‘नेशनल कॉन्फ्रेंस’ के सांसद अकबर लोन ने विधायक रहते जम्मू कश्मीर की विधानसभा में ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ का नारा लगाया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हलफनामा दायर कर माफ़ी माँगने को कहा।अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान ये मामला उठा था। इस दौरान भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि कैसे अकबर लोन ने एक सार्वजनिक रैली के दौरान भी आतंकियों के प्रति हमदर्दी जताई थी। इसमें भारत को विदेशी देश बताया गया था।
SG ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में अकबर लोन ने जो एफिडेविट दायर की है, उसमें उन्हें ये ज़रूर कहना चाहिए कि वो अपनी कही गई उन बातों का समर्थन नहीं करते हैं। उन्होंने ये भी लिख कर दिए जाने की माँग की कि वो न तो किसी आतंकवादी का समर्थन करते हैं न देश के किसी अलगाववादी का। हालाँकि, इस दौरान कपिल सिब्बल फँस गए। जब सॉलिसिटर जनरल ने सांसद के बयान का जिक्र किया तो वो कहने लगे कि सुनवाई का लाइव टेलीकास्ट हो रहा है, इसे न पढ़ा जाए।
हालाँकि, मुख्य न्यायाधीश ने भी एसजी से कहा कि वो इसे न पढ़ें, इसीलिए एसजी ने पूरा न पढ़ते हुए सिर्फ बताया कि कैसे उस रैली में आतंकियों के प्रति अकबर लोन ने हमदर्दी जताई थी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट में पेश गोपाल शंकरनारायणन ने इस पर आपत्ति जताई कि अनुच्छेद-370 के पक्ष में याचिका दायर करने पर उनलोगों को अलगाववादी एजेंडे को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया जा रहा है।
हालाँकि, इस दौरान CJI डीवाई चन्द्रचूड़ ने उन्हें आश्वस्त किया कि सुप्रीम कोर्ट में किसी शिकायत के संबंध में याचिका लेकर आना संवैधानिक अधिकार है, इसमें अलगाववादी एजेंडे वाली कोई बात नहीं है। SG ने भी कहा कि याचिका दायर करना अलगाववादी नहीं है। इस दौरान कपिल सिब्बल ने बतौर अधिवक्ता पेश होते हुए दावा किया कि उनलोगों ने केवल कानून और संविधान के हिसाब से ही बातें रखी हैं। इस दौरान उन्होंने उन रियासतों की सूची दी, जो भारतीय गणतंत्र में शामिल हुए और दलील दी कि जम्मू कश्मीर का मामला अलग था।
हालाँकि, CJI ने ध्यान दिलाया कि इस करार में ये भी कहा गया था कि आगे के सभी निर्णय भारत के संविधान के हिसाब से लिए जाएँगे और पिछले जो भी करार हुए थे वो सब निलंबित रहेंगे। उसमें लिखा था कि आने वाले संविधान के हिसाब से चीजें चलेंगी, क्योंकि तब संविधान बना नहीं था। कपिल सिब्बल ने अनुच्छेद-370 को निरस्त किए जाने को संविधान की मूल संरचना से छेड़छाड़ करार दिया। उन्होंने पूछा कि कानून के किस प्रावधान के तहत किसी राज्य को केंद्रशासित प्रदेश में बदल दिया गया?
Sibal: You say you're going to have municipal, local governance elections, tourism has increased. So what is the impediment then? What's the constitutional logic that you can use to deny people of J&K statehood?#Article370 #SupremeCourt
— Live Law (@LiveLawIndia) September 5, 2023
उन्होंने राज्य में विधानसभा चुनाव न कराए जाने को लेकर भी भारत सरकार पर निशाना साधा। बता दें कि CJI कह चुके हैं कि मंगलवार (5 सितंबर, 2023) को ही इस मामले की सुनवाई पूरी कर ली जाएगी। कपिल सिब्बल ने इस दौरान अनुच्छेद-356 के तहत संसद को शक्ति दिए जाने पर भी सवाल उठाया। सुनवाई के दौरान ही अकबर लोन द्वारा 2015 में दिए गए बयान का मुद्दा भी उठा था। सुप्रीम कोर्ट इस पर फैसला रिजर्व रखेगी और अगली तारीख़ पर फैसला सुनाएगी।