Monday, December 23, 2024
124 कुल लेख

Guest Author

…और ऐसे ख़त्म हो गई ‘मसीहा पत्रकारों’ के गैंग की मौज: मशहूर न्यूज़ एंकर से समझिए पूरी क्रोनोलॉजी

कौन हैं वो 'मसीहा पत्रकार', जिनकी पूर्ववर्ती सरकारों में अच्छी-ख़ासी मौज रहती थी? मोदी के आने से उन्हें दिक्कत क्यों हुई? 'इंडिया टीवी' के न्यूज़ एंकर सुशांत सिन्हा से समझिए कि अवार्ड-वापसी और 'लिंचिंग' की कैसे रची गई पूरी साज़िश। लुटियंस गैंग की तिलमिलाहट का पोस्टमॉर्टम।

‘काय पो छे’ हो या ‘भक काटे’: पतंग उड़ाने का असली मजा तो गुजरात में है

दादियाँ दादा जी को अपने समय की पतंगबाजी याद दिलाती हैं और दादा ताव में आकर खड़े हो जाते हैं दादी को ये दिखाने कि मैं अभी बूढ़ा नहीं हुआ हूँ। अब भी ये लड़के मेरी पतंग के आगे नहीं टिक सकते और पतंग कटते ही, 'सालो चाइनीज़ माँझो वापरे छे' कहकर वापस आकर बैठ जाते हैं।

500 नक्सली JNU में घुस आए थे, जान बचा कर जंगलों से भागा: BPSC अफसर की आपबीती

"...लेकिन 5 मिनट के अंदर ही ऐसा लगा कि हॉस्टल के शीशे टूट रहे हैं, मैं लॉबी में गया, देखा नकाबपोश लोग हाथों में लोहे का रॉड तथा डंडे लिए पेरियार हॉस्टल के हरेक कमरे में घुसते चले जा रहे हैं, और डंडों से बेतरतीब प्रहार करके दरवाजे और खिड़कियों को तोड़ रहे हैं।"

‘वसुधैव कुटुम्बकम’ अच्छी चीज… लेकिन स्थानीय पहचान को समाप्त करके नहीं: NRC है देश व समय की माँग

NRC का जो विरोध है, वो दरअसल प्रदर्शन है संख्या बल का। वो दिखा रहे हैं कि “देखो, जहाँ-जहाँ हमारी संख्या थोड़ी भी अधिक है, वहाँ-वहाँ हम तोड़-फोड़ कर सकते हैं, आग लगा सकते हैं, पुलिसकर्मी को मार सकते हैं।” उनका संदेश स्पष्ट है कि वो अगर संख्या बल में अधिक हैं तो...

खिसियाया रवीश ऑपइंडिया नोचे: न्यूज़लॉन्ड्री का लेख रवीश ने ही लिखवाया, एडिट किया, नहीं चला तो खुद शेयर किया

हर उस आदमी को गोदी मीडिया, आईटी सेल, व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी बोल देते हैं, जो उनके पाखंड की पोल खोलने की जुर्रत करता है। मुझे भरोसा है कि रवीश जी सबका नाम किसी कॉपी में लिखकर रख रहे होंगे कि जब राहुल गाँधी प्रधानमंत्री बनेंगे तो उनसे बोलकर सबको जेल भिजवाएँगे।

क्या मुस्लिमों के ख़िलाफ़ है NRC? प्रपंचियों के फैलाए अफवाहों से बचने के लिए जानें सच्चाई

क्या कथित अल्पसंख्यकों के प्रति यह षडयंत्र रचा जा रहा है? क्या पहले NRC बीजेपी की सरकार मुस्लिमों को निकाल देना चाहती है?

1000 सालों हिन्दू सहिष्णुता ही तो दिखा रहा है लेकिन इस चक्कर में नुकसान भी उनका ही हुआ

क्या किया जा सकता है? हम मिल कर इस बारे में सोंचे। पर एक बात की अवश्य जरुरत है: हमें ईमानदार होना पड़ेगा और निडर होना होगा इस्लाम और ईसाई धर्म के हानिकारक पक्ष को उघाड़ने में, दोनों को ही इस बात में कोई दुराव छिपाव नहीं है कि वे हिन्दू धर्म को ख़त्म करना चाहते हैं।

मैकाले-मैक्समूलर के जले हिन्दू को ‘फिरोज खान’ फूँक-फूँक कर पीना चाहिए

अगर किसी फिरोज खान को हिंदू धर्म की शिक्षा देने की जिम्मेदारी दी जा रही है तो क्या यह पूछा नहीं जाना चाहिए कि मालवीय जी के आदेश का क्या होगा? फिरोज खान जिस धर्म से ताल्लुक रखते हैं वो हिंदुओं को काफिर और वाजिबुल कत्ल मानता है। अगर वो इससे सहमत नहीं हैं तो घर वापसी कर लें।