उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने करीब चार दशक पुराने Uttar Pradesh Ministers’ Salaries and Miscellaneous Act, 1981 में संशोधन करते हुए मंत्रियों का आयकर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भरे जाने का प्रावधान खत्म कर दिया है। अब से सूबे के माननीयों को अपना आयकर खुद भरना होगा, जबकि पहले यह ज़िम्मेदारी राज्य सरकार के खजाने की होती थी कि वह राज्य सरकार के मंत्रियों का इनकम टैक्स भरे।
Uttar Pradesh Government: UP Chief Minister and the Council of Ministers will now pay their own Income-Tax, which was earlier being paid by the state treasury under UP Ministers’ Salaries, Allowances and Miscellaneous Act, 1981. pic.twitter.com/gDuYtAJXY4
— ANI UP (@ANINewsUP) September 13, 2019
उपरोक्त प्रावधान पूर्व प्रधानमन्त्री वीपी सिंह के समय का है, जब वे सूबे के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। उस समय उन्होंने सूबे के मंत्रियों का टैक्स सरकार द्वारा भरे जाने की व्यवस्था की थी, जो अब तक चली आ रही थी। मीडिया में पिछले दिनों इसे लेकर काफी सवाल उठ रहे थे और सोशल मीडिया पर भी इस व्यवस्था की काफी आलोचना हो रही थी।
खबरों के मुताबिक इस मामले के संज्ञान में आने के बाद योगी आदित्यनाथ ने इस प्रावधान को खत्म करने का निर्णय लिया। राज्य सरकार के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने भी पुष्टि की कि यह निर्णय योगी आदित्यनाथ के ही निर्देशों पर लिया जा रहा है। इस आशय से प्रदेश के सूचना और जनसम्पर्क विभाग ने भी एक कथन जारी किया है।
मीडिया खबरों के मुताबिक केवल योगी सरकार ही मार्च, 2017 से अब तक अपने मंत्रियों का ₹86 लाख आयकर भर चुकी है। इस स्कीम का फायदा उठाने वालों में ‘आम’ मंत्रियों के अलावा नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह, मायावती, वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जैसे कद्दावर नेता भी शामिल रहे हैं।