ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने काले धन को वैध धन बनाने के मामले में सोनिया गाँधी के दामाद, रॉबर्ट वाड्रा को एक बार फिर से घेरे में ले लिया है। इस बार मनी लॉन्ड्रिंग मामले की छान-बीन के लिए एजेंसी ने अदालत की तरफ रुख ले लिया है।
शनिवार को दिल्ली कोर्ट में प्रवर्तन निदेशालय ने बताया कि लंदन के 12, ब्रायनस्टन स्क्वायर में संपत्ति खरीदने के लिए यूएई से धन प्रवाह का इस्तेमाल किया गया, और इस संपत्ति का कथित तौर पर मालिकाना अधिकार रॉबर्ट वाड्रा के पास है। इसकी क़ीमत £1.9 मिलियन है, जो भारतीय रुपये के अनुसार लगभग 17 करोड़ है।
प्रवर्तन निदेशालय के अभियोजक नितेश राणा द्वारा विशेष कोर्ट के न्यायाधीश अरविंद कुमार के समक्ष रोबर्ट वाड्रा के सहायक मनोज अरोड़ा के खिलाफ बेमियादी गैर जमानती वारंट जारी करने की बात रखी गई। जिसकी तर्ज पर कोर्ट 8 जनवरी के बाद सुनवाई करेगा। एजेंसी की शिकायत है कि बार-बार सम्मन जारी करने के बाद भी मनोज अरोड़ा पूछताछ के लिए हाज़िर नहीं होता है।
प्रवर्तन निदेशालय का यह दावा है कि रॉबर्ट वाड्रा की अघोषित संपत्ति की जानकारी करने के लिए मनोज अरोड़ा एक महत्वपूर्ण व्यक्ति है। साथ ही रॉबर्ट के काले धन को वैध बनाने में मनीष सहायता भी करता है।
एजेंसी का कहना है कि 12, ब्रायनस्टन स्कवायर, लंदन, ब्रिटेन में संपत्ति पर रॉबर्ट का लाभकारी रूप से नियंत्रण है। एक तरफ जहाँ इस संपत्ति की कीमत 19 लाख पाउंड है, वहीं खरीददारी के बाद इस संपत्ति की मरम्मत करने के लिए धन की भी व्यवस्था की गई।
प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी शिकायत में कहा कि एजेंसी द्वारा परिसर की तलाशी के बाद से ही मनोज अरोड़ा फरार है। पूछताछ के लिए बुलाने पर भी मनोज कभी हाजिर नहीं हुआ। जिसकी वजह से कोर्ट तक बात पहुँची और बेमियादी ग़ैर जमानती वारंट जारी किया गया। आपको बता दें कि बेमियादी गैर ज़मानती वारंट की कोई सीमा नहीं होती है। इसलिए ग़ैर ज़मानती वारंट की माँग न करके बेमियादी ग़ैर जमानती वारंट की बात की गई।