साल 2008 में इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की शुरुआत क्रिकेट प्रेमियों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं थी। जो उत्साह दर्शकों में कभी वर्ल्ड कप के आने पर दिखता था, वो उत्साह आईपीएल के कारण अब हर साल बना रहता है। लोगों ने राज्य और खिलाड़ियों के आधार पर अपनी टीमें पसंद कर रखी हैं। इनकी पर्फॉर्मेंस तय करती है कि दर्शक का मूड कैसा बनेगा। टीम जीते तो फैंस खुशी से झूम जाते हैं और हारे है तो निराश हो जाते हैं…सालों से दर्शकों के प्रतिक्रिया देने का यही ढंग रहा। लेकिन बीते कुछ समय में इस ढंग को यदि किसी ने बदला है तो वो आरसीबी फैंस है जो जीत की आस लिए बैठते हैं मगर जब ऐसा नहीं होता तो वो गाली-गलौच पर उतर आते हैं।
अच्छा प्रदर्शन करने वाली खिलाड़ियों पर RCB फैंस की खुंदस
इस बार भी कुछ यही हुआ। गुजरात टाइटन्स और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के बीच हुए खेल में गुजरात टाइटन्स ने बाजी मारी। टीम के दो क्रिकेटरों ने इतना अच्छा खेला कि सब उनकी तारीफ करने लगे। मगर उनकी इस पर्फॉर्मेंस से जो आरसीबी को हार देखने को मिली वो टीम के फैंस से बर्दाश्त नहीं हुई। वो इतनी नीचता पर उतर आए कि उन्होंने शुभमन गिल के सेंचुरी मारने पर उनके जान से मारने की धमकी दी और क्रिकेटर की बहन को ‘वेश्या’ बता दिया। इसी तरह विजय शंकर द्वारा मारा गया अर्धशतक भी आरसीबी फैंस को नहीं हजम हुआ। विजय पर आरोप लगाए गए कि वो बस आईपीएल में पैसों के लिए खेलते हैं लेकिन भारत के लिए खेलने को कहा जाए तो प्रदर्शन नहीं कर पाते।
दिल्ली-पंजाब ने भी नहीं जीती ट्रॉफी, पर फैंस गाली नहीं देते
आरसीबी के फैंस का यह बर्ताव किसी भी क्रिकेट प्रेमी के लिए बहुत हैरान करने वाला है। सालों से देखा गया है कि खेल में किसी को हार मिलने पर आलोचना सामान्य बात होती है पर जीतने पर कोई गाली नहीं देता। मगर अब आरसीबी के फैंस इस ट्रेंड को बदल रहे हैं। उन्होंने अपनी कुंठा जीतने वाली टीम और उसमें अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों पर निकालनी शुरू कर दी है। कुछ लोग इस रवैये को फैंस की हताशा बताकर जस्टिफाई करने का प्रयास भी कर सकते हैं। लेकिन ऐसा करने से पहले ये याद रहना चाहिए कि आईपीएल के इतिहास में आरसीबी अकेली टीम नहीं है जिनके हाथ ट्रॉफी एक भी बार नहीं आई, दिल्ली और पंजाब जैसी भी टीमें हैं जो इस ट्रॉफी तक अब तक नहीं पहुँची… अब ऐसा थोड़ी है कि इनके कोई फैंस ही नहीं है या जो हैं वो चाहते ही नहीं है कि उनकी टीम जीते…बस फर्क इतना ही कि वो हारने पर कभी जीते वाली टीम के साथ अभद्रता पर नहीं उतरते दिखे जबकि आरसीबी के फैंस ने बदसलूकी करने की हर हद पार कर दी है।
लड़ाई कोहली-गंभीर की, गाली फैंस ने दी
अपनी टीम को जिताने के लिए वो ये सोचने की जगह कि उनके प्लेयर बढ़िया खेलें, ये सोचकर भड़क रहे हैं कि दूसरी टीम का प्लेयर क्यों बेहतर खेल रहा है। वो उनकी तारीफ करने की बजाय उन्हें ट्रोल कर रहे हैं, उन्हें जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। इतना ही नहीं परिवार के लोगों को भी अनाप-शनाप बोला जा रहा है। और ये सब कोई पहली बार नहीं हो रहा। इससे पहले भी आरसीबी के फैंस रोहित शर्मा को भला-बुरा बोल चुके हैं। धोनी पर सवाल उठा चुके हैं। इतना ही नहीं बीच में जब कोहली-गंभीर का विवाद हुआ तो इन्हीं आरसीबी फैंस ने गौतम गंभीर को भी ट्रोल किया बिना ये समझे कि गलती किसकी है।
कब कौन जीता, कौन हारा
2008 से अब तक का रिकॉर्ड देखें तो पता चलता है कि आईपीएल सबसे ज्यादा दफा मुंबई इंडियंस ने जीता (5 बार), इसके बाद चेन्नई किंग्स (4 दफा), कोलकाता ने 2 बार, हैदराबाद ने 2 बार, राजस्थान ने 2 बार और गुजरात टाइटन्स ने एक बार जीता है। वहीं दिल्ली कैपिटल्स, पंजाब किंग्स, रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु वो टीमें हैं जो खेलीं हर साल पर खिताब अपने नाम नहीं कर पाईं। इनके अलावा कोच्चि टस्कर्स, पुणे वॉरियर्स, राइसिंह सुपर जियांट्स, गुजरात लॉयन्स और लखनऊ सुपर जियांट्स वो टीमें जो एक भी बार आईपीएल ट्रॉफी नहीं जीत पाईं।
3 बार फाइनल पहुँची RCB, जीत नहीं पाई
बावजूद तमाम हार के बाद क्रिकेट के इतिहास में इतने गालीबाज फैंस कभी किसी के नहीं रहे जितने आरसीबी के हैं। शुरुआत से लेकर अब तक आईपीएल में इनकी पर्फॉर्मेंस को देखें तो पता चलेग आरसीबी 2009, 2011 और 2016 में रनर-अप रह चुकी है। यानी उन्हें तीन बार फाइनल्स में मौका मिला। जबकि पंजाब और दिल्ली वो टीम हैं जो खेली भी हमेशा और उनके हिस्से भी ये मौका ही एक-एक बार आया। जैसे दिल्ली के पास 2020 में और पंजाब किंग्स के पास 2015 में।
आईपीएल में इन टीमों की यदि पोजिशन देखें तो पता चलेगा कि आरसीबी कितना ही खुद को हताश दिखाए पर इनके फैंस से ज्यादा बुरी हालात उनकी नहीं होगी। आरसीबी जहाँ 2010, 2015 और 2022 में तीसरे नंबर पर रह चुकी है। वहीं पंजाब कभी भी 5वाँ पायदान से ऊपर नहीं उठी। दिल्ली कैपिटल्स तो 2011 में 10वें पायदान पर थी…ऐसे प्रदर्शन के कारण इनकी आलोचनाएँ समय-समय पर जरूर हुई। इनके फैंस ने इनसे नाराजगी जताई जरूर पर इतना कोई नहीं बौराया कि अपनी टीम की हार का बचाव करने पर दूसरे क्रिकेटर को गाली देने लगें। ये हुनर साल दर साल आरसीबी फैंस में बढ़ता जा रहा है जिसका असर आरसीबी की छवि पर सीधा पड़ता है।