Monday, November 25, 2024
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मुस्लिम छात्रों के लिए UPSC कोचिंग, केंद्रीय मंत्री नकवी ने किया उद्घाटन: कहा – केंद्र की नौकरियों में अब 10% अल्पसंख्यक

नकवी ने दावा किया कि हुनर हाट, सीखो और कमाओ, नई मंजिल, उस्ताद, नई रौशनी और गरीब नवाज जैसे कार्यक्रमों के चलते बीत 8 सालों में केवल अल्पसंख्यक समुदाय के 21.5 लाख युवाओं को रोजगार के मौके मिले हैं।

भारत सरकार के केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने मुस्लिमों की शिक्षा को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ‘बैक टू ब्रिलियंस’ पॉलिसी के कारण बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय के युवाओं के चयन सिविल सर्विस में हो रहा है और दूसरी प्रतियोगी परीक्षाओं में भी वे बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2014 से पहले तक केंद्र सरकार की नौकरियों में अल्पसंख्यक समुदाय की भागीदारी केवल 5 प्रतिशत थी, लेकिन आज यह 10 फीसदी हो गई है। केंद्र की नीति ने जमीनी परिणाम दिए हैं।

केंद्रीय मंत्री ने यह बात शनिवार (2 अप्रैल, 2022) को मुंबई के न्यू पनवेल स्थित कालसेकर परिसर आवासीय यूपीएससी कोचिंग सेंटर ‘अंजुमन ए इस्लाम’ के उद्घाटन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि शनिवार से प्रधानमंत्री विरासत का संवर्धन (पीएम विकास) योजना लागू होने जा रही है, जो कि जरूरतमंदों को रोजगार के लिए स्किल डेवलपमेंट कोर्स कराकर उनके सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर होगा।

नकवी ने दावा किया कि हुनर हाट, सीखो और कमाओ, नई मंजिल, उस्ताद, नई रौशनी और गरीब नवाज जैसे कार्यक्रमों के चलते बीत 8 सालों में केवल अल्पसंख्यक समुदाय के 21.5 लाख युवाओं को रोजगार के मौके मिले हैं। जबकि, 2014 से पहले ये केवल 20,000 लोगों को ही ऐसे मौके मिले थे। 2014 से पहले केवल 3 करोड़ अल्पसंख्यकों को छात्रवृति दी गई थी, लेकिन बीते 8 साल में 5.2 करोड़ लोगों को स्कॉलरशिप मिली है। पहले करीब 70 फीसदी मुस्लिम लड़कियाँ स्कूल छोड़ देती थीं, लेकिन अब ये आँकड़ा घटकर 30 प्रतिशत से भी कम हो गई है।

बरेली में यूनानी मेडिकल कॉलेज के लिए 200 करोड़

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने बरेली में एक यूनानी मेडिसिन कॉलेज खोलने के लिए 200 करोड़ रुपए दिए हैं। इसके अलावा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के तीन परिसरों को बनाने के लिए भी 300 करोड़ की राशि जारी की गई है। मदरसों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है। 18000 करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं का निर्माण पिछड़े क्षेत्रों में किया गया है। हज प्रक्रिया को भी डिजिटल किया जा रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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