हाल ही में गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने पाकिस्तान से आए 24 हिन्दू शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की। इसके उलट राजस्थान में 2021-22 में लगभग 1500 ऐसे हिन्दू शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता न मिलने के कारण वापस लौटना पड़ा। पाकिस्तान से आने वाले ये शरणार्थी पीड़ित होते हैं, जिन्हें उस मुस्लिम मुल्क में प्रताड़ित किया जाता है। पाकिस्तान में हिन्दू या सिख लड़कियों का अपहरण और धर्मांतरण के साथ-साथ जबरन निकाह कराना भी आम हो गया है।
गुजरात की बात करें तो वहाँ के राजकोट में सोमवार (12 अगस्त, 2022) को एक कार्यक्रम में हर्ष संघवी ने लंबे समय से राज्य में रह रहे हिन्दुओं को नागरिकता सौंपी। ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव’ के मौके पर मिली इस नागरिकता से शरणार्थी गदगद नजर आए और गुजरात सरकार का धन्यवाद किया। एक बुजुर्ग महिला तो रो पड़ीं और उन्होंने कहा कि इस क्षण का उन्हें वर्षों से इंतजार था, लेकिन अब उनके धैर्य का परिणाम मिल गया है।
एक अन्य युवती, जो एविएशन क्षेत्र में अपना करियर बना रही हैं, उन्हें भी भारत सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने बताया कि उन्हें नागरिकता न होने के कारण कोर्स में भी दिक्कतें आ रही थीं। उनके परिवार को 16 वर्षों से इसका इंतजार था। उन्होंने कहा कि अब जब वो भारतीय नागरिक बन गई हैं, अपने सपने को पूरा करने को लेकर उनके अंदर आत्मविश्वास आया है। एक अन्य युवक ने कहा कि अब वो स्नातक पूरा कर के अपनी पसंद के क्षेत्र में आगे बढ़ेगा।
इस दौरान हर्ष संघवी ने उन सभी का स्वागत करते हुए आश्वासन दिया कि उनके विकास एवं प्रगति में सरकार उनका साथ देगी। वहीं राजस्थान में इस साल 334 ऐसे शरणार्थियों को वापस लौटना पड़ा है। इसके लिए ‘सीमान्त लोक संगठन’ नामक संस्था ने राज्य की अशोक गहलोत सरकार की सुस्ती और केंद्र सरकार द्वारा उन पर ध्यान न दिए जाने को भी जिम्मेदार बताया। इनमें से अधिकतर के पास भारतीय नागरिकता पाने के लिए संसाधन और वित्त नहीं हैं, जिस कारण वो वापस पाकिस्तान लौटने को मजबूर हुए।
Home Minister of Gujarat, @sanghaviharsh Ji hands over Indian citizenship certificate to Hindu refugees from Pakistan. pic.twitter.com/SvQc2egaMm
— Dhaval Patel (@dhaval241086) August 22, 2022
हिन्दू शरणार्थियों के हित के लिए काम कर रहे संगठन के अध्यक्ष ने बताया कि पैसे खर्च करने के बावजूद नागरिकता मिलने को लेकर अनिश्चितता है। उनमें से कई पाकिस्तानी हिन्दू 10-15 वर्षों से शरणार्थी बने हुए हैं। 2004-05 में एक कैंप का आयोजन कर 25,000 हिन्दू शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता मिली थी, लेकिन पिछले 5 वर्षों में ये आँकड़ा महज 2000 है। नियमानुसार इन शरणार्थियों को पाकिस्तानी दूतावास से पासपोर्ट लाना होता है, जिसे रिन्यू कराने के लिए 10,000 रुपए तक वसूले जाते हैं। शरणार्थियों में अधिकतर गरीब हैं और इनके पास यहाँ-वहाँ खर्च करने के लिए रुपए नहीं हैं।