राजनीति
MSP की गारंटी कृषि सहित भारत की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर देगी
MSP की गारंटी से महँगाई बढ़ेगी, निर्यात पर असर पड़ेगा, छोटे किसानों के उत्पाद गारंटी कानून के कारण घरों में सड़ जाएँगे, और भारत की अर्थव्यवस्था इससे हिल जाएगी।
ऑपइंडिया हिंदी से
जब अम्बानी को कॉन्ग्रेस ने 1 लाख करोड़ का ठेका दिया था | Ajeet Bharti talks about Rahul Gandhi’s jibe on Adani-Ambani
आपको किसी ने जबरन तो नहीं कहा कि जियो का सिम ले लो और रिलायंस फ्रेश से ही सब्ज़ियाँ खरीदना? अडानी ने तो जबरदस्ती नहीं की आपके साथ? टाटा ने यह तो नहीं कहा कि मेरी कार नहीं लोगे तो मोदी को बता देंगे?
राजनैतिक मुद्दे
राहुल तुम ‘नेहरू-दा’ हो, ‘नेरूदा’ मत बनो: अम्बानी को एक लाख करोड़ का ठेका तो यूपीए ने भी दिया था
आपको किसी ने जबरन तो नहीं कहा कि जियो का सिम ले लो और रिलायंस फ्रेश से ही सब्ज़ियाँ खरीदना? अडानी ने तो जबरदस्ती नहीं की आपके साथ? टाटा ने यह तो नहीं कहा कि मेरी कार नहीं लोगे तो मोदी को बता देंगे?
Satire | व्यंग्य
किसान आंदोलन रोस्ट: वो अन्नदाता है… | Farmers protest roast: Farmers are ‘annadata’ by Ajeet Bharti
किसानों के आंदोलन के नाम पर 'अन्नदाता' कह-कह कर खूब इमोशनल ब्लैकमेल चल रहा है। जबकि वहाँ खालिस्तानी समर्थक और दिल्ली के दंगाइयों को समर्थन देने वाले वामपंथियों का जुटान हो रखा है।
हास्य-व्यंग्य-कटाक्ष
व्यंग्य: अरे भई! वो अन्नदाता है, वो भला बिल क्यों पढ़ेगा!
पहले सांसद कानून बनाते थे, तो अभी भी वही बनाएँगे, ये कहीं से भी उचित नहीं है। अच्छी बात तो यह होगी कि किसान अपने कानून स्वयं बनाए, आतंकी UAPA में संशोधन करे, डॉक्टर निजी प्रैक्टिस पर बिल बनाएँ।
बकैत की रिपोर्ट
S02E05: किसान आंदोलन पर 14 दिन से बकैती | Ravish Kumar’s continuous propaganda on farmer protest
लगातार दो सप्ताह से बकैत रवीश कुमार ने वैसा ही प्रपंच फैलाना जारी रखा है जैसे वो शाहीन बाग के समय कर रहा था।
सामाजिक मुद्दे
तीस हजार बाबरी बाकी है, और उसे ले कर रहेंगे: अजीत भारती का वीडियो | Ajeet Bharti on 30000 Babris remain, Hindus must have...
अब वह समय आ गया है कि जब भी कोई ‘बाबरी जिंदा है‘ कहे, तो हमें कहना चाहिए कि हाँ, तीस हजार जिंदा है, और एक-एक को तोड़ कर, मंदिर वहीं बनाएँगे।
सामाजिक मुद्दे
तीस हजार बाबरी बाकी है, और हम उसे ले कर रहेंगे
हर राष्ट्र में कानून बहुसंख्यकों के हिसाब से होता है और अल्पसंख्यकों को उसी दायरे के अनुकूल बनना पड़ता है। यहाँ हमेशा उल्टा होता आया है क्योंकि सर्वसमावेशन और सहिष्णुता की बात सिर्फ हिन्दुओं की ही जिम्मेदारी बन गई है।