ओडिशा के जगन्नाथ पुरी मंदिर की रसोई में मिट्टी के 40 चूल्हे क्षतिग्रस्त पाए जाने की खबर है। घटना रविवार (अप्रैल 3, 2022) को प्रकाश में आई। बताया जा रहा है जिन चूल्हों को तोड़ा गया वह दुनिया की सबसे बड़ी रसोई रोसा-घर में थे। इनका प्रयोग ‘महाप्रसाद’ बनाने के लिए किया जाता था।
चूल्हे टूटने की जानकारी होने के बाद जिला कलेक्टर समर्थ वर्मा ने घटनास्थल का दौरा किया। उन्होंने बताया कि रोसा घर के 40 चूल्हों में तोड़फोड़ की गई है। उन्होंने इस संबंध में जाँच करके रिपोर्ट देने को कहा है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि घटना को अंजाम देने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
रिकॉर्ड्स ऑफ राइट्स के अनुसार, ये मंदिर 12 वीं (1161 CE) शताब्दी का है। इसमें 240 चूल्हे हैं। इनमें से 40 को नुकसान पहुँचाया गया है। रसोई में केवल रसोइयों की अनुमति होती है। ऐसे में शक है कि ये घटना शनिवार को कुछ सेवकों द्वारा न की गई हो। घटना के बाद मंदिर की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
बता दें कि मंदिर के महाप्रसाद को बनाने के लिए करीब 400 रसोइए लगते हैं और 200 सहायक प्रत्यक्ष रूप से इस प्रक्रिया में जुटे होते हैं। ये प्रसाद आनंद बाजार में बेचा जाता है। 800 साल से ज्यादा पुरानी इस रसोई में 56 व्यंजन बनते आए हैं। इनमें चावल के प्रकार, केक, मिष्ठान आदि शामिल है। पूरी रसोई 15000 स्क्वॉयर फीट क्षेत्र में बनी है। इसकी ऊँचाई 20 फीट है। इस रसोई में बने खाने को सैंकड़ों लोग खाते हैं। त्योहारों पर ये संख्या और बढ़ जाती है। चूल्हों की बात करें तो भव्य रसोई के ज्यादातर चूल्हे 4 फीट के हैं। रसोइए खड़े होकर यहाँ व्यंजन बनाते हैं। अनुमान है कि संध्या रूप आरती के बाद और राजभोग लगने के बाद इस घटना को अंजाम दिया गया।
जिला कलेक्टर का कहना है कि वो आरोपितों को पकड़ने के लिए अपनी जाँच सीसीटीवी फुटेज के जरिए कर रहे हैं। पुलिस और मंदिर प्रशासन इस मामले पर मिलकर पड़ताल करेंगे। जिन चूल्हों को नुकसान हुआ है उन्हें सामान्य करने में दो दिन का समय लगेगा।
अब इस घटना के बाद मंदिर की परंपरा का क्या फर्क पड़ेगा ये भी जान लीजिए। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस घटना में एक या दो कोठा चूल्हों को नुकसान पहुँचाया गया है बाकी सब सही हालत में है। ऐसे में मंदिर का प्रसाद बनने में कोई कठिनाई नहीं आई। बस सुबह का प्रसाद आधे घंटे लेट हुआ। घटना ने भक्तगणों की आस्था को ठेस पहुँचाया है।