Friday, April 26, 2024
Homeबड़ी ख़बरराष्ट्रवाद है, सिगरेट नहीं कि अल्ट्रा और माइल्ड होगा

राष्ट्रवाद है, सिगरेट नहीं कि अल्ट्रा और माइल्ड होगा

आतंकी हमले आदि होने के बाद आने वाले कुछ दिनों में देशभक्ति को गाली बनाने के लिए 'हायपर नेशनलिज्म', 'अल्ट्रा नेशनलिज्म', 'नीयो नेशनलिज्म', 'मसकुलर नेशलिज्म', और 'जिंगोइज्म' नामक जुमले फेंके जाते हैं।

‘नफ़रतों का दौर है’, ये एक ऐसा जुमला है जो आमतौर पर माओवंशी कामपंथी छद्मबुद्धिजीवी गिरोह द्वारा लगातार इस्तेमाल होता रहता है ये बताने के लिए कि इस देश की बहुसंख्यक जनसंख्या, इस देश के करोड़ों राष्ट्रवादी और वैसे सारे लोग जो देश की अखंडता बचाने का हर प्रयास करते हैं, वो लोग नफ़रत फैला रहे हैं। 

हालाँकि, इन पाक अकुपाइड पत्रकारों (Pak Occupied Patrakaar) ने इतनी नफ़रत फैलाई है सोशल मीडिया पर कि अगर आदमी कुछ वर्षों से देश में न रह रहा हो, और अचानक आए, तो वो शायद हवाई जहाज पर फोन ऑन करके यहाँ के ख़बरों को पढ़ने लगे, या यहाँ की पत्रकारिता के समुदाय विशेष के ट्वीट आदि पढ़ ले तो एयरपोर्ट से ही लौट जाएगा। उसे यह लगने लगेगा कि बाहर में टैक्सी वाला उससे उसका नाम पूछेगा, और कहीं सुनसान में ले जाकर काट देगा।

ये विषाक्त वातावरण बहुत ही क़ायदे से, व्यवस्थित तरीके से, गिरोह के पूरे विश्व में फैले नेटवर्क के द्वारा बनाया गया है। हमारे देश के ऊपर जो सहिष्णुता का ओज़ोन लेयर था, उसमें हमारे इन कामपंथी गिरोह के लोगों ने अपनी हानिकारक बातों से ऐसा छेद किया है कि वो अभी तो रिपेयर होने से रहा। जब लगता है कि अब ये कौन सा मुद्दा लाएँगे, तब पता चलता है कि इन्होंने नई परिभाषाएँ और शब्दावली तैयार कर ली हैं। 

पुलवामा हमला हुआ, पूरा देश एकजुट होकर खड़ा हो गया। इन्होंने पहले पीएम को कोसा कि कैसे हो गए हमले, उसने क्या किया है। उसके बाद गिरोह के छुटभैये लोगों ने जवानों की जाति पता कर ली। उसके बाद उन्होंने ‘राष्ट्रवाद’ को एक गाली या नकारात्मक भाव की तरह दिखाते हुए इसे चुनाव से जोड़ा, और साथ ही, इसमें भी जाति निर्धारण कर दी कि ‘भारत माता की जय’ बोलने वाले और कैंडल लेकर मार्च करने वाले लोग, बड़े शहरों में रहने वाले ऊँची जाति के हिन्दू हैं। 

चालीस जवानों की बलि चढ़ गई, और देश अपनी संवेदना प्रकट कर रहा था तो देश और सेना के साथ खड़े होने को गाली की तरह डीलेजिटिमाइज करने की तमाम कोशिशें होती रहीं। आम जनता ऐसे मौक़ों पर पार्टी, विचारधारा से ऊपर आकर जवानों के साथ खड़ी हो जाती है। लेकिन इस समय जीभ लपलपाती धूर्त गिरोह उन्हें नकारने में लग जाता है कि ‘भारत माता की जय’ बोलना ‘हायपर नेशनलिज्म’ है। 

उसके बाद आने वाले कुछ दिनों में नेशनलिज्म को गाली बनाने के लिए ‘हायपर’, के बाद ‘अल्ट्रा नेशनलिज्म’, ‘नीयो नेशनलिज्म’, ‘मसकुलर नेशलिज्म’, और ‘जिंगोइज्म’ नामक जुमले फेंके जाते हैं। आप देखेंगे कि जब देश संवेदना प्रकट कर रहा होता है, जब देश भावुक होता है, तब ये ट्विटर के शेर, इनमें से एक-एक विशेषण बाँट लेते हैं, और धिक्कारने लगते हैं वैसे तमाम लोगों को, जिनके लिए ‘भारतीयता’ ही एकमात्र पहचान रह जाती है। 

उसके बाद इनके विश्लेषण आते हैं कि ‘भारत की माता की जय बोलने से कौन मना कर रहा है, लेकिन इतना जोर से क्यों बोलना?’ ये आपको बताएँगे कि आप अपनी भावनाएँ उन सैनिकों के लिए मुँह के फैलाव को कितने सेंटीमीटर तक रखकर, कितने डेसिबल में चिल्लाएँगे तो वो नेशनलिज्म रहेगा, और कितने के बाद वो ‘अल्ट्रा’ हो जाएगा।

