Friday, November 15, 2024
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अनुपम कुमार सिंह

भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

बिहार: घटिया जातिवादी गणित को सोशल इंजीनियरिंग कहने से वो सही नहीं हो जाता

बिहार में जाति के आधार पर कैसे खेल खेला जाता है, इसे उम्मीदवारों के दाँव-पेंच के साथ इस उदाहरण द्वारा समझिए, ये आपको कहीं भी नहीं पता चलेगा, इस पूरी प्रक्रिया को समझने के लिए आपको बिहार की राजनीति, समाज और सोच में घुली-मिली पूरी व्यवस्था को समझना पड़ेगा।

यौन शोषण आरोपित दुआ से लेकर IANS तक: BJP विरोधी Exit Polls और EC के आदेशों का उल्लंघन

इन एग्जिट पोल्स के आते ही गिरोह विशेष के लोग इसे प्रसारित करने में क्यों व्यक्त हो जाते हैं? क्या दल विशेष को फ़ायदा पहुँचाने के लिए ऐसा हो रहा है? यौन शोषण आरोपित विनोद दुआ, समाचार एजेंसी आईएएनएस, प्रोपेगंडा वेबसाइट न्यूज़क्लिक और ब्रिटिश पत्रकार द्वारा जारी किए गए एग्जिट पोल्स को लेकर चुनाव आयोग उन सब पर कोई कार्रवाई करेगा?

विपक्षी एकता ने नए सूत्रधार बन कर उभरना चाहते हैं KCR, खिचड़ी सरकार के लिए प्रयास तेज़

दोनों प्रमुख द्रविड़ नेताओं की मृत्यु, लालू के जेल में होने, मुलायम को बेटे द्वारा किनारे किए जाने, शरद पवार के चुनाव लड़ने से इनकार करने, नायडू-पटनायक के अपने गढ़ बचाने में व्यस्त रहने और कॉन्ग्रेस की मज़बूरी के कारण केसीआर एक बड़े विपक्षी सूत्रधार बन कर उभरना चाह रहे हैं।

कमल हासन 2013 Vs 2019: तब ‘शांतिदूतों’ के कारण देश छोड़ रहे थे, आज हिंदू आतंकवाद का राग अलाप रहे

अभिनेता कमल हासन के लिए भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र नहीं था, क्योंकि एक ख़ास समाज ने उनकी फ़िल्म की रिलीज रोक दी थी। राजनेता कमल हासन सामने मुस्लिमों को देखते ही गोडसे को आतंकी बताते हैं। उन्होंने कभी गोडसे का किरदार अदा किया था, लेकिन तब फ़िल्म की रिलीज नहीं रोकी गई।

कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं, गाते-गाते लोग चिल्लाने लगे हैं: BJP को ट्रोल करने वाले जावेद अख़्तर को समर्पित पंक्तियाँ

...वो अलग बात है कि कॉन्ग्रेस को अपदस्थ करने के लिए दुष्यंत द्वारा लिखी गई कविता का प्रयोग आज जावेद अख़्तर उसी कॉन्ग्रेस को (प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से) सत्ता दिलाने के लिए कर रहे हैं। विडम्बना इसे देख कर हज़ार मौतें मरेंगी।

जय श्री राम, हुह… जिस पत्रकार ने ऐसा कहा, वो एक नंबर का धूर्त है, बंगालियों के नाम पर कलंक है

माँ दुर्गा और भगवान श्रीराम के भक्तों को अलग-अलग देखते हुए क्षेत्र और श्रद्धा के नाम पर उन्हें लड़ने की कोशिश में लगे नंदी क्या यह नहीं जानते कि बंगाली रामायण के लेखक ने दुर्गा पूजा को बंगाल के घर-घर तक पहुँचाया? कृत्तिवासी ओझा के बारे में नहीं पता?

CJI को फँसाने के पीछे नेताओं, उद्योगपतियों, आतंकियों व वकीलों का शक्तिशाली तंत्र?

जेट एयरवेज कंगाली की कगार पर है और इसके संस्थापक नरेश गोयल के दाऊद से संपर्क की बातें होती रही हैं। इसी तरह राफेल मामले में सुनवाई को प्रभावित करने की कोशिश की गई। प्रशांत भूषण ने मीडिया में झूठ क्यों बोला? कौन सा तंत्र काम कर रहा है CJI पर लगे आरोपों के पीछे?

बुर्क़े की तुलना घूँघट से करने से पहले जरा भारत का इतिहास भी देख लें जावेद ‘ट्रोल’ अख़्तर

घूँघट को नायिका की सुंदरता का पर्याय मानकर कई गीत लिखने वाले जावेद अख़्तर के लिए अब यह एक कुरीति हो गई है क्योंकि 'उनके' बुर्क़े पर आँच जो आ गई है। घूँघट को समझने के लिए जावेद अख़्तर को 'मृच्छकटिकम्' पढ़नी चाहिए, विजयनगर साम्राज्य पर इस्लामी आक्रांताओं की क्रूरता जाननी चाहिए।