उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया है कि उनकी सरकार के दो साल के कार्यकाल में दिमागी बुखार (Japanese Encephalitis) के मामलों में होने वाली मौतों में 65% कमी आई है। मालूम हो कि मार्च 2017 में राज्य की सत्ता संभालने के महज़ कुछ महीनों बाद अपने ‘गृह’-क्षेत्र गोरखपुर के बाबा राघव दास (BRD) मेडिकल कॉलेज में इस बीमारी से हुई मौतों पर योगी को काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी। 2017 में इस बीमारी से 5400 लोग ग्रसित हुए, और 748 लोगों की मौत हो गई।
“1998 से लड़ रहा हूँ… पहली मीटिंग इसी पर की थी”
योगी आदित्यनाथ ने दावा किया कि राज्य के मुख्यमंत्री बनने के पहले से, 1998 से गोरखपुर के सांसद बनने के समय से वह इस बीमारी से लोगों को बचाने के लिए लड़ रहे हैं। गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ का लगभग दो दशकों तक निर्वाचन क्षेत्र रहा (और धार्मिक तौर पर गोरखधाम मंदिर, जिसके वे मठाधीश हैं, के कारण उनका सन्यासी के तौर पर घर माना जाने वाला) गोरखपुर इस बीमारी का गढ़ माना जाता है।
इसके अलावा योगी ने दावा यह भी किया कि उन्होंने मुख्यमंत्री का कार्यभार संभालने के बाद पहली मीटिंग दिमागी बुखार पर ही की थी, और अधिकारियों से इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा। “पहले encephalitis के मरीजों को नज़रंदाज़ कर दिया जाता था क्योंकि इसे एक अनजान बीमारी माना जाता था। उन्होंने बताया कि सरकारी विभागों को इससे निबटने के लिए संयुक्त कदम उठाने को कहा गया और लोगों को समझाया गया कि बचाव इलाज से बेहतर है।”
सड़क हादसे बन रहे महामारी
28 अगस्त को राजधानी लखनऊ के KGMU अस्पताल में ट्रॉमा शल्य चिकित्सा विभाग द्वारा Indian Society of Trauma and Acute Care (ISTAC) के तीन-दिवसीय सेमिनार को सम्बोधित करते हुए योगी ने सड़क हादसों की बढ़ती संख्या पर भी चिंता जताई। इसे “आजकल किसी महामारी से कम नहीं” करार देते हुए मुख्यमंत्री ने इन्हें रोकने के लिए सरकार के युद्ध-स्तर पर काम करने का भरोसा दिलाया। “मैंने खुद कई बार अंतर-विभागीय बैठकें बुलाईं हैं जिनका उद्देश्य सड़क हादसों को रोकना होता है।”
इससे निपटने के लिए उठाए जा रहे सरकारी क़दमों को गिनाते हुए योगी ने कहा कि सरकार लोगों को जागरुक करने के लिए अभियान चलाने के अतिरिक्त बस-ड्राइवरों की आँखों की जाँच और सड़कों पर साइनबोर्ड फिर से लगवाने का काम भी कर रही है।