Thursday, May 2, 2024
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रिप्लेसमेंट बन कर गए थे तेजस्विन, अब बने ऊँची कूद में कॉमनवेल्थ मेडल जीतने वाले पहले भारतीय: स्क्वैश में मेडल जीतने के बाद नम हुईं सौरव की ऑंखें

तेजस्विन ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। करीब एक महीने की लड़ाई के बाद शंकर कोर्ट से जीते। उधर यह पहली बार हुआ है जब स्क्वैश के सिंगल इवेंट में भारत ने कोई मेडल हासिल किया हो।

कॉमनवेल्थ गेम्स के 6ठें दिन भी भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन लाजवाब रहा। सौरव घोषाल और तेजस्विन शंकर ने अपने-अपने खेलों में मेडल जीतते हुए इतिहास रचा, वहीं वेटलिफ्टिंग में लवप्रीत और गुरदीप ने मेडल की संख्या बढ़ाई। इनके अलावा जुडोका तूलिका भी सिल्वर मेडल पर कब्जा करने में कामयाब रही। इन 5 मेडल के साथ भारत के पदकों की संख्या 18 हो गई है। कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत ने अभी तक 5 गोल्ड, 6 सिल्वर और 7 ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं।

स्क्वैश में इतिहास रचने के बाद नम हुई सौरव घोषाल की आँखें

सौरव घोषाल ने पुरुष एकल स्क्वैश के कांस्य पदक के एकतरफा मुकाबले में इंग्लैंड के दुनिया के पूर्व नंबर एक खिलाड़ी जेम्स विल्सट्रॉप को सीधे गेम में 3-0 से हरा दिया। दुनिया के 15वें नंबर के खिलाड़ी घोषाल ने मेजबान देश के दुनिया के 24वें नंबर के खिलाड़ी के खिलाफ 11-6, 11-1, 11-4 से आसान जीत दर्ज की। सौरव ने यह मेडल जीत कर इतिहास रच दिया, क्योंकि यह पहली बार हुआ है जब स्क्वैश के सिंगल इवेंट में भारत ने कोई मेडल हासिल किया हो। इस ऐतिहासिक जीत के बाद 35 वर्षीय भारतीय खिलाड़ी की आँखें नम हो गई।

पहली बार सिंगल्स इवेंट में मेडल जीतने की खुशी 35 साल के सौरव के चेहरे पर साफ नजर आ रही थी। उनकी आँखों से खुशी के आँसू छलक उठे। सौरव ने सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के पॉल कोल को शिकस्त दी थी। इससे पहले, सौरव ने 2018 के गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में मिक्स्ड डबल्स इवेंट में सिल्वर मेडल जीता था। यह उनका कॉमनवेल्थ गेम्स में दूसरा पदक है।

आखिरी वक्त पर रिप्लेसमेंट के तौर पर आए तेजस्विन ने रचा इतिहास

सौरव के अलावा हाई जंप में तेजस्विन शंकर ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रमंडल खेलों में पहला पदक जीता। एथलेटिक्स टीम में अंतिम क्षणों में शामिल तेजस्विन शंकर ने पुरुषों की ऊँची कूद में कांस्य जीता है। उन्होंने CWG में ऊँची कूद में मेडल जीतने वाले पहले भारतीय का गौरव हासिल किया है। तेजस्विन ने 2.22 मीटर की दूरी तय करके काउंटबैक में तीसरा स्थान हासिल किया।

तेजस्विन का ये मेडल न सिर्फ ऐतिहासिक है, बल्कि बेहद खास भी है, क्योंकि उन्हें पहले इन गेम्स के लिए चुना भी नहीं गया था। एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने CWG के लिए चुनी 36 सदस्यों वाली टीम में तेजस्विन को मौका नहीं दिया था, क्योंकि उन्होंने AFI के क्वालिफाइंग इवेंट में हिस्सा नहीं लिया था, लेकिन अमेरिका में कैंसस यूनिवर्सिटी के इवेंट में उन्होंने AFI द्वारा तय मार्क को हासिल किया था।

इसके बाद तेजस्विन ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। करीब एक महीने की लड़ाई के बाद शंकर कोर्ट से जीते। 22 जुलाई को, हाई कोर्ट ने AFI और भारतीय ओलिंपिक संघ को निर्देश दिए कि उन्हें शामिल किया जाए। कोर्ट का आदेश मानने के बाद भी समस्या खत्म नहीं हुई थी क्योंकि गेम्स की आयोजन समिति ने पहली बार में IOA के आग्रह को ठुकरा दिया था। हालाँकि, आखिरी वक्त में इसे स्वीकार कर लिया गया था। इसके बाद वीजा का मसला भी फँसा और आखिरकार 31 अगस्त के बाद ही वह बर्मिंघम रवाना हो सके।

जिसके बाद तेजस्विन शंकर को राष्ट्रमंडल खेल 2022 के लिए भारतीय स्क्वॉड में घायल रिले धावक अरोकिया राजीव के रिप्लेसमेंट के तौर पर शामिल किया गया था। वह गेम्स की ओपनिंग सेरेमनी में भी हिस्सा नहीं ले पाए थे, लेकिन पदक जीत कर इतिहास रच दिया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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