Sunday, December 22, 2024
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फर्नीचर-इंटीरियर सब स्वदेशी, तीर्थ दर्शन के साथ-साथ उद्यानों का भी भ्रमण: 2 साल के लिए फुल है बुकिंग, जानिए ‘गंगा विलास क्रूज’ के बारे में सब कुछ

इस क्रूज का इंटीरियर देश की संस्कृति और धरोहर को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। इंटीरियर में सफेद, गुलाबी, लाल और हल्के रंगों का इस्तेमाल किया गया है। बड़ी बात यह है कि इसका फर्नीचर से लेकर सब कुछ हैंडमेड है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (13 जनवरी 2023) को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दुनिया के सबसे लंबे रिवर क्रूज ‘एमवी गंगा विलास’ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह क्रूज 51 दिनों की यात्रा पर निकला है। इस यात्रा में क्रूज वाराणसी से चलकर बांग्लादेश के ढाका से होते हुए असम के डिब्रूगढ़ पहुँचेगा। आइये जानते हैं, ‘एमवी गंगा विलास’ क्रूज और इसकी यात्रा के बारे में…

3200 किलोमीटर की यात्रा…

एमवी गंगा विलास यात्रा कार्यक्रम को ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों पर रुकने के साथ भारत की समृद्ध विरासत का दर्शन कराने के उद्देश्य से डिज़ाइन किया गया है। यह वाराणसी की गंगा आरती व सारनाथ के दर्शन कराते हुए बिहार, झारखंड, बंगाल, बांग्लादेश और फिर असम तक की यात्रा करेगा।

इस यात्रा के दौरान, यात्री बिहार के ‘स्कूल ऑफ योगा’ और नालंदा विश्वविद्यालय भी जाएँगे। इससे, उन्हें भारत की समृद्ध आध्यात्मिक शिक्षा और ज्ञान की गंगा में नहाने का सौभाग्य मिलेगा। यह क्रूज बंगाल की खाड़ी में बने सुंदरबन डेल्टा और काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भी जाएगा। यात्रियों को असम के मायोंग जाने का भी मौका मिलेगा। मायोंग काले जादू और तांत्रिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है।

3200 किलोमीटर की यात्रा के दौरान यात्री विश्व स्थलों, राष्ट्रीय उद्यानों, नदी घाटों के अलावा, झारखंड के शाहीगंज और पश्चिम बंगाल में कोलकाता, बांग्लादेश में ढाका और असम में गुवाहाटी जैसे प्रमुख शहरों सहित 50 पर्यटन स्थलों के भी दर्शन कर सकेंगे।

यह क्रूज भागीरथी, हुगली, विद्यावती, मालता और सुंदरबन की नदी प्रणालियों से होकर गुजरेगा। इसके बाद, बांग्लादेश की मेघना, पद्मा और जमुना नदियों से होकर गुजरेगा। फिर, असम में ब्रह्मपुत्र नदी में प्रवेश करेगा। इस दौरान यह कुल 27 नदी प्रणालियों से होकर गुजरेगा। इस क्रूज की 51 दिनों की ऐतिहासिक यात्रा 1 मार्च 2023 को असम के डिब्रूगढ़ में समाप्त होगी।

टिकट बुकिंग…

एमवी गंगा विलास क्रूज की लंबाई 62 मीटर, चौड़ाई 12 मीटर है। इसमें तीन डेक, बोर्ड पर 18 सुइट हैं। इसमें एक बार में, 36 यात्री यात्रा कर सकेंगे। इसके अतिरिक्त, क्रूज जिम, स्पा और सैलून जैसी तमाम सुविधाओं से सुसज्जित है। कुल मिलाकर इसमें, एक फाइव स्टार होटल से अधिक सुविधाएँ दी गईं हैं। 51 दिनों की यात्रा के लिए प्रत्येक यात्री को करीब 20 लाख रुपए देने होंगे। यानी कि एक दिन की यात्रा का खर्च 25000 से 50000 के बीच है।

गंगा विलास क्रूज के टिकट अंतारा लग्जरी रिवर क्रूजेस (Antara Luxury River Cruises) की वेबसाइट से बुक किया जा सकता है। हालाँकि, अभी इसकी बुकिंग नहीं हो सकती। क्योंकि, इस क्रूज की पहली यात्रा के लिए स्विट्जरलैंड की एक कंपनी ने टिकट्स बुक किए थे। इस क्रूज की अगली यात्रा सितंबर 2023 में शुरू होने की संभावना है। हालाँकि, फिर भी यात्री क्रूज की बुकिंग नहीं कर पाएँगे। क्योंकि, अगले दो वर्षों के लिए इसकी बुकिंग फुल हो चुकी है।

इस क्रूज का इंटीरियर देश की संस्कृति और धरोहर को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। इंटीरियर में सफेद, गुलाबी, लाल और हल्के रंगों का इस्तेमाल किया गया है। बड़ी बात यह है कि इसका फर्नीचर से लेकर सब कुछ हैंडमेड है।

पहली यात्रा में 38 लाख में बुक हुआ एक सुइट

‘गंगा विलास क्रूज’ में सुइट 38 लाख रुपए में बुक किया गया है। सुइट को कई यात्रियों ने मिलकर बुक किया है। ऐसे में एक यात्री के हिस्से में 13 लाख रुपए का खर्च आया है। इस यात्रा के लिए अलग-अलग ट्रेवल स्लॉट तक किए गए हैं। किराया भी इन्हीं स्लॉट के हिसाब से रखा गया है। उदाहरण के लिए देखें तो, इनक्रेडिबल बनारस यानी वाराणसी घूमने के लिए 1.12 लाख रुपए तक किया गया है। इस पैकेज में 4 दिनों की यात्रा होगी, जिसमें गंगा घाट से लेकर रामनगर तक का दर्शन कराया जाएगा।

कोलकाता-बनारस पैकेज का किराया 4 लाख 37 हजार 250 रुपए निर्धारित किया गया है। कोलकाता से बांग्लादेश की राजधानी ढाका तक की यात्रा के लिए भी इतना ही किराया निर्धारित है। कोलकाता से मुर्शिदाबाद राउंड ट्रिप (आठ दिन) के लिए 2 लाख 92 हजार 875 रुपए तय हैं।

एमवी गंगा विलास क्रूज की यात्रा को लेकर इसको संचालित करने वाली कंपनी ‘अंतरा क्रूज प्राइवेट लिमिटेड’ के डायरेक्टर राज सिंह का कहना है कि क्रूज को इस तरह डिजाइन किया गया है, इससे प्रदूषण नहीं होगा। इसमें, ईंधन के लिए हाई-स्पीड डीजल का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे ईंधन से होने वाला वायु प्रदूषण भी नहीं होगा।

उन्होंने यह भी कहा है कि इसमें यात्रियों को प्लास्टिक की बोतलों जैसी अन्य चीजों की जरूरत नहीं होगी। पहले यात्रियों को अलग-अलग नदियों की यात्रा करने के लिए अलग-अलग अनुमति लेनी होती थी। हालाँकि, अब गंगा विलास के जरिए एक साथ भारत से बांग्लादेश की यात्रा संभव हो सकेगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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