सुप्रीम कोर्ट ने इन 2 दिनों में कुछ ऐसे फैसले लिए हैं, जो विपक्षी दलों के लिए झटका है। जहाँ एक तरह उच्चतम न्यायालय ने ये कह दिया कि राफेल के मुद्दे को वो बार-बार नहीं सुन सकता, वहीं 2002 के गुजरात दंगों के CBI को ट्रांसफर करने की 11 याचिकाओं को भी रद्द कर दिया। वहीं 1992 में बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किए जाने के मामले में अवमानना के तमाम आरोपों की जो सुनवाई चल रही थी, उन्हें भी खत्म कर दिया गया।
बाबरी मामले में अवमानना के सभी आरोपों की सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किए गए 30 वर्ष हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के बाद जो भी सुनवाइयाँ शुरू हुई थीं, उन सभी पर मंगलवार (30 अगस्त, 2022) को रोक लगा दी। उत्तर प्रदेश सरकार और इसके अधिकारियों पर आरोप था कि उन्होंने बाबरी को बचाने के लिए कुछ नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इतना समय बीत जाने के बाद और 2019 में राम जन्मभूमि अयोध्या मामले के बड़े फैसले के बाद इसका कोई औचित्य नहीं बनता।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अब ये मामले सुनने लायक नहीं बचे हैं। मोहम्मद असलम भूरे ने इस सम्बन्ध में 1991 में एक याचिका दायर की थी और फिर 1992 में अवमानना का मामला दायर किया था। 2010 में उसकी मौत भी हो चुकी है। अधिवक्ता एमएम कश्यप इस केस को आगे ले जाना चाहते थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने नकार दिया। उस समय यूपी में कल्याण सिंह मुख्यमंत्री थे, जिनका अब निधन हो चुका है। बाबरी मामले में लालकृष्ण आडवाणी सहित सभी नेता पहले ही क्लीन-चिट पा चुके हैं।
गुजरात दंगों के मामलों को CBI को भजने के लिए 11 याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया रद्द
भाजपा विरोधी लॉबी गुजरात विधानसभा चुनावों से पहले से फिर 2002 के दंगों की फाइलें खुलवाने की साजिश रच रहा है। गुजरात दंगों की जाँच CBI को देने के लिए 11 याचिकाएँ दायर की गई थीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन सभी को रद्द कर दिया। ये याचिकाएँ 2002-2003 से ही लंबित थीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसकी 9 सदस्यीय SIT ने इस मामले की जाँच और कार्रवाई के लिए 9 मामलों को देखा है, ऐसे में इन याचिकाओं का कोई औचित्य नहीं बनता।
#SupremeCourt closes all proceedings initiated in the wake of 2002 post-Godhra communal riots in #Gujarat. It noted cases have become infructuous with the passage of time & trials getting over in 8 out of 9 major cases prosecuted by SIT under court orders.
— Utkarsh Anand (@utkarsh_aanand) August 30, 2022
9 में से 8 मामलों की तो सुनवाई भी पूरी हो चुकी है। जबकि नौवें मामले में अंतिम दलीलें चल रही हैं। ये मामला गुजरात के नरोदा गाँव का है। सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी की तरह इसमें भी काफी समय व्यतीत हो जाने की बात याद दिलाई। नौवें मामले की जाँच पूरी करने के लिए भी SIT को कह दिया गया है। 2008-10 के बीच भी कुछ ट्रांसफर याचिकाएँ आई थीं। तीस्ता सीतलवाड़ का एक अलग मामला चल रहा है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमानत पर सही अथॉरिटी फैसला लेगी। उन पर गुजरात दंगों में निर्दोषों को फँसाने का आरोप है।
बार-बार राफेल मामले में नहीं घुस सकते: राहुल गाँधी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से झटका
2019 लोकसभा चुनाव से पहले राफेल लड़ाकू विमान सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए राहुल गाँधी ने ‘चौकीदार चोर है’ का नारा दिया था, लेकिन चुनाव परिणामों में कॉन्ग्रेस की बुरी हार और राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट व कैग से मोदी सरकार को क्लीन-चिट के बाद ये मामला हवा हो गया। कॉन्ग्रेस से इस्तीफा दे चुके गुलाम नबी आज़ाद भी कह चुके हैं कि ये सिर्फ राहुल गाँधी का नारा था। अब राफेल मामले की स्वतंत्र जाँच को लेकर एक और याचिका दायर हुई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसके पिछले दो फैसलों में सब कुछ साफ़ हो चुका है, ऐसे में बार-बार इस मामले को नहीं सुन सकते। 2018 में ही सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया था कि इस मामले में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर शक करने का कोई कारण नहीं है। नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने समीक्षा याचिका को भी बंद कर दिया और कहा कि अब और जाँच की ज़रूरत नहीं है। अधिवक्ता एमएल शर्मा ने नई याचिका दायर की थी।