Monday, December 23, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीय'कोरोना वायरस को चीन ने जैविक हथियार के रूप में विकसित किया': वुहान लैब...

‘कोरोना वायरस को चीन ने जैविक हथियार के रूप में विकसित किया’: वुहान लैब के शोधकर्ता ने कहा- 4 तरह के वायरस देकर सबसे प्रभावी खोजने के लिए कहा गया था

चाओ शाओ ने आगे कहा, "अप्रैल 2020 में उन्हें शिनजियांग भेजा गया था, ताकि जेलों में बंद उइगरों मुस्लिमों की सेहत की जाँच की जा सके। सेहत जाँचने के बाद उन्हें जल्द आजाद किया जा सके। वायरस की स्टडी करने वाले वैज्ञानिकों को सेहत की जाँच का काम देना कहाँ तक सही है।"

साल 2019 के अंत में विश्व के सामने महामारी के रूप में आए कोविड-19 (Covid-19) को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। चीन के वुहान लैब के एक शोधकर्ता ने दावा किया है कि चीन कोविड-19 को जैविक हथियार के रूप में तैयार किया था। इसी के उसने लोगों को जानबूझकर संक्रमित किया था।

बताते चलें कि इस तरह के आरोप चीन पर लगते रहे हैं। पहले भी कहा गया है कि चीन अपने लैब में कोविड-19 वायरस को तैयार कर रहा था। हालाँकि, चीन ने इससे इनकार किया था और कहा था कि यह वायरस चीन के मीट मार्केट (Meat Market) से फैला था।

वुहान के शोधकर्ता चाओ शाओ ने इंटरनेशनल प्रेस एसोसिएशन के सदस्य जेनिफर जेंग के साथ एक साक्षात्कार में यह खुलासा किया है। शाओ ने कहा कि कोरोना वायरस को चीन ने जैव हथियार के रूप में तैयार किया था। उन्होंने यह भी कहा कि वुहान लैब के वैज्ञानिकों को सबसे प्रभावशाली वायरस पता करे के लिए कहा गया था।

चाओ ने कहा कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में उनके सहयोगी शान चाओ ने उन्हें बताया कि उसके एक सीनियर ने उसे कोरोनो वायरस के चार प्रकार दिए थे। शान ने उन्हें बताया कि उनके साथ काम करने वाले सहयोगियों को चार तरह के वायरस दिए गए थे और पता लगाने के कहा गया था कि कौन-सा सबसे तेजी से फैल सकता है।

चाओ शाओ ने कहा कि कोरोना वायरस कुछ और नहीं, बल्कि यह एक जैव हथियार था। उन्होंने कहा कि उनके कई सहयोगी वुहान में साल 2019 में आयोजित हुए सैन्य विश्व खेलों के दौरान गुम हो गए थे। बाद में उनमें से एक शोधकर्ता ने उन्हें बताया था कि वे सभी विभिन्न देशों से आए एथलीटों की जाँच करने के लिए होटलों में गए थे।

चाओ शाओ ने कहा कि ये बात समझनी चाहिए कि किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य की जाँच के लिए किसी वायरोलॉजिस्ट की जरूरत नहीं होती है। जाँच करने का काम डॉक्टर आदि करते हैं। चाओ शाओ ने कहा कि इन वायरोलॉजिस्ट को कोरोना वायरस फैलाने के लिए वहाँ भेजा गया था, ताकि यह दुनिया में तेजी से फैल सके।

चाओ शाओ ने आगे कहा, “अप्रैल 2020 में उन्हें शिनजियांग भेजा गया था, ताकि जेलों में बंद उइगरों मुस्लिमों की सेहत की जाँच की जा सके। सेहत जाँचने के बाद उन्हें जल्द आजाद किया जा सके। वायरस की स्टडी करने वाले वैज्ञानिकों को सेहत की जाँच का काम देना कहाँ तक सही है।”

चाओ ने कहा कि वहाँ वायरोलॉजिस्ट को सिर्फ यह देखने के लिए भेजा गया था कि वायरस फैल रहा है या नहीं या फिर उसके जरिए वायरस फैलाया गया। बताते चलें कि कोरोना की उत्पत्ति को लेकर चीन हमेशा से सवालों के घेरे में रहा है। ऐसे में यह आरोप उन दावों की एक तरह से पुष्टि कर रहे हैं।
 

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -