Friday, May 3, 2024
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दिल्ली के IGI एयरपोर्ट पर दो सूफी फकीरों की मजार, होती है जुमे की नमाज भी: दावा – इनके कारण ही हवाई अड्डा सुरक्षित

मजार की देखभाल करने वालों का दावा है कि आईजीआई हवाईअड्डे के सुचारू संचालन को ये दोनों फकीर ही सुरक्षित रखते हैं। ऐसी कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि एयरपोर्ट के कर्मचारी सूफी फकीरों के अलौकिक मिथकों में विश्वास करते हैं।

दिल्ली का इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी मजहबी कारनामों से अछूता नहीं है। यहाँ पर वर्षों से दो मजार हैं, जिसको लेकर लोग हैरान हैं कि ऐसा कैसे हो सकता है। आईजीआई एयरपोर्ट दुनिया का सबसे व्यस्ततम एयरपोर्ट माना जाता है। यहीं पर एक मजार या दरगाह एयरपोर्ट में है तो दूसरी रनवे के पास स्थित है।

एयरपोर्ट के अंदर ये मजार या दरगाह कब और कैसे बनी ये अपने आप में एक रहस्य है। लेकिन, इतना तो जरूर है कि सरकारी संपत्ति के अंदर दो मुस्लिम फकीरों की मजार को लेकर लोगों का गुस्सा सामने आने लगा है। हालाँकि, कर्मचारियों का कहना है कि यह मजार लंबे वक्त से वहाँ पर है। हवाई अड्डे के टर्मिनल-2 के पास स्थित मजार पर लोगों को नमाज के लिए भी अनुमति है। हवाई अड्डे में 10/28 के पास वाले टर्मिनल से इसे साफ देखा जा सकता है। यहाँ से एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया कार्गो कॉम्प्लेक्स टी-2 से दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक इस मजार के लिए मुफ्त सेवाएँ भी देता है। जुम्मे की रात को यहाँ पर लोग नमाज करते हैं।

यह रनवे से काफी करीब है। 2011 की इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, दरगाह में चढ़ाने के लिए फूल, अगरबत्ती और दूसरी चीजें एयरपोर्ट पर ही कस्टम हाउस के बाहर बेचा जाता है। उस वक्त सुरक्षा इतनी कमजोर थी की इंडिया टुडे की टीम जासूसी कैमरे के साथ रनवे के करीब दरगाह तक पहुँच गई थी।

ऐसी अफवाहें हैं कि ये मजार अथवा दरगाह दो सूफी फकीरों बड़े बाबा (बाबा काले खान) और छोटे बाबा (बाबा रोशन खान) की है। यहाँ की इमेज नहीं ली जा सकती है। यहाँ आने से पहले गेट नंबर 6 पर सिक्योरिटी चेकिंग होती है।

इंंदिरा गाँधी एयरपोर्ट के अंदर ”पीर बाबा की मजार (साभार: य़ूट्यूब)

मजार की देखभाल करने वालों का दावा है कि आईजीआई हवाईअड्डे के सुचारू संचालन को ये दोनों फकीर ही सुरक्षित रखते हैं। ऐसी कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि एयरपोर्ट के कर्मचारी सूफी फकीरों के अलौकिक मिथकों में विश्वास करते हैं। दावा तो यहाँ तक है कि इस मजार की एक ईंट तो सन 1860 की है और पीर बाबा दरगाह को तो और भी अधिक पुराना माना जाता है।

एयरपोर्ट के कर्मियों के हवाले से दावा किया गया है कि इन दरगाहों ने कई सारी दुर्घटनाओं को रोका है। सतीश नाम के एक व्यक्ति का हवाला देते हुए रिपोर्ट्स में कहा गया है कि एक लैंडिंग के वक्त प्लेन के इंजन में आग लग गई, लेकिन जैसे ही फ्लाइट दरगाह के पास पहुँची तो चमत्कार हो गया और आग बुझ गई। इससे फ्लाइट को कंट्रोल कर लिया गया। हालाँकि, वो फ्लाइट कौन थी इसकी जानकारी नहीं है।

अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में सुरक्षा की दृष्टि से खतरा होने के बावजूद दशकों से दो मजारें यहाँ चल रही हैं और मान्यता है कि मर चुके पीर बाबाओं की शक्ति के कारण ही दरगाह उस स्थान पर बनी हुई है।

यहाँ हर साल उर्स का भव्य आयोजन होता है, जिसमें भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण और अन्य एयरलाइंस भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं। इसका रखरखाव ‘बाबा की समिति’ नाम से एक समिति करती है, जो कि दान के पैसों से चलती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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