Sunday, May 5, 2024
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बंगलोर यूनिवर्सिटी में गणेश मंदिर से कुछ छात्रों-प्रोफेसरों को दिक्कत, नींव को पहुँचाया नुकसान: कहा- संस्थान का हो रहा भगवाकरण

यूनिवर्सिटी के एक फैकल्टी तिलक डीएम का कहना है, "जो मंदिर ध्वस्त हुआ था वह अवैध था और बंगलोर यूनिवर्सिटी से उसका कोई संबंध नहीं था। उसे अनधिकृत लोगों द्वारा चलाया जा रहा था। यूनिवर्सिटी मंदिर के पुजारियों के वेतन या हुंडी के पैसे के लिए जिम्मेदार नहीं थे।"

कर्नाटक के बंगलोर यूनिवर्सिटी के परिसर में गणेश मंदिर बनाने को लेकर विवाद शुरू हो गया है। छात्रों का एक समूह मंदिर निर्माण का लगातार विरोध कर रहा है। इनकी माँग है कि मंदिर की जगह कैंपस में पुस्तकालय बनाई जाए।

गुरुवार को छात्रों ने मंदिर बनाने के लिए खोदी गई नींव को भी नुकसान पहुँचाया। प्रदर्शनकारियों में यूनिवर्सिटी के कुछ फैकल्टी भी शामिल बताए जा रहे हैं। छात्रों का यह विरोध बुधवार और गुरुवार (7-8 सितंबर 2022) को और तेज हो गया, जब इनके खिलाफ यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मामला दर्ज करा दिया।

छात्रों का कहना है कि रजिस्ट्रार और कुलपति के विरोध के बावजूद ‘बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी)’ विश्वविद्यालय परिसर में मंदिर बनाने पर अड़ी है। छात्रों ने विश्वविद्यालय का भगवाकरण करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इसकी इजाजत यूजीसी और सुप्रीम कोर्ट भी नहीं देता।

बंगलोर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ जयकारा शेट्टी ने कहा है कि मंदिर निर्माण का निर्णय उनके कार्यकाल के दौरान नहीं लिया गया था। उन्होंने कहा कि यह निर्णय पहले लिया गया था और निर्माण कार्य अब शुरू हो हुआ है। उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण के काम को रोकने का उन्होंने आग्रह किया था।

मामला सड़क चौड़ीकरण के बाद मंदिर को यूनिवर्सिटी परिसर में शिफ्ट होने से जुड़ा है। बेंगलुुरु के मैसूर रोड पर स्थित मल्लथहली में विश्वविद्यालय के जनभारती परिसर के पास एक गणेश मंदिर था। जब इस सड़क का चौड़ीकरण किया गया तो इस मंदिर को दूसरी जगह शिफ्ट करने की बात कहकर उसे तोड़ दिया गया था।

अब उस मंदिर को विश्वविद्यालय परिसर के अंदर बनाया जा रहा है। इसी बात को लेकर कुछ संगठन और छात्र समूह उसका विरोध कर रहे हैं। बता दें बंगलोर यूनिवर्सिटी राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालय है और इसकी स्थापना सन 1964 में की गई थी। साल 2001 में इसे NAAC की 5-स्टार रेटिंग दी थी।

बंगलोर विश्वविद्यालय शिक्षक परिषद ने विश्वविद्यालय के उच्च अधिकारियों को लिखा था कि परिसर के अंदर बाहरी लोगों द्वारा गणेश मंदिर चलाया जा रहा है और विश्वविद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट में मंदिर द्वारा एकत्र किए गए धन का कोई रिकॉर्ड नहीं है।

यूनिवर्सिटी के एक फैकल्टी तिलक डीएम का कहना है, “जो मंदिर ध्वस्त हुआ था वह अवैध था और बंगलोर यूनिवर्सिटी से उसका कोई संबंध नहीं था। उसे अनधिकृत लोगों द्वारा चलाया जा रहा था। यूनिवर्सिटी मंदिर के पुजारियों के वेतन या हुंडी के पैसे के लिए जिम्मेदार नहीं थे।”

छात्रों का कहना है कि स्थानीय विधायक के लोग इस मंदिर का निर्माण कराने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि अपने बॉस को खुश किया जा सके। उन्होंने कहा कि मंदिर की जगह अगर पुस्तकालय बनेगा तो इससे छात्रों को लाभ होगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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