Friday, April 26, 2024
15 कुल लेख

nikhilyadav

Nikhil Yadav is Presently Prant Yuva Pramukh, Vivekananda Kendra, Uttar Prant. He had obtained Graduation in History (Hons ) from Delhi College Of Arts and Commerce, University of Delhi and Maters in History from Department of History, University of Delhi. He had also obtained COP in Vedic Culture and Heritage from Jawaharlal Nehru University New Delhi.Presently he is a research scholar in School of Social Science JNU ,New Delhi . He coordinates a youth program Young India: Know Thyself which is organized across educational institutions of Delhi, especially Delhi University, Jawaharlal Nehru University (JNU ), and Ambedkar University. He had delivered lectures and given presentations at South Asian University, New Delhi, Various colleges of Delhi University, and Jawaharlal Nehru University among others.

ईसाई को हिन्दू या बौद्ध नहीं बनना, इसी प्रकार हिन्दू या बौद्ध को ईसाई नहीं: स्वामी विवेकानंद का वो भाषण, जिसकी चर्चा कम

स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण में विश्व शांति के लिए दो महत्वपूर्ण आवश्यकताओं पर जोर दिया था - भाईचारा और सार्वभौमिक स्वीकृति; और...

सभी धर्मों, उत्पीड़ितों और शरणार्थियों वाला स्वामी विवेकानंद का संदेश… अफगानिस्तान और US दोनों पर लागू

आज हमें विवेकानंद के 128 वर्ष पूर्व दिए उस संदेश को याद करने की आवश्यकता है, जो संसार को सहिष्णुता तथा सार्वभौम स्वीकृति की शिक्षा देता है।

‘उठो भारत, अपनी आध्यात्मिकता से जगत पर विजय प्राप्त करो’: हर समय और काल की जरूरत है योग

संपूर्ण मानवता के लिए भारत की दी हुई सौगात है योग। योग मात्र आसन, प्राणायाम और मुद्राएँ ही नहीं हैं, बल्कि योग जीवन जीने की एक पद्धति है।

‘लोगों की मदद के लिए मठ की ज़मीन भी बेच देंगे’: महामारी का वो दौर जब स्वामी विवेकानंद ने की थी लोगों की मदद

इस दौर में हमें मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक रूप से मजबूत करने के लिए कुछ ऐसा चाहिए जिसे हम इन परिस्थितयों से जोड़ कर भी देख सके और वह हमें हर रूप से मजबूत भी करे।

‘शिखर पर जाने का शॉर्ट-कट नहीं, ऊपर जाकर नीचे गिरना सरल’ – युवाओं के लिए ‘गुरुजी’ का मंत्र

"भारतीय युवाओं को उमंग और सामर्थ्य से भरे हुए जीवन जीने की तैयारी करनी चाहिए। सुस्ती, ढिलाई... यह युवा के जीवन को कमजोर करती है और..."

एमएस गोलवलकर… वो ‘गुरुजी’ जिनका संगठन मंत्र और तंत्र आज भी प्रासंगिक: पटेल और वाजपेयी दोनों जिनके कायल

एमएस गोलवलकर लाखों स्वयंसेवकों के मार्गदर्शक हैं। आज भी स्वयंसेवक उनको ''गुरुजी" के नाम से पुकारते हैं। वो गोलवलकर ही थे, जिनके कारण...

‘हिन्दू धर्म ही सम्पूर्ण विश्व का धर्म बन सकता है, अन्य धर्म व्यक्ति विशेष के जीवन-आधार पर खड़े… उनमें तत्व की कमी’

"हिन्दू धर्म के सिवा संसार के अन्य सभी धर्म ऐतिहासिक जीवनियों के आधार पर खड़े हैं। परन्तु हिन्दू धर्म कुछ तत्वों की नींव पर खड़ा है।"

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