कोरोना को हल्के में लेने वाले, डॉक्टरों पर हमला करने वालों, थूकने, मल-मूत्र त्यागने वाले अधम श्रेणी के मनुष्यों की तुलना स्वामी जगन्नाथ के सेवायतों से करना धूर्तता है।
वामपंथियों और उनके गिरोह को ये बात नहीं भूलना चाहिए कि जिस कानून-व्यवस्था में उन्हें यकीन नहीं है, आज उसी ने उन्हें मानवीय आधार पर जमानत दी। ये चीज वामपंथियों को याद रखना चाहिए।
दिल्ली दंगों में चार्जशीट दाखिल होने का सिलसिला शुरू होते ही 'मासूम' नैरेटिव गढ़ने की कोशिशें भी शुरू हो गई है। जानिए, मोनिका अरोड़ा से कैसे रची गई थी पूरी साजिश।
तेलंगाना हाईकोर्ट ने पूछा है कि लॉकडाउन में समुदाय विशेष पर ही ज्यादा मुकदमे क्यों? यह भी तो हो सकता है कि कोई समुदाय शांतिप्रिय हो, और कोई सिर्फ शांतिप्रिय कहलाता हो, लेकिन उपद्रव करने में अग्रणी हो?