ऐसे समय में ऐसे लोग भी खूब निकल कर आते हैं जो ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ से लेकर आतंकियों को शुक्रिया कहते नज़र आते हैं। अब इन दीमकों को कोई पुलिस के सुपुर्द कर देता है तो वो गुंडा कैसे हो गया? गुंडा तो वो है जो इस देश का खाता है, यहाँ की सुविधाएँ लेता है, और ऐसे मौक़ों पर आतंकियों का हिमायती बना फिरता है। 

ये तो निचले स्तर के गुंडे हैं, लेकिन इन्हीं मौक़ों पर आपको देश के तथाकथित ओपिनियन मेकर्स भी दिख जाएँगे, जो हमेशा ‘नया एंगल’ ले आते हैं। पाकिस्तान की मजबूरी और आतंकी देश का तालिबानी प्रधानमंत्री इनके लिए ‘मोरल हाय ग्राउंड’ लेने वाला और ‘स्टेट्समेन’ इमरान खान हो जाता है। वो क्यूट और कूल हो जाता है क्योंकि उसने धूर्तता की चाशनी में डुबोकर कुछ शब्द बोले हैं, जो उसकी मजबूरी थी।

उसके बाद जब देश में पाकिस्तान को गाली पड़ती है तो ये विशेषणों की फ़ैक्टरी चालू हो जाती है। हर तरफ से ऐसे नैरेटिव बनाने की कोशिश होती है, जहाँ राष्ट्रवादी गुंडा और लुच्चा हो जाता है! मतलब, इस देश में मातृभूमि के लिए जान देने की क़समें खाना लफुआगीरी हो जाती है! आप जरा सोचिए, कि भारत छोड़कर दुनिया में कोई और देश होगा जहाँ पाकिस्तानी आतंकी ब्लास्ट करके चालीस जवानों की हत्या कर देते हैं, और हमारे तथाकथित बुद्धिजीवी जो देश-विदेशों में आख्यान देते हैं, अख़बारों में कॉलम लिखते हैं, उन्हें घेरते हैं जो देश के लिए खड़ा होता है। 

इनसे जब आप पूछिएगा कि इन विशेषणों से सज्जित राष्ट्रवाद की परिभाषा बताएँ, इसको विस्तार से बताएँ, तो वो वही बात करेंगे, एक ही बात कि ‘भारत माता की जय’ इतने जोर से क्यों बोलना, दूसरों से क्यों बुलवाना, जो आतंकियों को इंशाअल्लाह लिखता है उसको क्यों पीटना… 

जब एक ही परिभाषा है, और वो भी बेकार ही है, तो इतने वैरिएशन क्यों गढ़ना? सेक्सी लगता है सुनने में? जीभ ऐंठ के ‘मस्कुलर नेशनलिज्म’ बोलने में अलग चरमसुख मिलता है। वैसे भी वरायटी तो जीवन का मसाला है, एक ही बात को तीस तरह से कहते रहिए। 

लेकिन सत्य यही है कि आपके ‘हायपर’, ‘अल्ट्रा’, ‘मस्कुलर’ आदि के चिल्लाने की आवाज़ का डेसिबल ‘भारत माता की जय’ बोलने वालों से ज़्यादा ही होता है। लेकिन याद रहे चोर जितना भी चिल्ला ले कि वो चोर नहीं है, उससे साबित कुछ नहीं होता। 

राष्ट्रवाद अपने हर रूप, हर रंग, हर तरीके में सुंदर है। अगर अपनी मातृभूमि के लिए चिल्लाना गुनाह है तो लोगों को अपना गला हर दिन खराब करना चाहिए। ऐसे गुनाह होते रहने चाहिए। इन्हीं गुनाहों ने इस देश को एकजुट किया है। ऐसे हजार गुनाह भारत माता के नाम! 

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

अजीत भारती
अजीत भारती
पूर्व सम्पादक (फ़रवरी 2021 तक), ऑपइंडिया हिन्दी

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

बंगाल के मेदिनीपुर में भाजपा कार्यकर्ता के बेटे की लाश लटकी हुई, TMC कार्यकर्ताओं-BJP प्रदेश अध्यक्ष के बीच तनातनी: मर चुकी है राज्य सरकार...

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के बीच बंगाल भाजपा ने आरोप लगाया है कि TMC के गुंडे चुनाव को प्रभावित कर रहे हैं।

नहीं होगा VVPAT पर्चियों का 100% मिलान, EVM से ही होगा चुनाव: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की सारी याचिकाएँ, बैलट पेपर की माँग भी...

सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट वेरिफिकेशन की माँग से जुड़ी सारी याचिकाएँ 26 अप्रैल को खारिज कर दीं। कोर्ट ने बैलट पेपर को लेकर की गई माँग वाली याचिका भी रद्द कीं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe