वामपंथी पोर्टल द वायर पर दिल्ली के जहांगीरपुरी हिंसा को लेकर एक खबर प्रकाशित हुई 2 जून 2022 (गुरुवार) को। इस खबर में स्थानीय लोगों के हवाले से बताने का दावा किया गया कि जहाँगीरपुरी से मुस्लिम समुदाय के लोगों का पलायन हो रहा है।
द वायर की रिपोर्ट में पलायन का आधार पुलिस की एकतरफा कार्रवाई को बताने की कोशिश की गई। सारांश में यह समझाने की कोशिश हुई कि पुलिस की वजह से जहाँगीरपुरी में डर का माहौल बना है और पुलिस बेगुनाह मुस्लिमों को पैसे वसूलने के कारण परेशान कर रही है।
ऑपइंडिया ने इन दावों की जमीनी पड़ताल की। द वायर की रिपोर्ट प्रकाशित होने के ठीक अगले दिन 3 जून 2022 (शुक्रवार) को ऑपइंडिया की टीम जहाँगीरपुरी पहुँची। वहाँ स्थानीय लोगों से रिपोर्ट में प्रकाशित दावों की जानकारी ली गई। स्थानीय लोगों से हुई बातचीत के बाद अधिकतर लोगों ने रिपोर्ट में किए गए दावों को सिरे से ख़ारिज किया। इसी के साथ मौके पर जमीनी हालात भी द वायर में कही गई बातों से मेल खाते नहीं दिख रहे थे।
ऑपइंडिया की टीम जहाँगीरपुरी के उस हिस्से में पहुँची, जहाँ से हिंसा शुरू हुई और जिस तरफ हिंसक भीड़ ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया। समय करीब शाम से 4 बज रहे होंगे। बाजार में चहल पहल थी। दुकानें सामान्य रूप से खुल गईं थीं। पुलिस बल की तैनाती न के बराबर थी। रास्तों से बैरिकेड हटा लिए गए थे। घटना में चर्चा में रही मस्जिद के सामने वाली सड़क पर केवल पुलिस के बैरिकेड मंदिर से जूस की दुकान तक लगे थे। इसके अलावे लोग रोजमर्रा के कामों में व्यस्त दिखे।
जहाँ चला था बुलडोजर, वहाँ फिर से सड़कों पर कब्ज़ा
द वायर की रिपोर्ट में बुलडोजर द्वारा अतिक्रमण हटाने के बाद के माहौल का जिक्र किया गया है। उसमें बताया गया है कि तब से स्थानीय लोग विशेषकर मुस्लिम समुदाय के लोग डरे हुए हैं। लेकिन मौके पर हालात एकदम अलग दिखे। सड़कों पर फिर से अतिक्रमण कर लिया गया है। C ब्लॉक की सड़कों के किनारे पहले की तरह कबाड़ जमा दिखा।
शोहराब की दुकान सड़क पर
सड़क पर कबाड़ के अलावा बिना टैक्स या GST वाली तमाम इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम और कपड़े आदि बेचती दुकानें दिखीं। ये वही सड़क है, जहाँ हनुमान यात्रा पर पथराव की शुरुआत हुई थी। स्थानीय लोगों ने उन सभी को मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले दुकानदार बताया। हालात ये थे कि उस राह से कोई चार पहिया वाहन आराम से नहीं निकल सकता था। यदि बात कथित ‘डर’ की हो तो सड़कों पर लोगों में वो कहीं नहीं दिखी।
मस्जिद के आगे सामान्य चहल-पहल
हिन्दू संगठनों ने जिस मस्जिद से पहला पत्थर फेंके जाने की शुरुआत होना बताया था, उस मस्जिद के आस-पास चहल-पहल थी। एक लाइन से आस-पास की तमाम दुकानें खुली थीं। मौके पर बाइकें और कुछ इलेक्ट्रॉनिक रिक्शे भी खड़े थे, जो लोगों को ला और ले जा रहे थे।
कबाड़ की चल रही लोडिंग-अनलोडिंग
द वायर की रिपोर्ट में जिस जगह बुलडोजर चलने के बाद लोगों के भविष्य को लेकर भय बताया गया है, वहाँ पर बिना किसी अधिकारी या प्रशासन के डर के कबाड़ की लोडिंग-अनलोडिंग चल रही थी। अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान जो सारा कबाड़ G ब्लॉक धोबीघाट में शिफ्ट किया गया था, उसे फिर वापस ले आया गया है।
मौके पर कबाड़ से लदे ट्रक खड़े दिखाई दिए। इसके अलावा बहुत कम उम्र के लड़कों को कबाड़ की दुकान पर बिना किसी रोक-टोक के काम करते देखा गया। ट्रक से उतरे सामान को आस-पास पहुँचाने व अन्य कामों को करने के लिए सड़कों पर ही कई ठेले की पार्किंग बना दी गई थी।
फ़िलहाल अतिक्रमण मामले में सुनवाई अभी अदालत में लंबित है।