Thursday, May 9, 2024
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‘बन्दूक में ऊपर की नली से गोली डाली’: जिस वीडियो को शेयर कर यूपी पुलिस को किया जा रहा बदनाम, उसकी सच्चाई निकली कुछ और

संत कबीरनगर पुलिस ने कहा कि एंटी-रॉयट गन (Anti Riots Gun) की भी हैंडलिंग करवाई जा रही थी। उस दौरान उपनिरीक्षक द्वारा गन में मजल लोडिंग की प्रक्रिया बताई जा रही थी। पुलिस ने कहा कि दंगा विरोधी गन में लोडिंग चैंबर और मजल, दोनों प्रकार से की जाती है।

सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश पुलिस का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि पुलिस अधिकारियों हथियारों से फायरिंग करने नहीं आ रहा है। इस वीडियो को मुख्यधारा की तमाम मीडिया से लेकर विपक्षी राजनीतिक दल और सोशल मीडिया यूजर शेयर कर राज्य सरकार पर निशाना साधने की कोशिश कर रहे हैं।

समाजवादी पार्टी ने प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार पर हमला बोलने के लिए इस वीडियो का उपयोग किया। समाजवादी पार्टी ने ट्विटर पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “योगी जी की पुलिस को बंदूक में गोली डालना भी नहीं आता! यूपी पुलिस बंदूक की नली से डाल रही गोली, चरम पर अज्ञानता। भाजपा सरकार में गरीबों और निर्दोषों का उत्पीड़न करने वाली अनुशासनहीन पुलिस के एसआई को बंदूक चलाना भी नहीं आता, शर्मनाक। ऐसे पुलिसकर्मियों से बेहतर होगी पुलिस फोर्स?”

कॉन्ग्रेस सेवादल ने कहा, “मुँह से ठाँय-ठाँय की अपार सफलता के बाद पेश है उत्तर प्रदेश पुलिस का एक और कारनामा – बंदूक के मुंह में गोली डालकर ठांय ठांय! इससे अब अपराधी न सिर्फ प्रदेश छोड़कर भागेंगे, बल्कि आजीवन कोई अपराध भी नहीं करेंगे। धन्य हो बाबाजी!”

आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश ने कहा, “धन्य है उत्तर प्रदेश पुलिस! संतकबीरनगर में SI महोदय बंदूक की नली में ही गोली डालकर बंदूक चलाने लगे, यूपी पुलिस को जब ये तक नहीं पता कि गोली कहां लगती है, तो क्या ऐसे अपराध मुक्त होगा उत्तर प्रदेश? योगी आदित्यनाथ जी, ऐसे पुलिस वालों से ही अपराधी थर-थर कांप रहे है क्या?”

हालाँकि, राजनीतिक दलों का काम ही सरकार पर निशाना साधना और इसके लिए वह सच और झूठ का भी सहारा लेते रहते हैं। लेकिन, जब मीडिया भी बिना किसी सत्यापन के वही भाषा बोलने लगे तो समझना चाहिए कि पत्रकारिता का दुखद अंत हो चुका है। ऐसे मीडिया संंस्थानों के छोटे पत्रकारों को तो छोड़िए संपादकों की काबीलियत का काला सच उजागर हो जाता है।

नवभारत टाइम्स ने वीडियो शेयर करते हुए ट्विटर पर लिखा, “संत कबीरनगर पुलिस के इस सब-इंस्‍पेक्‍टर को ये नहीं पता कि गोली कहाँ डाली जाती है। नली के रास्ते से ही गोली डाल दिया। देखिए वीडियो।”

दैनिक हिंदुस्तान ने इससे जुड़ी खबर को शेयर करते हुए लिखा, “Video: राइफल लोड करने में फेल हुआ यूपी पुलिस का दरोगा, गोली नली से डाली और फिर…।”

टीवी9 भारतवर्ष तो दो कदम आगे बढ़ गया। इसने एक इस पर पूरा एक शो ही आयोजित कर दिया। यूपी पुलिस को अक्षम और ना जाने क्या-क्या कह दिया और यहाँ तक राजनेताओं को भी बुला लिया।

आजतक ने इस इसको खबर बनाकर राज्य की सरकार को घेरने की कोशिश की। ट्विटर पर खबर का लिंक शेयर करते हुए आजतक ने लिखा, “बुलडोजर चलाने में हीरो…फायरिंग में ‘जीरो’ गन में आगे से गोली भरने वाली यूपी पुलिस!”

राजनीतिक दलों के साथ-साथ मीडिया संस्थानों के पत्रकारों ने यही सवाल उठाया कि यूपी पुलिस के दारोगा तक को राइफल-बंदूक में गोली भरने नहीं आ रहा है और वे चैंबर में गोली डालने के बजाए सीधे नली में गोली डाल रहे हैं। इस वीडियो को लेकर मीडिया संस्थानों की अज्ञानता को दूर करते हुए संत कबीरनगर पुलिस ने एक ट्वीट कर इन खबरों का खंडन करते हुए भ्रामक बताया है।

संत कबीरनगर पुलिस ने ट्वीट करते हुए कहा, “दिनांक-27-12-2022 को श्रीमान पुलिस महानिरीक्षक बस्ती द्वारा पुलिस व्यवस्था को अधिक सुदृढ एवं प्रभावी बनाने के उद्देश्य से जनपद के वार्षिक निरीक्षण/भ्रमण के दौरान कोतवाली थाने के वायरल वीडियो का संत कबीरनगर पुलिस खण्डन करती है।”

संत कबीरनगर पुलिस ने कहा कि वार्षिक निरीक्षण के दौरान पुलिसकर्मियों से विभिन्न प्रकार के असलहों की हैंडलिंग कराई जा रही थी। इसी क्रम में एंटी-रॉयट गन (Anti Riots Gun) की भी हैंडलिंग करवाई जा रही थी। उस दौरान उपनिरीक्षक द्वारा गन में मजल लोडिंग की प्रक्रिया बताई जा रही थी। पुलिस ने कहा कि दंगा विरोधी गन में लोडिंग चैंबर और मजल, दोनों प्रकार से की जाती है। इस गन में मजल की ओर से लोडिंग की जा रही थी।

संत कबीरनगर पुलिस ने दंगा निरोधी गन में लोडिंग की प्रकार के बारे में बताते एक वीडियो भी शेयर किया है, जिसमें स्पष्ट बताया गया है कि लोडिंग कैसे की जाती है। इस तरह राजनीतिक दलों के साथ-साथ कथित पत्रकारों एवं संपादकों की अज्ञानता के कारण आम लोगों में फेक न्यूज मीडिया संस्थानों द्वारा फैलाई जा रही है। हालाँकि, इन पुलिस द्वारा स्पष्ट किए जाने के बावजूद इन मीडिया संस्थानों के संपादकों ने ना माफी माँगी और ना ही इन वीडियो को डिलीट किया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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