस के कार्यक्रमों की शुरुआत 24 जनवरी से होती थी, जो 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस जारी रहता था। पिछले साल सरकार ने नेताजी की जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की थी।

नेताजी के नाम से प्रसिद्ध सुभाष चन्द्र बोस का जन्म ओडिशा के कटक में 23 जनवरी 1897 को हुआ था। उनके पिता का नाम जानकी नाथ बोस और माता का नाम प्रभावती देवी था। जानकी नाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे। बोस साल 1919 में भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी के लिए इंग्लैंड पढ़ने गए थे और बाद में इस नौकरी से इस्तीफा देकर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे। 

इससे पहले मोदी सरकार ने बोस की जयंती को पराक्रम दिवस में मनाने का निर्णय लिया था। साल 2014 में सत्ता में आते ही पीएम मोदी ने इसकी घोषणा की थी। हाल ही में पीएम मोदी ने 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। 26 दिसंबर 1704 को सिखों के दसवें एवं अंतिम गुरु गोबिंद सिंह जी के 9 वर्ष और 6 वर्ष के दो बेटों को दिवारों में चुनवा दिया गया था।

पीएम ने ट्वीट करते हुए लिखा था, “वीर बाल दिवस उसी दिन होगा जिस दिन साहिबजादा जोरावर सिंह जी और साहिबजादा फतेह सिंह जी शहीद हुए थे। इन दोनों महानुभावों ने धर्म के महान सिद्धांतों से विचलित होने के बजाय मृत्यु को प्राथमिकता दी।”

इसके अलावा, प्रधानमंत्री भारत विभाजन की विभीषिका का याद करते हुए 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में मनाने का ऐलान किया था। इस घोषणा को करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि देश के बँटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने याद किया कि किस तरह नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों और भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान तक गँवानी पड़ी।

इसके साथ ही सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती को स्मृति पटल पर अंकित करने के लिए 31 अक्टूबर को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था। इसकी घोषणा पीएम मोदी ने साल 2014 में की थी। वहीं, 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा के जयंती पर ‘आदिवासी गौरव दिवस’ मनाने की घोषणा की गई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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