राष्ट्रवाद अपने हर रूप, हर रंग, हर तरीके में सुंदर है। अगर अपनी मातृभूमि के लिए चिल्लाना गुनाह है तो लोगों को अपना गला हर दिन खराब करना चाहिए। ऐसे गुनाह होते रहने चाहिए।
ये अल्ट्रा नेशनलिस्ट क्या होता है? राष्ट्रवाद बस राष्ट्रवाद है, उसमें विशेषण लगाकर गाली बनाने वाले लोग धूर्त चिरकुटों की परम्परा से आते हैं, इनको देखते ही, राह चलते धोते रहना चाहिए, शब्दों से!
पाकिस्तान की अहमियत मोदी के लिए इतनी भी नहीं है कि उसके द्वारा किए गए हमलों के जवाब में एयर स्ट्राइक होने पर एक भी बार कहीं सीधा बयान दे। पूरे प्रकरण में मोदी ने अपनी रैलियों से लेकर, कई कार्यक्रमों के दौरान कहीं भी पाकिस्तान पर किए गए स्ट्राइक का सीधे ज़िक्र नहीं किया।
क्या इमरान नहीं जानते कि जैश-ए-मोहम्मद के बाक़ायदा बोर्ड लगे हुए हैं पाकिस्तान में? फिर ये दोगलों जैसी बातें क्यों करता है इमरान? स्वीकार लो कि तुम एक नकारा प्रधानमंत्री हो, जिसके हाथ में न तो सत्ता है, न आर्मी है और न ही वो तमाम आतंकी जो तुम्हारी बात सुनते हों।
कुछ लोगों के लिए देशप्रेम एक सहज बात नहीं होती। उन्होंने बार-बार दिखाया है कि उनकी ज़मीन कहीं और है। उनके लिए सैनिकों पर पत्थर फेंकने वालों के लिए, जवानों के घेरकर मार देने वाले नक्सलियों के लिए, देश को तोड़ने वाली शक्तियों के लिए हमेशा मानवाधिकार जैसे शाब्दिक हथियार होते हैं।
अब वामपंथी मीडिया गिरोह के धूर्त पत्रकारों का इंतजार है कि वो कैसे हमें ज्ञान देते हैं कि 'जब पाकिस्तान शांति के लिए हाथ बढ़ा रहा है, तब हम उस पर हमला क्यों कर रहे हैं'।
मोदी के ऐसे प्रतीकात्मक कार्य आपको नौटंकी ही लगेंगे क्योंकि आप न तो लोयथम रिचर्ड को जानते हैं, न ही नाइदो तनियम को। आप उन हजारों उत्तर-पूर्व के लोगों को नहीं समझ पाते, और उनकी वेशभूषा पर टिप्पणियाँ करते हुए, उसके बालों के कारण उसकी जान ले लेते हैं।