Friday, November 22, 2024
135 कुल लेख

मृणाल प्रेम स्वरूप श्रीवास्तव

जिसने घर-घर तक गीता पहुँचाया, धर्म की सेवा ‘घाटे का सौदा’ नहीं की सीख दी, उनकी जयंती पर नमन

बंगाली बड़ी तेज़ी से हिन्दू से ईसाई बनते जा रहे थे। कारण था - कलकत्ता ईसाई मिशनरी। युवा हनुमान प्रसाद पोद्दार ने गीता प्रेस के साथ...

सियासत का स्वामी: जिसके कारण गॉंधी कठघरे में आए, वाजपेयी गए और रामसेतु बचा

स्वामी की ‘legacy’ के आकलन में पार्टी, विचारधारा और निष्ठा को एक ही चीज़ मानकर देखने पर वे शायद ‘मौकापरस्त’, नज़र आएँगे। लेकिन किसी नेता को आंकने के पैमाने के तौर पर उसके कर्म उसके शब्दों से अधिक सटीक होते हैं और स्वामी को इसी कसौटी पर परखा जाना चाहिए।

‘केसरी’ का महत्व अक्षय कुमार की पगड़ी का रंग नहीं, बल्कि सारागढ़ी की याद दिलाना है

पठान सही थे या सिख। यह फैसला करना केसरी फिल्म का मकसद नहीं है। चाहे सिख सैनिक अंग्रेज़ों के सिपाही बनकर लड़ें हों या हमला करने वाले पठान आज़ादी के परवाने हों, उन 22 वीरों का 'लास्ट स्टैंड' सब बातों से ऊपर था। इसके बारे में हमें पता होना चाहिए था।

मुस्लिम महिला सबसे गोरी, ब्राह्मण सबसे काले: Cadbury वालो, धंधा करो ज्ञान मत बाँटो

कॉर्पोरेट को समझना होगा कि उसके एजेन्डाबाज और राजनीतिक रूप से वामपंथी झुकाव वाले प्रोफेशनल किसी मुद्दे का समाधान करने की कोशिश नहीं कर रहे। यही कारण है कि मूल व्यवसाय से ज्यादा ऐसी फ़िज़ूल की गतिविधियों में ऊर्जा खपाना धंधे पर भारी पड़ रहा है।

8 घटनाएँ मंदिरों की अमानत में खयानत की: क्या किसी सरकार ने इसकी सुध ली?

हिन्दू खुद ही न इस मुद्दे पर जागरुक है न उद्वेलित, इसलिए सरकारें भी मस्त नींद से ग्रस्त हैं। जानना ज़रूरी है कि मंदिरों की हुंडी में, दान-पेटिका में जो पैसा श्रद्धालु अपने देवता के प्रति कृतज्ञता में, मंदिर के काम के लिए, पुजारी जी की आजीविका के लिए डालते हैं, उस पैसे पर सरकारें कैसे डाका डालती हैं।

The Hindu वालो, ज़हरीला मर्द होना नहीं, तुम्हारे जैसा विक्षिप्त-लिबरपंथी होना है

इसमें कोई शक नहीं कि पुरुष महिलाओं से सामान्यतः थोड़े अधिक आक्रामक होते हैं, लेकिन यह किसी सांस्कृतिक ज़बरदस्ती या 'toxic masculinity' के चलते नहीं, बायोलॉजिकल कारणों से होता है। इसलिए जहर फैलाने के लिए कुछ भी लिखने से पहले...

आजादी कॉन्ग्रेसियों की बपौती नहीं, कालिख पोत कर सावरकर को काला नहीं कर सकते

इनकी सावरकर से दुश्मनी केवल इसलिए है क्योंकि वह हिंदूवादी थे, और कॉन्ग्रेस की राजनीति मुस्लिम तुष्टिकरण की है। हिन्दूफ़ोबिया इनकी वैचारिक नसों में है, तो इसलिए हिन्दू हितों की बात करने वाले को खलनायक या कमज़ोर दिखाना तो हिन्दूफ़ोबिया की तार्किक परिणति होगा ही।